खोज

संत पेत्रुस का प्रांगण संत पेत्रुस का प्रांगण  संपादकीय

दो सत्रों में धर्मसभा भागीदारी को प्रोत्साहित करेगी

वाटिकन समाचार के संपादकीय निदेशक ने कहा है कि 2023 और 2024 में धर्मसभा को दो सत्रों तक विस्तारित करने का निर्णय,एक प्रेरितिक कलीसिया की वास्तविकता को दर्शाता है जिसमें हर एक जन शामिल है।

आद्रेया तोरनेल्ली

वाटिकन सिटी, सोमवार, 17 अक्तूबर 2022 (रेई) संत पापा फ्रांसिस द्वारा दो सत्रों में धर्मसभा के विस्तार की घोषणा उपरांत वाटिकन समाचार के संपादकीय निदेशक आद्रेया तोरनेल्ली ने अपने संपादकीय में लिखा कि दो सत्रों में धर्मसभा का विस्तार कलीसिया की प्रेरिताई में तीव्रता को व्यक्त करती है जिसमें हर विश्वासी शामिल है।

यात्रा शुरू हुई है, लेकिन बहुत प्रयासों के बिना नहीं। यात्रा शुरू हो गई है और इस यात्रा का उद्देश्य हर किसी की सहभागिता और भागीदारी के माध्यम कलीसिया के सामान्य जीवन को बदलना है, यह अपने जीवन को नवीनीकृत करना और ख्रीस्तीय समुदायों को सुसमाचार के प्रति और अधिक वफादार होने में मदद करना है जिससे प्रेरिताई के कार्य अधिकाधिक फलहित हो सके।

रविवार को देवदूत प्रार्थना के उपरांत संत पापा फ्राँसिस ने इस बात की घोषणा की कि आगामी धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की अगली आमसभा दो सत्रों में होगी, एक वर्ष 2023 के अक्टूबर में और दूसरा अक्टूबर 2024 में, यह इस तथ्य की ओर इंगित करता है कि संत पापा के सपने क्या हैं जो अपने में धीरे-धीरे फलहित होती जान पड़ती है।

कई योगदान जो महाद्वीपीय धर्माध्यक्षीय धर्मसभाओं की ओर से आये हैं और आते भी रहेंगे, जिनकी पूरी तरह से सराहना करने की आवश्यकता है, ताकि प्रत्येक बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति अपने पल्ली पुरोहितों और कलीसियाई अगुवों के संग इस यात्रा में चलने हेतु बुलाये जाने का एहसास करे।   

इस महान अवसर को हमें नहीं खोना चाहिए जहाँ हम चीजों को एक नये दृष्टिकोण से देखने हेतु बुलाये गये हैं- चाहे “हम सदैव अतीत की ओर देखें” या प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाये।

द्वितीय वाटिकन महासभा की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर 11 अक्टूबर को अपने संबोधन में, संत पापा फ्राँसिस ने कहा, “कलीसिया को सबसे पहले ऊपर से देखा जाना चाहिए, ईश्वर की निगाहों से, उन आँखों से जो प्रेम से भरी हों। आइए हम खुद से पूछें कि क्या हम, कलीसिया में, ईश्वर से शुरू करते हैं जो हम पर अपनी प्रेमपूर्ण नजर रखते हैं। हम हमेशा ईश्वर से नहीं बल्कि खुद से शुरू करने के प्रलोभन में पड़ जाते हैं, जहाँ हम सुसमाचार के अनुरूप ईश्वरीय योजना के बदले अपनी योजनाओं को अधिक महत्व देते हैं। इस भांति हम अपने को सांसारिकता की हवाओं में उड़ने देते जो वर्तमान जीवन शैली के पीछे भागती है। हम अपने को ईश्वरीय कृपा की ओर अभिमुख करें जिससे हम अपने कदमों को पुनः पहचान सकें।

सिनोडलिटी की गहरी समझ

ईश्वर की प्रेममयी दृष्टि से उस आनंद के साथ प्रारंभ करना जो प्रेम, स्वागत और उसके सहचर्य की अनुभूति से प्रवाहित होता है, जो धर्मसभा को समझने हेतु एक महत्वपूर्ण बात है। कलीसिया की उत्पत्ति सुसमाचार की घोषणा के लिए हुई है। और कलीसिया की संरचनाएं केवल इसी उद्देश्य के लिए हैं।

देवदूत प्रार्थना में संत पापा की घोषणा हमें बताती है कि कलीसिया में धर्मसभा एक प्रक्रिया है, न कि कलीसियाई संरचनाओं का त्वरित पुनर्गठन जहां वास्तव में कुछ भी नहीं बदलता है।

धर्मसभा की आमसभा के समय को, एक से दो वर्ष तक ले जाने का अर्थ है, वास्तव में अब तक उभरे व्यक्तिगत विषयों की तुलना में तरीकों और प्रक्रिया को अधिक महत्वपूर्ण रुप में देखना है जिसे संबोधित करने की आवश्यकता है।

सभों के शामिल करने की प्रक्रिया जो स्थानीय कलीसियाओं में 2021 में शुरू हुई, 112 (114 में से) धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों को इस बात के लिए प्रेरित किया है कि वे ईशप्रज्ञा को सुने  और उनपर विस्तृत विचार-विमर्श करें। यह आशा में चिह्नित एक नेक शुरुआत है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

17 October 2022, 17:15