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रोम के कोलोसियुम में पुण्य शुक्रवार को क्रूस का रास्ता रोम के कोलोसियुम में पुण्य शुक्रवार को क्रूस का रास्ता  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

क्रूस का रास्ता-युद्धग्रस्त विश्व में शांति की पुकार

पुण्य शुक्रवार रोम के कोलोसियुम में क्रूस का रास्ता, लोगों के जीवन की सच्ची घटनाओं पर आधारित रहा।

दिलीप संजय एक्का-उषा मनोरमा तिर्की-वाटिकन सिटी

क्रूस रास्ता 2023

“युद्धग्रस्त दुनिया में शांति की पुकार”

आरम्भिक प्रार्थना

प्रभु येसु, आप “हमारी शांति” हैं (एफे. 2:14)

अपने दुःखभोग से पहले, आपने कहा: “मैं तुम्हारे लिए शाँति छोड़ देता हूँ; अपनी शांति तुम्हें प्रदान करता हूँ; जैसा संसार देता है, वैसा मैं तुम्हें नहीं देता” (यो. 14:27)। प्रभु, हमें आपकी शांति की आवश्यकता है, वह शांति जिसे हम अपनी शक्ति से निर्मित नहीं कर सकते। हमें उन शब्दों को फिर से सुनने की आवश्यकता है जिनके द्वारा आपने अपने पुनरुत्थान के बाद तीन बार शिष्यों के दिलों को मजबूत किया: "तुम्हें शांति मिले" (यो. 20:19.21.26)। येसु, जिन्होंने हमारे लिए क्रूस को गले लगाया, हमारी दुनिया पर नजर डाल जो शांति की प्यासी है, जबकि आपके भाई और बहनों का खून अब भी बहाया जा रहा है और कई माताओं के आँसू जिन्होंने युद्ध में अपने बच्चों को खो दिया है, आपकी पवित्र माँ के साथ मिल रहे हैं। हे प्रभु, तूने भी येरूसालेम के लिये रोया, क्योंकि उस ने शान्ति के मार्ग को नहीं पहचाना (लूका.19:42)।

आज रात, क्रूस का रास्ता, सीधे पवित्र भूमि से, आपके पीछे चल रहा है। हम इसपर चलेंगे, अपने भाइयों और बहनों की पीड़ा को सुनते हुए, जिन्होंने दुनिया में शांति की कमी झेली और अभी भी पीड़ित हैं, हम उन साक्ष्यों और चिंतन को सुन सकें जो संत पापा की यात्राओं के दौरान हृदयों और कानों तक पहुँचीं। वे शांति की प्रतिध्वनियाँ हैं जो इस "टुकड़े-टुकड़े लड़े जा रहे तीसरे विश्व युद्ध" में फिर से प्रकट होती हैं, जो उन देशों और क्षेत्रों से आती हैं जो आज हिंसा, अन्याय और गरीबी से टूट गए हैं। इस गुड फ्राइडे की प्रार्थना में वे सभी स्थान मौजूद हैं जहाँ संघर्ष, घृणा और उत्पीड़न सहे जाते हैं।

प्रभु येसु, आपके जन्म के समय स्वर्ग में स्वर्गदूतों ने घोषणा की: "पृथ्वी पर, उनके कृपापात्रों को शांति मिले।" (लूका 2:14)। अब हमारी प्रार्थना स्वर्ग की ओर उठकर "पृथ्वी पर शांति" की अपील करती है, जिसके लिए युगों-युगों से मानव जाति बहुत लालायित रही है" (पाचेम इन तेरिस, 1)। आइए हम प्रार्थना करें, शांति की याचना करें कि आपने हमें छोड़ दिया है और जिसे हम बनाए रखने में असमर्थ हैं। येसु, आप पूरे विश्व को क्रूस से गले लगाते हैं: हमारी कमियों को क्षमा करें, हमारे दिलों को चंगा करें, हमें अपनी शांति प्रदान करें।

1ला स्थान : येसु को प्राणदण्ड की आज्ञा मिलती है।

(पवित्र भूमि से शांति की आवाजें)

तब (पिलातुस) ने उनके लिए बराब्बस को रिहा किया, और येसु को कोड़े लगाने के बाद क्रूस पर चढ़ाने का आदेश दिया। (मती. 27:26)

बराब्बस या येसु? उन्होंने चुनाव करना था। यह किसी अन्य विकल्प की तरह नहीं है: जिसमें यह तय करना शामिल हो कि जीवन की जटिल घटनाओं में कहां खड़ा होना है, किस स्थिति में जाना है। शांति, जिसकी हम सब कामना करते हैं, अपने आप पैदा नहीं होती; बल्कि, हमारे निर्णय की प्रतीक्षा करती है। इस समय में हम लगातार बराब्बस या येसु का चुनाव करने के लिए बुलाये जाते हैं : विद्रोह या नम्रता, हथियार या साक्ष्य, मानव शक्ति या छोटे बीज की मौन शक्ति, संसार की शक्ति या आत्मा की शक्ति का। पवित्र भूमि के संबंध में ऐसा लगता है कि हमारा चुनाव हमेशा बराब्बस का होता है। हिंसा ही हमारी एकमात्र भाषा के समान लगती है। पारस्परिक प्रतिशोध का इंजन व्यक्ति के अपने दर्द से लगातार ईंधन भरता है, जो अक्सर निर्णय के लिए एकमात्र मानदंड बन जाता है। न्याय और क्षमा एक-दूसरे से बात नहीं कर सकते। हम एक साथ रहते हैं, एक दूसरे को पहचाने बिना, एक-दूसरे के अस्तित्व को अस्वीकार करते हुए, एक-दूसरे की निंदा करते हुए, एक अंतहीन और तेजी से हिंसक दुष्चक्र में।

इस सन्दर्भ में, घृणा और आक्रोश से भरे हुए, हम भी एक निर्णय व्यक्त करने और अपना निर्णय लेने के लिए बुलाये जाते हैं। और हम उसे देखे बिना ऐसा नहीं कर सकते जो चुपचाप रहे और जिसे मौत की सजा मिली: एक विफलता, फिर भी हमारी पसंद हैं येसु। ख्रीस्त हमें पीलातुस और भीड़ के मानक का उपयोग करने के लिए नहीं, बल्कि दूसरों की पीड़ा को पहचानने, वार्ता में न्याय और क्षमा को रखने और हरेक के लिए मुक्ति की चाह रखने के लिए, चाहे वह चोर, या बरब्बस ही क्यों न हो, हमें बुलाते हैं ।

आइये हम एक साथ प्रार्थना करें, कहें- हे प्रभु येसु, हमें आलोकित कर।

जब हम सोचते हैं कि हम हमेशा सही हैं- हे प्रभु येसु, हमें आलोकित कर।

जब हम बिना अपील के अपने भाइयों और बहनों की निंदा करते हैं- हे प्रभु येसु, हमें आलोकित कर।

जब हम अन्याय के लिए अपनी आँखें बंद कर लेते हैं- हे प्रभु येसु, हमें आलोकित कर।

जब हम अपने चारों ओर अच्छाई दबाते हैं- हे प्रभु येसु, हमें आलोकित कर।

2रा स्थान : येसु अपना क्रूस ढोते हैं।

(पश्चिमी अफ्रीका के आप्रवासियों से शांतिमय आवाज)

उन्होंने क्रूस पर स्वयं हमारे पापों को अपने शरीर पर ढोया, जिससे कि हम पाप से मरकर धामिर्कता के लिये जीवन बिताएँ। उसके घावों से आप चंगे हो गये हैं(1 पेत्रुस 2:24)।

मेरी क्रूस की यात्रा 6 साल पहले शुरू हुई, जब मैंने अपना शहर छोड़ा। 13 दिनों की यात्रा के बाद हम एक मरूस्थल में पहुँचे और इसको 8 दिनों में पार किया, उसे पार करते हुए लीबिया पहुँचने तक हमारी कारें जल गईं, पानी के जार खाली हो गये और मृतकों के शव मिले। जो तस्करों को चुका नहीं सके उनके रास्ते बंद हो गये और तब तक सताये गये जब तक कि उन्होंने उन्हें नहीं चुका दिया। कुछ लोगों ने अपनी जान गवाँ दी, कुछ ने अपना दिमाग। उन्होंने मुझे यूरोप के जहाज में चढ़ाने का वादा किया लेकिन यात्रा रद्द हो गई और हमारे पैसे नहीं मिले। वहाँ युद्ध जारी था और हम जहाँ पहुँचे वहाँ हमने हिंसा और गोलियों पर ध्यान देना बंद कर दिया। आखिरकार, मैं सौ से अधिक लोगों के साथ एक बेड़ा पर सवार हो गया और एक इताली जहाज द्वारा हमें बचाने से पहले हम घंटों तक तैरते रहे। अब यह हमारे लिए आनन्द का समय था और हमने घुटने टेकर ईश्वर को धन्यवाद दिया। तब हमें मालूम हुआ कि जहाज लीबिया की ओर लौट रहा है। जहाँ, हमें कैद में रखा गया, जो दुनिया की सबसे खराब जगह है। दस माह बाद, मैं फिर नाव में था। पहली रात तेज हवा चल रही थी, चार लोग समुद्र में गिर गये और हम दो जन को बचा लिये। मैं मरने की उम्मीद में सो गया। जब मैं जागा तो अपने अगल बगल लोगों को मुस्कुराते हुए पाया। कुछ ट्यूनीशियाई मछुआरों ने हमारी मदद की, जहाज रोका गया और गैर-सरकारी संगठनों ने हमें भोजन, कपड़े और आश्रय दिये। मैंने दूसरे क्रॉसिंग के भाड़े के लिए काम किया। यह छठी बार था; तीन दिनों तक समुद्र में रहने के बाद मैं माल्टा पहुँचा। मैं छह महीने एक केंद्र में रहा और वहाँ मेरा दिमाग खराब हो गया। हर रात मैंने ईश्वर से पूछा क्यों: क्यों हम जैसे लोगों को दुश्मन समझा जाता है? बहुत से लोग जो युद्ध से भाग रहे हैं वे मेरे जैसे क्रूस उठाये हुए हैं।

आइए हम एक साथ प्रार्थना करें, यह कहते हुए- प्रभु येसु, हमें छुड़ाइये!

हमारे पड़ोसी के सहज दण्ड से- प्रभु येसु, हमें छुड़ाइये!

जल्दबाजी के निर्णयों से- प्रभु येसु, हमें छुड़ाइये!

आलोचना और बेकार के शब्दों से- प्रभु येसु, हमें छुड़ाइये!

विनाशकारी गपशप से- प्रभु येसु, हमें छुड़ाइये!

3रा स्थान: येसु पहली बार क्रूस के नीचे गिरते हैं।

(मध्य अफ्रीका के युवाओं से शांतिमय आवाज)

निश्चय ही उसने हमारे दु:खों को सहा और हमारे दु:खों को अपने ऊपर लिया; फिर भी हम ने उसे ईश्वर का मारा और दुर्दशा में पड़ा हुआ समझा। परन्तु वह हमारे ही अपराधों के कारण घायल किया गया, वह हमारे अधर्म के कामों के कारण कुचला गया (इसा. 53:4-5)।

हम युवा शांति चाहते हैं। फिर भी हम बहुत बार गिरते हैं और इस गिरने के कई नाम हैं : हम आलस्य, भय, निराशा, और लालच और भ्रष्टाचार से बने एक आसान लेकिन बेईमान जीवन के खोखले वादों से नीचे गिर जाते हैं। यह मादक पदार्थों की तस्करी, हिंसा, बुरी आदतों और लोगों के शोषण के चक्र को बढ़ाता है, जबकि बहुत से परिवार अपने बच्चों के खोने का शोक मनाते रहते हैं, और धोखा देने, अपहरण करने और मारनेवालों की ओर से जवाबदेही की कमी का कोई अंत नहीं है। हम किस तरह शांति पायें? येसु आप क्रूस के नीचे गिरे लेकिन पुनः उठे, अपना क्रूस उठाया और इसके साथ हमें सांति प्रदान की। आप हमें अपने जीवन की जिम्मेदारी लेने के लिए प्रेरित करते हैं, आप हमें प्रतिबद्धता के साहस के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जिसे हमारी भाषा में समझौता कहा जाता है। इसका अर्थ है कई समझौतों को ना कहना, ऐसे झूठे समझौतों को जो शांति को खत्म कर देते हैं। हम इन समझौतों से भरे हुए हैं: हम हिंसा नहीं चाहते, लेकिन हम उन लोगों पर हमला करते हैं जो सोशल मीडिया पर हमारी तरह नहीं सोचते; हम एक संयुक्त समाज चाहते हैं, लेकिन हम उन्हें समझने का प्रयास नहीं करते जो हमारे बगल में हैं; इससे भी बदतर, हम उनकी उपेक्षा करते हैं जिन्हें हमारी आवश्यकता है। प्रभु, हमारे दिल में जमीन पर गिरे हुए को उठाने की इच्छा रख दे। जैसा कि आप हमारे साथ करते हैं।

आइए, हम यह कहते हुए एक साथ प्रार्थना करें- प्रभु येसु, हमें उठाइये!

हमारे आलस्य से- प्रभु येसु, हमें उठाइये!

हमारे पतन से- प्रभु येसु, हमें उठाइये!

हमारे दुःख से- प्रभु येसु, हमें उठाइये!

यह सोचने से कि दूसरों की मदद करना हमारे ऊपर नहीं है- प्रभु येसु, हमें उठाइये!

4था स्थान: येसु अपनी माता से मिलते हैं।

(दक्षिण अमरीकी माताओं की शांतिमय आवाज)

सिमेयोन ने उन्हें आशीष दी और उनकी माता मरियम से कहा, “देखिये, इस बालक के द्वारा इस्राएल में बहुतों का पतन और उत्थान होगा, और एक ऐसा चिन्ह प्रकट करेगा, जिसका विरोध किया जाएगा- और एक तलवार आपके हृदय को छोद देगी, ताकि बहुतों के विचार प्रकट हो जाएँ।" (लूक. 2:34-35)।

2012 में छापामारों द्वारा लगाए गए बम के विस्फोट से मेरा पैर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। छर्रे लगने से मेरे शरीर पर दर्जनों घाव हो गए। उस समय, हर जगह लोगों की चीखें और खून मुझे याद है। फिर भी जिस चीज ने मुझे सबसे ज्यादा भयभीत किया, वह थी मेरे सात महीने के बच्चे को खून से लथपथ देखना, उसके चेहरे पर कांच के कई टुकड़े चिपके हुए थे। मरियम के लिए कैसा रहा होगा जब उसने येसु के चेहरे को कुचला हुआ और लहूलुहान देखा! पहले तो मैं, उस मूर्खतापूर्ण हिंसा के लिए, गुस्सा और आक्रोश महसूस किया, लेकिन फिर मुझे पता चला कि अगर मैंने नफरत फैलाई, तो मैं और भी हिंसा पैदा करूँगी। मैंने महसूस किया कि मेरे भीतर के घाव शरीर के घाव से कहीं अधिक गहरे थे। मैं समझ गयी कि मेरे और मेरे जैसे कई पीड़ितों को यह महसूस करने की जरूरत है कि यह उनके लिए अंत नहीं है और हम नाराजगी के साथ नहीं जी सकते।

इसलिए मैंने उनकी मदद करना शुरू किया: मैंने उन्हें यह सिखाने के लिए अध्ययन किया कि हमारी भूमि में फैली लाखों खदानों के कारण होनेवाली दुर्घटनाओं को कैसे रोका जाए। मैं येसु और उनकी माता को धन्यवाद देती हूँ कि उन्होंने यह पाया कि दूसरे लोगों के आंसू सुखाना समय की बर्बादी नहीं है, बल्कि खुद को ठीक करने की सबसे अच्छी दवा है।

आइए हम एक साथ प्रार्थना करें- हे प्रभु येसु, हमें कृपा दे कि हम आपको पहचान सकें!

पीड़ित लोगों के विकृत चेहरों में- हे प्रभु येसु, हमें कृपा दे कि हम आपको पहचान सकें!

उनमें जो छोटे और गरीब हैं- हे प्रभु येसु, हमें कृपा दे कि हम आपको पहचान सकें!

उनमें जो प्रेम के कार्य के लिए रोते हैं- हे प्रभु येसु, हमें कृपा दे कि हम आपको पहचान सकें!

न्याय के लिए सताए गए लोगों में- हे प्रभु येसु, हमें कृपा दे कि हम आपको पहचान सकें!

5वाँ स्थान: सिरीनी सिमोन क्रूस ढोने में येसु की मदद करता है।

(अफ्रीका, दक्षिणी एशिया और मध्यपूर्वी के तीन आप्रवासी लोगों की शांतिमय आवाज)

और जब वे उसे ले जा रहे थे, तो उन्होंने सिरीनी सिमोन को जो गांव से आ रहा, पकड़कर उस पर क्रूस को लाद दिया, कि वह येसु का क्रूस ढोये (लूक 23:26)।

[1] मैं घृणा के कारण घायल व्यक्ति हूँ। एक बार जब आप घृणा के शिकार होते हैं तब आप उसे भूलते नहीं, आपको इसकी कीमत चुकानी पड़ती है। घृणा खतरनाक रूप लेता है। यह एक इंसान को न केवल दूसरों को गोली मारने के लिए पिस्तौल का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करता, बल्कि लोगों के देखते-देखते, उनकी हड्डियों को भी तोड़ देता है। मेरे अंदर प्यार की कमी का एक सूनापन है जो मुझे एक बेकार भार जैसा महसूस कराता है। मेरे लिए सीरिनी सिमोन कौन होगा?

[2] मैं अपना जीवन सड़क पर गुजारता हूँ: मैं बम, चाकू, भूख और पीड़ा से बच गया हूँ। मुझे एक ट्रक पर धकेला गया, ट्रंक में छिपाया गया, असुरक्षित नावों पर फेंका गया। लेकिन मेरी यात्रा एक सुरक्षित स्थान पर पहुँचने के लिए जारी रही, एक ऐसा स्थान जो स्वतंत्रता एवं अवसर देती है, जहाँ मैं प्यार दे और ले सकता हूँ, अपने विश्वास को जी सकता हूँ जहाँ उम्मीद वास्तविक है। मेरे लिए सिमोन कौन होगा?

 [3] अक्सर, मुझसे पूछा जाता है: तुम कौन हो? तुम यहाँ क्यों आये हो? आपकी स्थिति क्या है? क्या आप यहाँ रहना चाहते हो? कहाँ जाओगे? ये सवाल मुझे दुःख देने के मकसद से नहीं किये जाते हैं लेकिन दुख देते हैं। ये मेरी उम्मीदों को एक फॉर्म के बक्स पर एक चेक के रूप में कम कर देते हैं। मुझे विदेशी, पीड़ित, शरण चाहनेवाले, शरणार्थी, आप्रवासी या दूसरे शब्दों को चुनना होगा। फिर भी मैं जो लिखना चाहता हूँ वह है व्यक्ति, भाई, मित्र, विश्वासी, पड़ोसी। मेरे लिए सिमोन कौन होगा?

आइए, हम एक साथ यह प्रार्थना करें- हे प्रभु येसु, हमें क्षमा कर!

जब हमने दुर्भाग्य में आपका तिरस्कार किया- हे प्रभु येसु, हमें क्षमा कर!

जब हमने उन लोगों में आपकी उपेक्षा की जिन्हें सहायता की आवश्यकता है- हे प्रभु येसु, हमें क्षमा कर!

जब हमने तुझे बेसहारा छोड़ दिया- हे प्रभु येसु, हमें क्षमा कर!

जब हमने पीड़ितों में आपकी सेवा नहीं की- हे प्रभु येसु, हमें क्षमा कर!

6वाँ स्थान: बेरोनिका येसु का चेहरा पोंछती है।

(बाल्कन प्रायद्वीप के एक धर्मसमाजी पुरोहित से शांतिमय आवाज)

मेरे पिता के कृपापात्रो, आओ, उस राज्य के उतराधिकारी बनो जो दुनिया के आरम्भ से तुम्हारे लिए तैयार किया गया है; क्योंकि मैं जब भूखा था और तूने मुझे खिलाया, जब मैं प्यासा था और तूने मुझे पिलाया, जब मैं परदेशी था और तूने मुझे अपने यहाँ ठहराया, जब मैं नंगा था और तूने मुझे पहनाया, मैं बीमार था और तुम मुझ से भेंट करने आये, मैं कैदी था और तुम मुझे देखने आये। (मती. 25:34-36)

जब युद्ध शुरू हुआ मैं 40 साल का एक पुरोहित था। कुछ हथियारबंद पहरेदार पल्ली आवास में घुस गए और मुझे एक कैंप में ले गए जहां मैंने चार महीने बिताए। वे खतरनाक थे: सफाई की बहुत कमी के कारण, हम धोने या दाढ़ी बनाये बिना, भूख और प्यास सहते रहे। हमें शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता, पीटा और अनेक चीजों से सताया जाता था। मुझे दिन में पाँच बार बाहर निकालते थे, सबसे बढ़कर रात में पुरोहित बुलाते थे और मुझे मारते थे। अन्य बातों के अलावा, उन्होंने मेरी तीन पसलियाँ तोड़ दीं और धमकी दी कि वे मेरे नाखूनों को खींच लेंगे, मेरे घावों में नमक डाल देंगे, और मेरी ज़िंदा खाल उधेड़ देंगे। एक बार मुझे सहन करना इतना कठिन हो गया कि मैंने गार्ड से मुझे मारने की भीख माँगी, यद्यपि मुझे यकीन हो गया था कि वे मुझे मार ही देंगे। गार्ड ने मुझे उत्तर दिया : “तुम इतनी आसानी से नहीं मरोगे; तुम्हारे बदले में हमें अपने डेढ़ सौ आदमी मिलेंगे।” उन शब्दों ने मुझमें जीवित रहने की आशा फिर से जगा दी। फिर भी मैं ईश्वर के बिना उन सारी बुराईयों को अपने आप सहन नहीं कर पाता: हृदय से की गई प्रार्थना ने अनोखा काम किया। फातिमा नाम की एक मस्लिम महिला के द्वारा मदद और भोजन के रूप में एक ईश्वरीय सहायता मिली, जो नफरत के माध्यम से अपना रास्ता बनाते हुए मुझ तक पहुंचने में कामयाब रही। उसने मेरे लिए वही किया जैसा वेरोनिका ने येसु के लिए की। अब, मेरे दिनों के अंत तक, मैं युद्ध की भयावहता का गवाह हूँ और चिल्लाता हूँ: फिर कभी युद्ध न हो!

आइए हम एक साथ प्रार्थना करें- हे प्रभु येसु, हमें अपनी दृष्टि प्रदान करें!

ताकि हम उनसे प्यार कर सकें जो प्यार नहीं करते- हे प्रभु येसु, हमें अपनी दृष्टि प्रदान करें!

ताकि हम उन लोगों की मदद कर सकें जो अपना रास्ता खो चुके हैं- हे प्रभु येसु, हमें अपनी दृष्टि प्रदान करें!

ताकि हम उन लोगों की देखभाल कर सकें जो हिंसा सहते हैं- हे प्रभु येसु, हमें अपनी दृष्टि प्रदान करें!

ताकि हम उन लोगों का स्वागत कर सकें जो बुराई से पश्चाताप करते हैं- हे प्रभु येसु, हमें अपनी दृष्टि प्रदान करें!

7वाँ स्थानः येसु दूसरी बार गिरते हैं।

(उत्तरी अफ्रीका के एक किशोर की शांतिमय आवाज)

“प्रभु हमने कब आप को भूखा देखा औऱ खिलायाॽ या प्यासा देखा औऱ पिलायाॽ हमने कब आप को परदेशी देखा औऱ अपने यहाँ ठहरायाॽ या नंगा देखा और पहनायाॽ कब आप को बीमार या बंदी देखा औऱ आप से मिलने आयेॽ राजा उन्हें उत्तर देंगे, “मैं तुम लोगों से यह कहता हूँ तुमने मेरे इन भाइयों में से किसी एक के लिए, चाहे वह कितना ही छोटा क्यों न हो, जो कुछ किया, वह तुमने मेरे लिए ही किया” (मत्ती. 25.37-40)।

1. मैं योसेफ हूँ, मेरी उम्र 16 साल है। मैं शरणार्थी शिविर में अपने माता-पिता के साथ सन् 2015 में पहुंचा, मैं यहाँ विगत 8 सालों से रह रहा हूँ। यदि शांति रहती तो मैं अपने मातृभूमि में रहता जहाँ मेरा जन्म हुआ औऱ जहाँ मैंने अपने बचपन के दिनों का आनंद लिया। यह जीवन अच्छा नहीं है। मुझे अपने और दूसरे युवा लोगों के भविष्य का भय है। हम अंतरिम पयालन का दुःख क्यों झेल रहे हैंॽ यह मेरे देश में युद्ध का परिणाम है जो लम्बे समय से युद्ध में फंसा हुआ है। शांति के बिना हम पुनः उठ नहीं सकते हैं। शांति हमेशा प्रतिज्ञा की जाती है, लेकिन हम युद्ध के भार में निरंतर असफल रहे हैं, यह हमारा क्रूस है। मैं ईश्वर का धन्यवाद करता हूँ जो एक पिता की भांति हमें आगे ले चलते हैं, औऱ साथ ही बहुत से उदार भाई-बहने जिन्हें में नहीं जानता हूँ, जो हमारी सहायता करते हैं जिससे हम जिन्दा रहें।

2. मैं जोनसन हूँ और सन् 2014 से शरणार्थी शिविर में रह रहा हूँ। मेरा उम्र 14 वर्ष है औऱ मैं तीसरी कक्षा में पढ़ता हूँ। यहाँ जीवन ठीक नहीं है, बहुत से बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं क्योंकि सबों के लिए प्रर्याप्त शिक्षक और विद्यालयों की कमी है। यह स्थान बहुत छोटा और भीड़ अधिक है यहाँ फुटबॉल खेलने के लिए भी उचित स्थान नहीं है। हम शांति की कामना करते हैं जिससे हम अपने घर को लौट सकें। शांति अच्छी है, युद्ध बुरा है। मैं यह विश्व के नेताओं के लिए कहना चाहता हूँ। और मैं अपने सब मित्रों से शांति के लिए प्रार्थना करने का आग्रह करता हूँ।

हम सब मिलकर एक साथ प्रार्थना करते हुए कहें- प्रभु येसु, हमें शाक्तिशाली बना।

हमारे कठिन समय में- प्रभु येसु, हमें शक्तिशाली बना।

भ्रातृत्वमय सेतुओं के निर्माण के प्रयास में- प्रभु येसु, हमें शक्तिशाली बना।

हमारे क्रूस को ढ़ोने में- प्रभु येसु, हमें शक्तिशाली बना।

सुसमाचार का साक्ष्य देने में- प्रभु येसु, हमें शक्तिशाली बना।

8वाँ स्थानः येसु का येरुसालेम की स्त्रियों से भेंट।

(दक्षिणी एशिया से शांति हेतु आवाजें)

लोगों की भारी भीड़ उनके पीछे-पीछे चल रही थी। उनमें नारियाँ भी थी जो अपनी छाती पीटते हुए उनके लिए विलाप कर रही थीं (लूका. 23.27)।

येसु, तूने अपना क्रूस ढ़ोया। और मैं सोचता हूँ मेरा देश भी अपना क्रूस ढो रहा है। हम वे लोग हैं जो शांति से प्रेम करते हैं, यद्यपि हम युद्ध के क्रूस से दबे जा रहे हैं- हिंसा, आंतरिक पलायन, धार्मिक पूजा स्थलों पर आक्रमण...यह हमारे लिए भारी बोझ के समान है जिसे हम खींच रहें हैं, येसु यह हमारे लिए अंतहीन क्रूस लगता है। हमारी माताएं अपने बच्चों की भूख देख कर रोती हैं। उन्हीं के समान मेरे पास प्रार्थना करने के लिए बहुत से शब्द नहीं है, लेकिन ढेर सारे आंसू हैं जिन्हें में अर्पित करता हूँ। प्रभु जो जूलूस तुझे कलवारी की ओऱ ले चला वह अपने में भयानक था लेकिन शोक से भरी कुछ नारियों के तुझे से मुलाकात की जो बुराई के द्वारा ढ़केल दी गईं। ये वे थीं जिन्होंने तुझे शक्ति दीं, माताओं ने तुझे दोषीदार अपितु एक बेटे की तरह देखा। हमारे बीच से भी एक नारी भीड़ से निकल कर सामने आयी और बहुत के लिए एक माता बनी। वह हथियारों के आगे अपने लोगों की रक्षा में घुटने टेक दिए और अपनी जान देने को तैयार हो गई, उन्होंने नम्रता से शांति और मेल-मिलाप की याचना की। येसु, आज भी उसी तरह, नफरत की भयानक उथल-पुथल में शांति का नृत्य उठता है। और हम ख्रीस्तीय शांति के उपकरण बनना चाहते हैं। हमें अपने तरह परिवर्तित कर, येसु, और हमें शक्ति दे, क्योंकि केवल तू ही हमारी ताकत है।

हम एक साथ मिलकर प्रार्थना करते हुए कहें- प्रभु येसु, हममें परिवर्तन ला।

विवेकहीन बिना हथियारों की तस्करी से- प्रभु येसु, हममें परिवर्तन ला।

भोजन के बदले हथियारों के लिए धन आवंटित करने से- प्रभु येसु, हममें परिवर्तन ला।

पैसे की गुलामी से जो युद्ध और अन्याय को जन्म देती है- प्रभु येसु, हममें परिवर्तन ला।

वह भाला छंटाई के औजार में बदल सकते हैं: प्रभु येसु, हममें परिवर्तन ला।

9वाँ  स्थानः येसु तीसरी बार गिरते हैं।

(केन्द्रीय अफ्रीका की एक धर्मसंघी बहन की शांतिमय आवाज)

 मैं तुम लोगों से कहता हूँ-जब तक गेहूँ का दान मिट्टी में गिरकर नहीं मर जाता, तब तक वह अकेला ही रहता है, परन्तु यदि वह मर जाता हैं, तो बहुत फल देता है। जो अपने जीवन को प्यार करता है, वह उसका सर्वनाश करता है औऱ जो इस संसार में अपने जीवन से बैर करता है, वह उसे अनंत जीवन के लिए सुरक्षित रखता है” (यो.12.24-25।

05 दिसम्बर 2013 की सुबह पांच बजे, मैं हथियारों की आवाज से जग गया। आतंकी राजधानी में आक्रमण कर रहे थे। सभी भागने की और अपने को छुपाने की कोशिश कर रहे थे, यद्यपि मरने के लिए एक भड़कती गोली काफी थी। यह अविश्वानीय दुःखों की शुरूआत थी- हत्याएँ, परिवार के लोगों, मित्रों और सहकर्मियों का खोना। मेरी बहन गुम हो गई और कभी लौटकर नहीं आई जिसके कारण मेरे पिता को सदमा लगा। कुछ सालों के बाद वे एक छोटी बीमार के कारण हम से विदा हो गये। मैं निरंतर रोता रहा। मेरे आंखों में आँसू और सवाल “क्यों”...मैंने येसु के बारे में सोचा। वे भी हिंसा के शिकार हुए, इस हद तक कि उन्हें लगा क्रूस से यह पुकार कर कहा “हे मेरे ईश्वर, तुने मुझे क्यों छोड़ दिया हैॽ” मैं अपने क्यों के सवाल को उनके साथ जोड़ता और एक उत्तर मेरे लिए आता है- येसु के समान प्रेम करो जैसे वे तुम्हें प्रेम करते हैं। यह अंधकार में ज्योति के समान था। मुझे समझ में आया कि मुझे प्रेम से शाक्ति प्राप्त करनी है। तब से, हर समय थोड़ी शांति होने पर यूखारीस्त संस्कार में भाग लेता हूँ। पल्ली जाने के लिए कई मार्गों से होकर गुजरना होता है कम से कम तीन विद्रोधी घेरों का। फिर मिस्सा के बाद मिस्सा से मुझ में एक निश्चितता का विकास हुआ, सामान्यतः सारी चीजें यहाँ तक की घर भी खोने के बावजूद जहाँ मैं बड़ा हुआ था मुझे ऐसा लगा, सिवाय ईश्वर को छोड़कर सारी चीजें खत्म हो जाती हैं। इस सोच ने मुझे कुछ मित्रों के साथ, कुछ बच्चों को जमा करने को प्रेरित किया जो सैनिकों के रुप में खेला रहे थे, जिनका भविष्य था, हमने उन्हें सुसमाचार के गुणों आपसी सहायता, क्षमा और ईमानदारी की शिक्षा देनी शुरू की जिससे सच्ची शांति कायम हो सके।

आइए हम एक साथ यह कहते हुए प्रार्थना करें- हमें चंगा कर, प्रभु येसु।

प्रेम नहीं पाने के डर से- हमें चंगा कर, प्रभु येसु।

गलत समझे जाने के डर से- हमें चंगा कर, प्रभु येसु।

भुला दिए जाने के डर से- हमें चंगा कर, प्रभु येसु।

असफलता के डर से- हमें चंगा कर, प्रभु येसु।

10वाँ स्थानः येसु के कपड़ों को उतारा जाता है।

(यूक्रेन और रूस के युवा लोगों से शांतिमय आवाज)

उन्होंने ईसा को क्रूस पर चढ़ाया और किसे क्या मिले इसके लिए चिट्ठी डालकर उनके पकड़े बांट लिये। यह इसलिए हुआ की धर्मग्रंथ का यह कथन पूरा हो जाये, उन्हें मेरे कपड़े आपस में बांट लिये और मेरा वस्त्र पर चिट्ठी डाली (मर, 15.24, यो.19.24)।

1. पिछले साल मेरे माता-पिता मुझे और मेरे छोटे भाई को इटली लाये जहाँ हमारी दादी ने बीस साल से अधिक कार्य किया था। हमने रात को मरियोपोल छोड़ा था। सीमा के पास सैनियों ने मेरे पिता को रोका और उनसे कहा कि उन्हें यूक्रेन में युद्ध के लिए रुकना है। हमने बस से और दो दिन की यात्रा जारी रखी। जब हम इटली पहुंचें तो मैं दुःखी था। मुझे लगा कि मेरा सब कुछ लुट गया है, मेरा कुछ भी नहीं है। मैं भाषा नहीं जानता था और मेरे कोई मित्र नहीं थे। मेरी दादी ने मुझे भाग्यशाली होने की बात कही लेकिन मैं और कुछ केवल घर जाने की बात कहता रहा। अंत में मेरे परिवार ने वापस यूक्रेन जाने को निश्चय किया। यहाँ स्थिति कठिन बनी रही, हर तरफ युद्ध, शहर नष्ट होना। फिर भी मेरे दिल में वह निश्चितता बनी रही जिसके बारे में मेरी दादी मुझे कहा करती थीं, जब मैं रोता था: “सब कुछ ठीक हो जाएगा, तुम देखोगे। और भले ईश्वर की सहायता से शांति लौट आएगी”।

2. मैं, दूसरी ओर रूस से आता हूँ... जैसा कि मैंने कहा, मैं अपने में शर्मिदगी का अनुभव करता हूँ, यद्यपि वहीं इस बात को नहीं समझता की मैं क्योंकि अपने में बुरा अनुभव करता हूँ। मैं अपनी खुशी और भविष्य को अपने से लूटा पाता हूँ। मैंने अपनी दादी और माँ को दो सालों से रोते देखा है। एक पत्र में हमें सूचित किया गया कि मेरे बड़े भाई मर गये हैं, मैं उन्हें अब तक याद करता हूँ, उनके अठारवें सालगिराह में उनका सूर्य की तरह मुस्कुरता चेहरा, और ये सारी चीजें केवल एक सप्ताह के अंदर बदल गईं। सभी ने हमसे कहा कि हमें गर्व होना चाहिए, लेकिन घर में केवल बहुत दुःख और उदासी थी। मेरे पिता और दादा के साथ भी ऐसा ही हुआ था, वे भी चले गए और हमें और कुछ भी नहीं पता। मेरे कुछ सहपाठियों ने बड़े डर के साथ मेरे कान में फुसफुसाया कि युद्ध हो रहा है। जब मैं घर लौटा, मैंने एक प्रार्थना लिखी, येसु कृपया, पूरी दुनिया में शांति स्थापित हो और हम सभी भाई-बहन बने रहें।

हम यह कहते हुए एक साथ प्रार्थना करें- हमें शुद्ध कर, प्रभु येसु।

नाराज़गी और कड़वाहट से- हमें शुद्ध कर, प्रभु येसु।

हिंसक शब्दों और प्रतिक्रियाओं से- हमें शुद्ध कर, प्रभु येसु।

उन दृष्टिकोणों से जो विभाजन पैदा करते हैं- हमें शुद्ध कर, प्रभु येसु।

दूसरों को अपमानित करके अच्छा दिखने की चाहत से- हमें शुद्ध कर, प्रभु येसु।

11वाँ स्थानः येसु क्रूस पर ठोंके जाते हैं।

(मध्यपूर्वी प्रांत के एक युवा की शांतिमय आवाज)

ईसा के  साथ ही उन्होंने  दो डाकूओं को क्रूस पर चढ़ाया- एक को उनके दायें और दूसरे को उनके बायें। उधर से आने-जाने वाले लोग ईसा की निंदा करते और सिर हिलाते हुए यह कहते थे, “ऐ मंदिर ढाने वाले और तीन दिनं केअंदर उसे फिर बना देने वाले। क्रूस से उतर कर अपने को बचा” (मार.15.27-30)।

सन् 2012 में, सशस्त्र चरमपंथियों के एक समूह ने हमारे पड़ोस पर आक्रमण किया और उन लोगों को मारना शुरू कर दिया जो बालकनियों और इमारतों के अंदर थे, उन्होंने मशीनगनों की गोलियों की बौछारों शुरू कर दी। मैं नौ साल का था। मुझे अपने माता-पिता की पीड़ा को याद करता हूँ, शाम को हमने एक-दूसरे को गले लगाते हुए प्रार्थना की, हम आने वाली कठोर वास्तविकता से अवगत थे। प्रतिदिन युद्ध और भी भीषण होता गया। लंबे समय तक प्रकाश और पानी नहीं थाऔर हर जगह कुएँ खोदे गए थे। भोजन की समस्या रोज थी। 2014 में, जब हम छज्जे पर थे, घर के सामने एक बम फटाहम अंदर घुसे और हमें शीशे और कांच के टुकड़ों ने ढँक दिया। कुछ महीने बाद मेरे माता-पिता के कमरे में एक और बम गिरा। वे चमत्कारिक रूप से बच गए और अनिच्छा से देश छोड़ने का फैसला किया। एक और “कलवारी” शुरू हुई,  क्योंकि वीजा प्राप्त करने के दो प्रयासों उपरांत, हमारे पास जहाज़ में चढ़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। हमने अपने जीवन को जोखिम में डालाहम भोर की प्रतीक्षा में एक चट्टान और एक तट रक्षक पोत हेतु रुके रहे। एक बार जब हम बच गए, तो स्थानीय लोगों ने हमारी कठिनाइयों को समझते हुए, बाहें फैलाकर हमारा स्वागत किया। युद्ध हमारे जीवन का क्रूस था। युद्ध आशा को खत्म करती देती है। हमारे देश मेंभयानक प्राकृतिक आपदाओं के कारण कई परिवारबच्चे और बुजुर्ग आशाहीन हैं। येसु के नाम पर, जिसने क्रूस पर अपनी बाहें खोलीं, मेरे लोगों के लिए हाथ बढ़ाई।

हम एक साथ मिलकर प्रार्थना करते हुए कहें- प्रभु येसु, हमें चंगाई प्रदान कर।

वार्ता करने की आयोग्यता से- प्रभु येसु, हमें चंगाई प्रदान कर।

अविश्वास और संदेह से- प्रभु येसु, हमें चंगाई प्रदान कर।

अधीरता और हमारी हड़बड़ी से- प्रभु येसु, हमें चंगाई प्रदान कर।

अपने आप में बंद रहने और उदासीनता से- प्रभु येसु, हमें चंगाई प्रदान कर। 

12वाँ  स्थानः येसु क्रूसित करने वालों को क्षमा करते मर जाते हैं।

(पश्चिम एशिया की एक माता की शांतिपूर्ण आवाज)

ईसा ने कहा, “पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं”। अब लगभग दोपहर हो रहा था। सूर्य के छिप जाने से तीसरे पहर तक सारे प्रदेश पर अंधेरा छाया रहा। मंदिर का पर्दा बीच से फटकर दो टुकड़े हो गया। ईसी ने ऊंचे स्वर में पुकार कर कहा, “पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंपता हूँ” (लूका.23.34.44-46)

06 अगस्त सन् 2014 को शहर बम धमाकों से जग गया। आंतकवादी प्रवेश द्वार पर थे। तीन सप्ताह पहले, उन्होंने शहरों के निकटवर्ती गांवों में हमला किया था, उनमें कूरूता दिखलाई थी। अतः हम भाग गये, लेकिन कुछ दिनों के बाद हम अपने घरों को लौटकर आया। एक सुबह, जब हम व्यस्त थे औऱ बच्चे घरों के सामने खेल रहे थे, हमने एक तोप के धमाके की आवाज सुनाई दी। मैं दौड़कर बाहर निकली। बच्चों की आवाज सुनाई नहीं दे रही थी लेकिन प्रौढ़ों की आवाज बढ़ गई थी। मेरा बेटा, उसका चचेरा भाई और एकयुवा पड़ोसी जो विवाह की तैयारी में लगे थे घटने का शिकार हुए और मारे गये थे। इन तीन बच्चों की मौत ने हमें भागने को विवश कर दिया- यदि यह घटना उनके साथ नहीं घटी होती, हम शहर में ही रहते और अपरिहार्य रुप से आंतवादियों के शिकार होते। इस घटना को स्वीकारना मुश्किल लगता है, यद्यपि,विश्वास मुझे आगे बढ़ने में मदद करती है, क्योंकि यह मुझे इस बात की याद दिलाती है कि मृत येसु की बाहों में हैं। हम बचे हुए लोग आतंकियों क्षमा करने की कोशिश करते हैं क्योंकि येसु ने अपने आतंकियों को क्षमा कर दिया। अतः अपनी मृत्यु में, हम जीवनदाता येसु में विश्वास करते हैं। हम तेरा अनुसारण करना चाहते और साक्ष्य देना चाहते हैं कि तेरा प्रेम सभी चीजों से शक्तिशाली है।

हम एक साथ मिलकर यह कहते हुए प्रार्थना करें- प्रभु येसु, हमें सीखा।

उसी तरह प्रेम करना जैसे तूने हमें प्रेम किया है- प्रभु येसु, हमें सीखा।

उसी तरह क्षमा करना जैसे तूने क्षमा किया है- प्रभु येसु, हमें सीखा।

मेल-मिलाप के लिए प्रथम कदम लेना- प्रभु येसु, हमें सीखा।

बिना किसी चीज की मांग किये अच्छाई करना- प्रभु येसु, हमें सीखा।

13वाँ स्थानः येसु क्रूस से उतारे जाते हैं।

 (पूर्वी आफ्रीका की एक धर्मबहन की शांतिमय आवाज)

कौन हम को ख्रीस्त के प्रेम से वंचित कर सकता है ॽ क्या विपत्ति या संकटॽ क्या अत्याचार, भूख, नग्नता, जोखिम या तलबार ॽ... नहीं, इन सब बातों पर हम उन्हीं के द्वारा सहज ही विजय प्राप्त करते हैं, जिन्होंने हमें प्यार किया (रोम.8.35.37)।

यह 7 सितम्बर 2022 था, वह दिन जब हमारे देश में, हम अपने देश के समझौते की याद करते हैं जिसके द्वारा लोगों को पूर्ण स्वतंत्रता मिली। अचानक कुछ हुआ और हमारी खुशी खत्म हो गई- एक धर्मबहन जो लम्बें  समय तक मिशनरी के रुप में हमारी भूमि पर कार्यरत थी, उनकी हत्या कर दी जाती है। आतंकवादियों ने घर में प्रवेश किया और बिना दया के उन्हें मौत की नींद सुला दी। विजय दिवस हमारे लिए पराजय में बदल गयाः हमारे हृदयों में डर और अनिश्चितता के बाढ़ आ गये। हजारों परिवारों ने जिन्होंने अपने प्रेम करने  वाले की मृत्यु का साक्ष्य दिया एक सच्चाई बन गई- हमारी बाहों में हमारी धर्मबहन का मृत शरीर था। अपने परिवार के प्रियजन, एक मित्र या एक पड़ोसी  की हिंसक मृत्यु को सहन करना सहज नहीं होता है, यह उसी तरह कठिन होता है मानों हमारे घर और संपत्तियों को किसी ने राख में बदल दिया हो और जहाँ हम भविष्य को अंधकारमय पाते हैं। यद्यपि यही हमारे लोगों का जीवन है, यह मेरा जीवन है। फिर भी, जैसे हम सुनते और हम नाजरेत की कुंवारी के बारे में जानते हैं, जो अपनी बाहों में येसु के मृत शरीर को ग्रहण करती और विश्वास भरी निगाहों से उसे निहारती हैं, हमें आशा, शांति और मेल-मिलाप के भविष्य का सपना देखने का साहस कभी नहीं छोड़ना चाहिए। क्योंकि पुनर्जीवित ख्रीस्त का प्रेम हमारे हृदयों में उडेला गया हैक्योंकि वही हमारी शांति हैंवही हमारी सच्ची विजय है। और ऐसा कुछ भी जो हमें उनके प्रेम से कभी अलग नहीं करेगा।

हम एक साथ मिलकर यह कहते हुए प्रार्थना करें- हम पर दया कर, प्रभु येसु ।

भला चरवाहा, तूने अपनी झुंड के लिए अपना जीवन दे दिया- हम पर दया कर, प्रभु येसु।

तूने, मर कर मृत्यु को नष्ट कर दिया- हम पर दया कर, प्रभु येसु।

तूने, अपने बेधित हुए हृदय से जीवन प्रवाहित किया- हम पर दया कर, प्रभु येसु।

तूने, अपने कब्र से इतिहास को प्रकाशित किया है- हम पर दया कर, प्रभु येसु।

14वाँ स्थानः येसु कब्र में रखे जाते हैं।

इसके बाद अरिमथिया के योसेफ... पिलातुस से येसु का पार्थिव शरीर ले जाने की मांग करते हैं, पिलातुस अनुमति दे देते हैं। वह आया और शरीर ले गया। निकोदेमुस भी आ पहुंचा...वह लगभग पचास सेर का गंधरस और अगरु का सम्मिश्रण लाया। उन्होंने येसु का शव लिया, उसे सुगंधित द्रव्यों के साथ छालटी की पट्टियों में लपेटा (यो. 19. 38-40)।

यह शुक्रवार की संध्या बेला थी जब उपद्रवियों में हमारे गाँव पर धावा बोला। वे जितनों को बंदी बना कर ले जा सकते थे ले गये, जो कुछ भी उनके हाथ लगा वे उसे लूट कर अपने साथ ले गये। वहीं दूसरी ओर उन्होंने बहुत से पुरूषों को गोलियों या चाकूओं के घाट उतार दिया। वे स्त्रियों को एक पार्क में ले गये। हर रोज हमारे शरीर और आत्मा के साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। उन्होंने हमें वस्त्र और सम्मानहीन किया, हमें नंगा रहने को बाध्य किया जिससे हम भाग न सकें। जब उन्होंने हमें पानी लाने को नदी भेजा, सौभाग्यवश मैं वहाँ से भागने में सफल रही। हमारे प्रांत आज भी आंसूओं और दर्द के स्थल बने हैं। जब हमारे देश में संत पापा आये तो हमने येसु के क्रूस के नीचे बंदुकधारियों के वस्त्रों को रखा, जो हमें आज भी भयभीत करते हैं। उन्होंने हमारे साथ जो कुछ भी किया, येसु के नाम पर हमने उन्हें माफ कर दिया। हम ईश्वर से शांतिपूर्ण मानव सह-अस्तित्व की कृपा मांगते हैं। हम यह जानते और विश्वास करते हैं कि कब्र आखरी आराम का स्थल नहीं है, हम सभी स्वर्गीय येरुसालेम के नये जीवन हेतु बुलाये गये हैं।

आइए हम यह कहते हुए एक साथ प्रार्थना करेः प्रभु येसु, हमें सुरक्षित रख।

उस आशा में जो हमें निराश नहीं करती: प्रभु येसु, हमें सुरक्षित रख।

उस ज्योति में जो नहीं बुझती: प्रभु येसु,  हमें सुरक्षित रख।

उस क्षमा में जो हृदय को नया बनाती है: प्रभु येसु,  हमें सुरक्षित रख।

उस शांति में जो हमें धन्य बनाती है: प्रभु येसु, हमें सुरक्षित रख।

अंतिम प्रार्थनाः प्रभु येसु, पिता के अनंत शब्द, तू हमारे लिए मौन धारण किया। उसी मौन शांति में हम तेरी कब्र की ओर आते हैं, तेरे संग क्रूस यात्रा करते हुए हमारे पास अब भी एक शब्द है जिसे हम तूझे कहना चाहते हैं, धन्यवाद।

धन्यवाद, प्रभु येसु, उस नम्रता के लिए जो अहंकार का आलिंगन करती है।

धन्यवाद, उस साहस के लिए जिसके द्वार तूने क्रूस को गले लगाया।

धन्यवाद, उन घावों के लिए जहाँ से शांति प्रवाहित होती है। 

धन्यवाद, अपनी पवित्र माता को हमारी प्यारी माता के रुप में देने के लिए।

धन्यवाद, धोखे की स्थिति में भी हमें अपना प्यार प्रदर्शित करने के लिए।

धन्यवाद, हमारी आंसूओं को मुस्कानों में बदले के लिए।

धन्यवाद, हममें से हर किसी को बिना भेद-भाव प्रेम करने के लिए।

धन्यवाद, परीक्षा की घड़ी में आशा जागृत करने के लिए।

धन्यवाद, उस करूणा के लिए जो हमारे दुःखों से चंगाई दिलाती है।

धन्यवाद, अपने को सारी चीजों के वंचित करने के लिए जो हमें धनी बनाता है।

धन्यवाद, क्रूस के काठ को जीवनदायी वृक्ष में बदले के लिए।

धन्यवाद, उन्हें क्षमा करने के लिए जिन्होंने तूझें मौत की सजा दी।

धन्यवाद, मौत पर विजयी प्राप्त करने के लिए।

धन्यवाद,  प्रभु येसु क्योंकि तूने हमारे जीवन के अंधेरी रातों में ज्योति जलाई है। तूने हमारे विभाजनों में मेल-मिलाप लाया है, तूने हमें उस पिता की संतान स्वरुप भाई-बहनें बनाया जो स्वर्ग में निवास करते हैं।

हे पिता हमारे...।

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07 April 2023, 22:44