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वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण का एक दृश्य, प्रतीकात्मक तस्वीर वाटिकन स्थित सन्त पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण का एक दृश्य, प्रतीकात्मक तस्वीर  (AFP or licensors)

"वर्तमान विश्व में कलीसिया", द्वितीय वाटिकन महासभा पर एक चिन्तन

"वर्तमान विश्व में कलीसिया",शीर्षक से संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष चेसारे पागात्सी द्वारा लिखी गई पुस्तक 2025 में मनाये जानेवाले पवित्र वर्ष की पृष्टभूमि में द्वितीय वाटिकन महासभा पर एक चिन्तन प्रस्तुत करती है।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 3 मार्च 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): "वर्तमान विश्व में कलीसिया",शीर्षक से संस्कृति एवं शिक्षा सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष महाधर्माध्यक्ष चेसारे पागात्सी द्वारा लिखी गई पुस्तक 2025 में मनाये जानेवाले पवित्र वर्ष की पृष्टभूमि में द्वितीय वाटिकन महासभा पर एक चिन्तन प्रस्तुत करती है।  

इटली के काथलिक टी.वी. चैनल टेलेपाचे के साथ सम्पन्न बातचीत में महाधर्माध्यक्ष पागात्सी ने कहा कि ये द्वितीय वाटिकन महासभा के संविधान से प्रेरित पृष्ठ हैं, जो वास्तव में, समकालीन आयाम में कलीसिया की उपस्थिति और उसकी शैली पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उन्होंने कहा कि पवित्र वर्ष के समारोहों की परिणति का प्रतिनिधित्व करनेवाली इस पुस्तक के प्रकाशन का यह उपयुक्त अवसर हो सकता है, जो कलीसिया के कार्यों में संलग्न ख्रीस्तीयों को "हर जगह ईश्वर के प्रेम और ईश्वर की दयालु उपस्थिति" का साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु प्रेरित करती है।

ईश्वर सान्तवना के स्रोत

महाधर्माध्यक्ष ने कहा कि यह ख्रीस्त के अनुयायियों के लिये एक विशेष आदेश है: वास्तव में यह केवल उनके लिए है जो कलीसिया जैसे एक सुपरिभाषित भौतिक स्थान में की जानेवाली आराधना के दौरान दोहराते हैः "प्रभु सम्पूर्ण धरती तेरी महिमा से परिपूर्ण है"। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में ख्रीस्त के अनुयायियों को विश्वास के परिप्रेक्ष्य में यह व्यावहारिक संकेत दिया गया है कि वे अपने दैनिक जीवन में येसु मसीह की शैली और समावेशी व्यवहार को अपनाएं।

इस तथ्य को रेखांकित करते हुए सन्त पापा फ्रांसिस ने पवित्र वर्ष 2025 को आशा पर केन्द्रित रखना चाहा है, महाधर्मध्यक्ष पागात्सी ने कहा कि विश्व पत्र "गाऊदियुम एत स्पेस" में इस विषय पर गूढ़ चिन्तन निहित है, जिसमें "दर्द और पीड़ा" के महत्व पर ध्यान आकर्षित कराया गया है। उन्होंने कहा कि हम कह सकते हैं, "कि यहाँ हम प्रभावोत्पादकता की काथलिक दृष्टि पाते हैं, जो संपूर्ण, पूर्ण और परिपूर्ण को देखती है"।

दुख का सुसमाचारी महत्व

दुख, निराशा और उदासी के सुसमाचारी मूल्य को समझाते हुए महाधर्माध्यक्ष पागात्सी ने बाईबिल धर्मग्रन्थ के इसायाह के ग्रन्थ के 66 वें अध्याय का स्मरण दिलाया जिसमें मां की भूमिका प्रकाशित की गई है, जिस प्रकार से माँ अपने दुधमुँहे बच्चे का पालन पोषण करती और उसके लिये प्यार और दया का स्रोत बनती है उसी प्रकार पिता ईश्वर के साथ भी हम मनुष्यों का सम्बन्ध है। "ईश्वर हमें तब सांत्वना देते हैं, जब वे हमारे समीप होते हैं, लेकिन उनकी सान्तवना उस समय भी कम नहीं होती जब हमें लगता है कि ईश्वर हमसे बहुत दूर हैं, इसलिये कि ईश्वर ही हमारी आशा का स्रोत हैं।"

महाधर्माध्यक्ष पागात्सी ने कहा कि "जहाँ हर कोई असफलता देखता है, वहाँ माता-पिता, 'आप कर सकते हैं' के संरक्षक होते हैं और इसलिए वे आशा के भी संरक्षक हैं"। उन्होंने कहा कि दया को समर्पित पवित्र वर्ष 2025 प्रभु ईश्वर की करुणा पर चिन्तन का हम सबसे आग्रह करता है तथा कभी भी हतोत्साहित न होने का आमंत्रण देता है।  

 

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03 March 2023, 11:36