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नई दिल्ली में पहला विश्वव्यापी बौद्ध शीर्ष सम्मेलन, 20.04.2023 नई दिल्ली में पहला विश्वव्यापी बौद्ध शीर्ष सम्मेलन, 20.04.2023  (ANSA)

बौद्ध धर्म के महापर्व वेसाख पर वाटिकन ने भेजा शुभकामना सन्देश

वाटिकन स्थित अन्तरधार्मिक परिसम्वाद सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद ने शुक्रवार को एक सन्देश प्रकाशित वेसाख महापर्व के उपलक्ष्य में समस्त विश्व के बौद्ध धर्मानुयायियों को शुभकामनाएँ प्रेषित की हैं तथा आशा व्यक्त की है यह त्यौहार दुख की प्रकृति, इसके कारण होने वाली स्थितियों और इसके निदान विषयक अंतर्दृष्टि हेतु खोज जारी रखने के लिए सभी को प्रेरित करे।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटीष शुक्रवार, 21 अप्रैल 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन स्थित अन्तरधार्मिक परिसम्वाद सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद ने शुक्रवार को एक सन्देश प्रकाशित वेसाख महापर्व के उपलक्ष्य में समस्त विश्व के बौद्ध धर्मानुयायियों को शुभकामनाएँ प्रेषित की हैं तथा आशा व्यक्त की है  यह त्यौहार दुख की प्रकृति, इसके कारण होने वाली स्थितियों और इसके निदान विषयक अंतर्दृष्टि हेतु खोज जारी रखने के लिए सभी को प्रेरित करे।

दुख का मर्म

सन्देश में कहा गया कि जीवन में पीड़ा और घाव का अपना हिस्सा है, और उत्सव के अवसर हमारी दैनिक दिनचर्या से आवश्यक दूरी प्रदान कर सकते हैं ताकि हम नए सिरे से उनका सामना करने के लिये तैयार हो सकें।

इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया कि विश्व को पीड़ित करने वाले घाव कई हैं: ग़रीबी, भेदभाव और हिंसा; गरीबों के प्रति उदासीनता, विकास के मॉडल से उत्पन्न दासता जो मानव व्यक्ति और प्रकृति का सम्मान करने में विफल रहती है; घृणा प्रेरित, धार्मिक और राष्ट्रवादी अतिवाद से प्रेरित हिंसा; और सबसे बढ़कर, विभिन्न प्रकार की चिंता और लत के माध्यम से व्यक्त जीवन के प्रति एक निराशाजनक रवैया।

ये सभी वास्तविकताएं हमारी साझा कमज़ोरियों को दर्दनाक रूप से उजागर करती हैं। ये कमज़ोरियाँ हमारी संबंधित धार्मिक परंपराओं के अनुकूल एकजुटता के नए रूपों का आह्वान करती हैं, जिसके लिए हम "मानव स्थिति की अनसुलझी पहेलियों के उत्तर की तलाश करते हैं, जो मनुष्यों के दिलों का गहराई से स्पर्श करती हैं।"

धार्मिक परंपराओं की क्षमता

सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों को उद्धृत कर सन्देश में कहा गया कि क्योंकि हम एक मानव परिवार हैं, हम सभी एक दूसरे के भाई और बहन हैं, हम पृथ्वी के अन्योन्याश्रित सह-निवासी हैं। हम एक ही नाव में सवार हैं, "जहाँ एक व्यक्ति की समस्याएँ सभी की समस्याएँ हैं। एक बार फिर, हम महसूस करते हैं कि कोई भी अकेला नहीं बचा है; हम केवल एक साथ बचाए जा सकते हैं।" यही कारण है कि हम अपने गंभीर घावों, और हमारे परिवारों, हमारे राष्ट्रों और हमारे ग्रह को ठीक करने में सक्षम उपचारों की पेशकश करने के लिए हमारी संबंधित धार्मिक परंपराओं की क्षमता को याद करना उचित मानते हैं।

सन्देश में कहा गया, प्रिय बौद्ध मित्रो, जब आप करुणा का वरण करते हैं, बुद्ध द्वारा सिखाए गए सभी प्राणियों के प्रति करुणा को अपनाते हैं, या जब आप बोधिसत्व के रूप में निस्वार्थ रूप से कार्य करते हैं, जो निर्वाण में प्रवेश करते हैं और दुनिया में बने रहते हुए आप चिकित्सा प्रदान करते तथा मोक्ष तक सभी प्राणियों की पीड़ा को दूर करने के लिए काम करते हैं। इसी प्रकार, ख्रीस्तीय धर्मानुयायी भी अन्यों के प्रति दया और प्रेम की भावना रखकर येसु ख्रीस्त का अनुसरण करते हैं। सन्त लूकस रचित सुसमाचार के अनुसार प्रभु येसु मसीह भले समारी का दृष्टान्त देते हैं। "एक सामरी चलते-चलते वहां पहुंचा जहाँ घायल पड़ा था, उसे देखकर उसने तरस खाया, और उसके पास जाकर उसके घावों पर तेल और दाखमधु डालकर पट्टियां बान्धी, और उसे एक सराय में ले गया, और उसकी देखभाल की।" भले समारी ने ज़रूरतमन्द के प्रति ठोस सामीप्य प्रदर्शित किया था। उसी प्रकार हम सब भी सन्त पापा फ्राँसिस के आह्वान का प्रत्युत्तर देकर दयापूर्वक ज़रूरमन्दों की सहायता करें।   

हमारी मंगल आशा है कि हम सभी प्रेम और करुणा से परिपूरित जीवन यापन का प्रयास करें, तथा एक न्यायपूर्ण, शांतिपूर्ण और एकजुट विश्व के निर्माण के लिये काम करें।

 

 

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21 April 2023, 11:53