शांति प्रक्रिया का विचार ज़िदा रहे, महाधर्माध्यक्ष गालाघार
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 2 जून 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): इटली के दैनिक समाचार पत्र "ला स्ताम्पा" के साथ एक भेंटवार्ता में वाटिकन के विदेश सचिव तथा अन्तरराष्ट्रीय संगठनों में वाटिकन के प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष पौल गालाघार ने यूक्रेन में शांति हेतु परमधर्मपीठ के प्रयासों तथा तमाम विश्व के लोगों और देशों के बीच मधुर संबंधों को बढ़ावा देने के परमधर्मपीठीय मिशन पर चर्चा की।
यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की के शब्दों को याद कर महाधर्माध्यक्ष गालाघार ने कहा, "यूक्रेन में युद्ध वार्ता की मेज़ पर समाप्त होगा।" उन्होंने कहा कि परमधर्मपीठ के प्रयासों का उद्देश्य "जितनी जल्दी हो सके बातचीत की मेज पर संघर्षरत दलों को एक साथ लाने की कोशिश करना है।"
बुधवार को "ला स्ताम्पा" के साथ बातचीत में महाधर्माध्यक्ष गालाघार ने ने कहा कि परमधर्मपीठ इस तथ्य को स्वीकार करती है कि यूक्रेनी लोग कठिनाइयों एवं कष्टों से भरा जीवन यापन कर रहे हैं, लेकिन राजनयिक स्थिति की जटिलता को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता, इसलिये उन्होंने कहा, "हमें शांति प्रक्रिया के विचार को जीवित रखना होगा।"
यूक्रेन में शांति प्रयास
उन्होंने इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि सन्त पापा फ्राँसिस, फरवरी 2022 में, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से ही युद्ध के शांतिपूर्ण समाधान के लिए काम करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि सन्त पापा "लगातार उन विचारों और प्रस्तावों का मूल्यांकन कर रहे हैं जो यूक्रेनी संघर्ष में तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं और एक न्यायपूर्ण शांति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।"
यूक्रेन और रूस में इतालवी कार्डिनल मातेओ ज़ूपी के आगामी मिशन के बारे में पूछे जाने पर, महाधर्माध्यक्ष गालाघार ने समझाया कि मिशन की बारीकियों का अभी भी अध्ययन किया जा रहा है, साथ ही, हम इस तरह के एक नाजुक मिशन के लिए आशा और प्रार्थना करते हैं, जिसकी गति और समय भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।”
अन्य देशों की भूमिका
यूक्रेनी संघर्ष में अन्य देशों की भूमिका और विशेष रूप से चीन और ईरान के साथ रूस के संबंधों के बारे में पूछे गए सवालों का भी महाधर्माध्यक्ष ने जवाब दिया। उन्होंने कहा, "पहला विचार परमधर्मपीठ की स्थिति है और वह यह कि किसी भी देश और किसी भी हस्ती पर यह निर्भर है कि वह इस युद्ध को समाप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करे। हम सभी को ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।"
मानवाधिकारों के बारे में सवालों के संबंध में, महाधर्माध्यक्ष गालाघार ने कहा कि इन मुद्दों पर परमधर्मपीठ "संपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समुदाय" को संबोधित करती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि कुछ बयानों में कुछेक मुद्दों की विशेष प्रासंगिकता हो सकती है, उन्होंने स्पष्ट किया कि परमधर्मपीठ "आक्रामक तरीके से" नहीं बोलती, अपितु इसके बजाय "दरवाजे को खुला रखना पसंद करती है, भले ही यह एक ऐसी स्थिति हो जो हमारे लिए बहुत कठिन हो सकती है।" साथ ही, उन्होंने इंगित किया कि परमधर्मपीठ की प्राथमिक चिंता विश्व के विभिन्न देशों में "ईसाई और काथलिक समुदायों एवं अल्पसंख्यकों की भलाई, उनकी स्वतंत्रता, और उनके जीवन" के विषय में रहा करती है।
भरोसे की ज़रूरत
महाधर्माध्यक्ष ने इस्राएल एवं फिलीस्तीन की राजनैतिक स्थिति पर भी बातचीत की तथा यहाँ बढ़ती हिंसा पर चिन्ता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि वहाँ जारी हिंसा राजनैतिक स्थिति के सुधार के बजाय और अधिक अवरोधों को जन्म दे रही है। इस बात पर उन्होंने बल दिया कि फिलीस्तीनियों और इस्राएलियों के बीच कामकाजी समझौता खोजने हेतु "अधिक राजनीतिक संकल्प शक्ति और अथक प्रयास ज़रूरी हैं।"
उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि अधिकांश लोग इस बात से सहमत हैं, और अनुभव हमें सिखाता है कि जिस चीज़ की ज़रूरत है, वह है छोटे-छोटे संकेतों की, विश्वास-निर्माण के इशारों की, विश्वास हासिल करने की राजनीति की। आज दुनिया में देशों और नेताओं के बीच जो कमी है वह विश्वास की कमी है, और इसका निर्माण नितान्त आवश्यक है।"
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