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महाधर्माध्यक्ष फिसिकेला महाधर्माध्यक्ष फिसिकेला  (ANSA)

महाधर्माध्यक्ष फिसिकेला: सुसमाचार को डिजिटल संस्कृति में अवतरित होना चाहिए

सुसमाचार प्रचार हेतु गठित परमधर्मपीठीय विभाग के प्रो-प्रीफेक्ट महाधर्माध्यक्ष रिनो फिसिकेला ने आयरलैंड के मेनुथ में एक सम्मेलन को संबोधित किया और ख्रीस्तियों से ऑनलाइन और व्यक्तिगत रूप से बातचीत में विश्वसनीय गवाह बनने का आग्रह किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

आयरलैंड,मेनुथ, बुधवार 26 अप्रैल 2023 (वाटिकन न्यूज) : "कलीसिया इसलिए सुसमाचार का प्रचार नहीं करती है क्योंकि उसे धर्मनिरपेक्षता की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है, बल्कि इसलिए कि उसे हर प्राणी के समक्ष सुसमाचार की घोषणा करने के लिए प्रभु की आज्ञा का पालन करना चाहिए।"

सुसमाचार प्रचार के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग के प्रो-प्रीफेक्ट महाधर्माध्यक्ष रिनो फिसिकेला ने मंगलवार को आयरलैंड के मेनुथ स्थित संत पाट्रिक परमधर्मपीठीय विश्वविद्यालय में  "सुसमाचार और बुलाहट" नामक सम्मेलन में इस पर विचार करने की पेशकश की।

सुसमाचार का सांस्कृतिक अवतरण

महाधर्माध्यक्ष फिसिकेला ने कहा कि ख्रीस्तीय धर्म को इतिहास में सन्निहित और अवतरित होना चाहिए और इसलिए कलीसिया को "संस्कृति में प्रवेश करने और इतिहास रचने" की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा,जैसा कि कलीसिया पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन में सुसमाचार प्रचार के नए रास्तों की खोज करना चाहती है, ख्रीस्तियों को मानव गतिविधि के सभी क्षेत्रों में "हर जगह, हर किसी के द्वारा किये गये विश्वास को प्रसारित करना चाहिए।"

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "डिजिटल संस्कृति" संस्कृति के एक नए रूप का प्रतिनिधित्व करती है जो "आने वाली शताब्दियों को निर्धारित करेगी" और जिसे कलीसिया द्वारा समझा और अपनाया जाना चाहिए।

"इंटरनेट निश्चित रूप से लोगों के बीच संवाद, मुलाकात और आदान-प्रदान के अवसर के साथ-साथ सूचना और ज्ञान तक पहुंच का प्रतिनिधित्व करता है। परंतु "असली सवाल" यह नहीं है कि कैसे सुसमाचार प्रचार करने के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जाए, बल्कि यह है कि डिजिटल महाद्वीप पर सुसमाचार प्रचारक की उपस्थिति कैसे बनें।

डिजिटल और व्यक्तिगत मुलाकात

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, सुसमाचार प्रचार केवल डिजिटल माध्यमों से ही नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इसका परिणाम "कमजोर और अप्रभावी सुसमाचार प्रचार" होगा। उन्होंने कहा, गवाही देने के कार्य में पारस्परिक आदान-प्रदान शामिल होना चाहिए, जो प्रभु के साथ हमारे व्यक्तिगत मुलाकात और मिशन के लिए हमारी बुलाहट से प्रवाहित होता है।

"यदि येसु मसीह के रहस्योद्घाटन की नवीनता और मौलिकता विफल हो जाती है, तो समकालीन दुनिया में कलीसिया की उपस्थिति बेकार हो जाएगी।"

दूसरों को मसीह की ओर मार्गदर्शन करने की बुलाहट

महाधर्माध्यक्ष फिसिकेला ने ख्रीस्तीय बुलाहट पर विचार करना जारी रखा, जिसमें ईश्वर की पुकार की खोज शामिल है, न कि हमारी पहल।

उन्होंने मेनुथ में सम्मेलन में भाग लेने वाले सेमिनारियों से युवा लोगों को मदद करने का आग्रह किया क्योंकि वे इस अशांत समय अपने जीवन नैया को आगे बढ़ा रहे हैं।

उन्होंने कहा, युवाओं को उनकी बुलाहट की खोज में मदद करने के लिए, उस व्यक्ति के ज्ञान की आवश्यकता है जो जानता है कि स्वतंत्रता की ओर किसी और का संचालन करने की जिम्मेदारी है।"

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि उपदेश कभी भी बासी, स्थिर अभ्यास नहीं है, बल्कि ईश्वर के वचन और कलीसिया के जीवन के बीच एक गतिशील आदान-प्रदान है।

 मसीह का प्रेम काल्पनिक नहीं है

अंत में, सुसमाचार प्रचार विभाग के प्रो-प्रीफेक्ट ने याद किया कि जो सुसमाचार प्रचारक का जीवन उसी तरह होना चाहिए जैसा वह वचन का प्रचार करता है। महाधर्माध्यक्ष फिसिकेला ने कहा कि पुरोहित का जीवन दर्शाता है कि जब वे पौरोहित्य जीवन का चुनाव करते हैं तो वे अपनी मानवता में कुछ भी नहीं खोते है।

अंत में उन्होंने कहा,  "पुरोहित एक ठोस संकेत होना चाहिए कि ख्रीस्त का प्रेम काल्पनिक नहीं है ... लेकिन एक वास्तविकता है, जिसे कोई भी व्यक्ति तब अनुभव कर सकता है जब वह अपने जीवन को स्वतंत्र रूप से देना चाहता है।"

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26 April 2023, 16:50