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रोम के यहूदी सभागृह में सन्त पापा फ्राँसिस की भेंट, 25.08.2021 (प्रतीकात्मक तस्वीर) रोम के यहूदी सभागृह में सन्त पापा फ्राँसिस की भेंट, 25.08.2021 (प्रतीकात्मक तस्वीर)  

नाज़ी उत्पीड़न के दौरान आश्रय प्राप्त व्यक्तियों के नामों का चला

रोम स्थित परमधर्मपीठीय बाइबिल संस्थान ने काथलिक संस्थाओं द्वारा नाजी उत्पीड़न से बचने के लिए शरण प्राप्त करनेवाले यहूदी शरणार्थियों के नामों की पुनर्खोज की है।

वाटिकन सिटी

रोम, शुक्रवार, 8 सितम्बर 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): रोम स्थित परमधर्मपीठीय बाइबिल संस्थान ने काथलिक संस्थाओं द्वारा नाजी उत्पीड़न से बचने के लिए शरण प्राप्त करनेवाले यहूदी शरणार्थियों के नामों की पुनर्खोज की है।  

काथलिक संस्थाओं ने दी शरण

रोम स्थित यहूदी नरसंहार संग्रहालय न्यास द्वारा इस समय रोम में एक कार्य शिविर जारी है जिसने गुरुवार को एक विज्ञप्ति प्रकाशित कर बताया कि सन् 1943 से 1944 के दौरान नाज़ी उत्पीड़न से बचने के लिये जिन यहूदी शरणार्थियों ने काथलिक संस्थाओं में शरण ली थी उनकी प्राण रक्षा हो सकी थी।

विज्ञप्ति के अनुसार, आतिथ्य की पेशकश करने वाली 100 धर्मबहनों तथा 55 पुरोहितों के धर्मसंघों एवं धर्मसमाजों की सूची, उनके द्वारा समायोजित किए गए व्यक्तियों की संख्या के साथ, 1961 में इतिहासकार रेन्ज़ो दे फेलिचे द्वारा पहले ही प्रकाशित कर दी गई थी, लेकिन पूरा दस्तावेज़ खो गया माना गया था।

पुनः खोजी गई नई सूची में 4,300 से अधिक व्यक्तियों का उल्लेख है, जिनमें से 3,600 की पहचान नाम से की गई है। रोम के यहूदी समुदाय के संग्रहालय में रखे गए दस्तावेजों से तुलना करने पर पता चलता है कि 3,200 निश्चित रूप से यहूदी थे। इससे यह ज्ञात होता है कि वे कहाँ छिपे हुए थे और उत्पीड़न से पहले वे कहाँ रहते थे। इस प्रकार यह दस्तावेज़ रोम के काथलिक संस्थानों द्वारा यहूदियों के बचाव के इतिहास की जानकारी में महत्वपूर्ण योगदान देता है।

वर्तमान में प्रतिबंधित

गोपनीयता सुरक्षा के कारणों से, दस्तावेज़ तक पहुंच वर्तमान में प्रतिबंधित है। दस्तावेज़ 7 सितंबर, 2023 को रोम के शोआ संग्रहालय में आयोजित एक कार्यशाला में प्रस्तुत किया गया था।

पुनः खोजा गया दस्तावेज़ मित्र राष्ट्रों द्वारा रोम की मुक्ति के तुरंत बाद, जून 1944 और 1945 के बीच इतालवी जेसुइट पुरोहित फादर गोज़ोलिनो बिरोलो द्वारा संकलित किया गया था, जो 1930 से लेकर सन् 1945 में अपनी मृत्यु तक परमधर्मपीठीय बाईबिल संस्थान के कोषाध्यक्ष रहे थे।

इस अवधि के दौरान संस्थान के मठाधीश एवं प्रधान जर्मन जेसुइट पुरोहित फादर ऑगस्टिन बेया थे,  जिन्हें 1959 में कार्डिनल पद प्रदान किया था तथा जो यहूदी-काथलिक संवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे, जिसका उल्लेख, विशेष रूप से, द्वितीय वाटिकन महासभा के दस्तावेज़ नोस्त्रा एताते में किया गया है।

ग़ौरतलब है कि 10 सितंबर, 1943 से लेकर 4 जून, 1944 तक रोम पर नौ महीने तक नाजियों का कब्ज़ा रहा। उस दौरान, अन्य अत्याचारों के अलावा, यहूदियों के उत्पीड़न के कारण उनका निर्वासन और हत्या हुई। रोम में लगभग 10,000 से 15,000 यहूदियों के समुदाय में से सैकड़ों बच्चों और किशोरों सहित लगभग 2,000 लोग गिरफ्तार कर मार डाले गये थे।

 

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08 September 2023, 11:18