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कोलोम्बिया  की जनजातियों एवं देशज लोग, प्रतीकात्मक तस्वीर   कोलोम्बिया की जनजातियों एवं देशज लोग, प्रतीकात्मक तस्वीर   (AFP or licensors)

कलीसिया जनजातियों की रक्षा करती है, संयुक्त वकतव्य

संस्कृति सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद तथा अखण्ड मानव विकास सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद का एक "संयुक्त वक्तव्य" औपचारिक रूप से "उन अवधारणाओं का खंडन करता है जो जनजातियों के मानव अधिकारों को पहचानने में विफल हैं तथा जिसे कानूनी और राजनीतिक 'खोज के सिद्धांत' के रूप में जाना जाता है।"

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 31 मार्च 2023 (रेई, वाटिकन रेडियो): संस्कृति सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद तथा अखण्ड मानव विकास सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद का एक "संयुक्त वक्तव्य" औपचारिक रूप से "उन अवधारणाओं का खंडन करता है जो जनजातियों के मानव अधिकारों को पहचानने में विफल हैं तथा जिसे कानूनी और राजनीतिक 'खोज के सिद्धांत' के रूप में जाना जाता है।"

जनजातियों के प्रति जागरुक

संस्कृति सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद तथा अखण्ड मानव विकास सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के गुरुवार को प्रकाशित एक "संयुक्त वक्तव्य"  के अनुसार, जनजातियों के लोगों के साथ संवाद द्वारा, "काथलिक कलीसिया ने जनजातियों के उनकी भूमि से निष्कासन के कारण, उनके अतीत और वर्तमान के कष्टों के बारे में अधिक जागरूकता प्राप्त की है। साथ ही उस समय के सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रचारित जबरन अधिकरण तथा जनजातियों की स्वदेशी संस्कृतियों को ख़त्म करने की नीतियों के बारे में भी जागरुकता को कलीसिया ने प्रोत्साहित किया है।

दस्तावेज़ में कहा गया है कि "खोज का सिद्धांत", जो जनजातियों की भूमि पर उपनिवेशवादियों की संप्रभुता का औचित्य ठहराता है, "काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा का हिस्सा नहीं है।" "संयुक्त वक्तव्य"  इस बात की पुष्टि करता है कि उपनिवेशवादी शासकों को ऐसे "अधिकार" प्रदान करने वाली सन्त पापाओं की सीलें कभी भी काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा का हिस्सा नहीं रही हैं।

उपनिवेदवादी मानसिकता का बहिष्कार

उपनिवेदवादी मानसिकता का बहिष्कार करते हुए उक्त वकतव्य में कहा गया, "इतिहास के अन्तराल में, "सन्त पापाओं ने हिंसा, उत्पीड़न, सामाजिक अन्याय और दासता के कृत्यों की निंदा की है, जिसमें जनजातियों एवं स्वदेशी लोगों के खिलाफ किए गए दुष्कर्म भी शामिल हैं।" अनेक धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धार्मिक महिलाओं तथा पुरुषों के असंख्य उदाहरणों की ओर भी ध्यान आकर्षित कराया गया जिन्होंने जनजातियों एवं देशज लोगों की गरिमा की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।

वकतव्य में सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों को उद्धृत कर कहा गया: " ख्रीस्तीय समुदाय फिर कभी भी खुद को इस विचार से संक्रमित होने की अनुमति नहीं दे सकता कि एक संस्कृति दूसरों से श्रेष्ठ है, या यह कि दूसरों को ज़बरदस्ती करने के तरीकों को नियोजित करना वैध है।" कहा गया कि, "बिना किसी अनिश्चित शब्दों के, काथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा प्रत्येक मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा के सम्मान को बनाए रखने में विश्वास करती है।" अन्त में कहा गया, "काथलिक कलीसिया इसीलिए उन अवधारणाओं के खण्डन को दोहराती है जो जनजातियों एवं स्वदेशी लोगों के अंतर्निहित मानवाधिकारों को पहचानने में विफल हैं, और जिसे कानूनी और राजनीतिक 'खोज के सिद्धांत' के रूप में जाना जाता है।

 

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31 March 2023, 11:16