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कोप 27 ˸ भूखमरी, संघर्ष, जलवायु व असमानता "सब एक-दूसरे से जुड़े हैं"

मिस्र में चल रहे कोप 27 सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने कहा है कि हम जलवायु संकट एवं भोजन तथा जल के अभाव के बीच संबंध को अनदेखा नहीं कर सकते।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्र परोलिन ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के जलवायु परिवर्तन पर कोप 27 के सम्मेलन में खाद्य और जल सुरक्षा पर गोलमेज बैठक को सम्बोधित किया।

उन्होंने इन समस्याओं के समाधान के लिए कुछ प्रस्ताव रखने से पहले एक ओर खाद्य और जल सुरक्षा के बीच घनिष्ठ संबंध और दूसरी ओर युद्ध, जलवायु और आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों पर जोर दिया।

आपस में एक-दूसरे से जुड़े हुए

कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन के सम्बोधन का मुख्य विषय था – खाद्य सुरक्षा एवं जल सुरक्षा जो अन्य वैश्विक मुद्दों के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं।

अंतर्संयोजनात्मकता संत पापा फ्राँसिस के 2015 में पर्यावरण पर प्रकाशित विश्व पत्र लौदातो सी की विषयवस्तु है।

कार्डिनल परोलिन ने खाद्य सुरक्षा का उल्लेख करते हुए अपने सम्बोधन में कहा कि "भूखमरी और कुपोषण की समस्याएँ, युद्ध एवं संघर्षों, जलवायु संकट, बाजार अवरोधों, असामानता, संसाधनों को नहीं बांटने की इच्छा और प्रकृति को दरकिनार करने के कारण बढ़ रहे हैं। ये सभी एक-दूसरे से आपस में जुड़े हुए हैं।"

उन्होंने कहा कि "जलवायु परिवर्तन खाद्य प्रणालियों के हर घटक के कामकाज को प्रभावित करता है, जिससे दुनिया के क्षेत्रों और समाज में लोगों के बीच असमानता बढ़ती है, साथ ही महिलाओं और बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।"

इसी तरह, जल सुरक्षा पर अपने संबोधन में, कार्डिनल पारोलिन ने रेखांकित किया कि, "खाद्य उत्पादन में एक प्रमुख निवेश के रूप में, खाद्य प्रणालियों के कामकाज के लिए पानी भी आवश्यक है।"

उन्होंने कहा, “हम खाद्य संकट और जलवायु संकट के बीच उस सीधे संबंध को नजरअंदाज नहीं कर सकते। जल सुरक्षा, जलवायु नीतियों में एक आवश्यक भूमिका निभा सकती है और निभानी चाहिए एवं इसे राष्ट्रीय जलवायु रणनीतियों में शामिल किया जाना चाहिए।”

प्रस्ताव

अपने सम्बोधन में कार्डिनल परोलिन ने कई प्रस्ताव रखे ताकि विभिन्न देशों तो वर्तमान की समस्याओं से संघर्ष करने में मदद मिल सके।

खाद्य सुरक्षा के विषय पर उन्होंने निम्नलिखित सुझाव दिये ˸ सतत् उत्पादन और भूमि प्रबंधन को बढ़ावा दिया जाए, खाद्य आपूर्ति के लिए कमजोर लोगों की पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए कार्यक्रम की शुरूआत की जाए, टिकाऊ आहार को प्रोत्साहित किया जाए, खाद्य अपशिष्ट और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए उत्पादन और खपत दोनों में हस्तक्षेप किया जाए और जलवायु वित्तपोषण में खाद्य प्रणालियों को शामिल किया जाए।

दूसरी ओर, जल सुरक्षा की चर्चा के दौरान, उन्होंने कृषि प्रबंधन में सुधार, सीमा पार जल प्रणालियों के साथ पानी के बंटवारे में सामंजस्य स्थापित करने, पानी और खाद्य हानि को कम करने के लिए उत्पादन और खपत दोनों में हस्तक्षेप करने, पोषण और स्वास्थ्य हस्तक्षेप के साथ जल हस्तक्षेपों का समन्वय करने एवं सुधार करने की सिफारिश की। उन्होंने जल-खाद्य प्रणाली संबंधों की गुणवत्ता और निगरानी तथा जल पहुंच में सामाजिक असमानताओं को दूर करने पर भी जोर दिया।

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10 November 2022, 16:59