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ब्राजील के आदिवासी ब्राजील के आदिवासी 

वाटिकन ने आदिवासियों के सम्मान और सुरक्षा के अधिकार को प्रोत्साहित किया

संयुक्ट राष्ट्र के लिए परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक महाधर्माध्यक्ष फोरतुनातुस नोवाकुक्वा ने जेनेवा में 51वें सत्र को सम्बोधित करते हुए आदिवासियों के अधिकार का सम्मान करने का प्रोत्साहन दिया तथा परम्परागत ज्ञान एवं क्षमता को संचय रखने के महत्व की रक्षा करने में आदिवासी महिलाओं की भूमिका की सराहना की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

जेनेवा में मानव अधिकार समिति के 51वें सत्र को सम्बोधित करते हुए महाधर्माध्यक्ष फोरतुनातुस नवाकुक्वा ने "एकजुटता में वैश्वीकरण" को बढ़ावा देने के प्रयास का आह्वान किया। जो विविध संस्कृतियों का सम्मान करता है और सभी की अंतर्निहित गरिमा की मान्यता सुनिश्चित करता है।

जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र के लिए परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक आदिवासी लोगों के अधिकारों पर संवादात्मक वार्ता के दौरान एजेंडा के विषय 3 पर बोल रहे थे।

आदिवासी लोगों के लिए सम्मान

सत्र को सम्बोधित करते हुए महाधर्माध्यक्ष ने चेतावनी दी कि आदिवासी लोगों के वास्तविक जीवन की अवहेलना और "वैचारिक उपनिवेशीकरण" के रूप में पूर्व निर्धारित सांस्कृतिक मॉडलों को थोपने से उनकी परंपराओं, इतिहास और धार्मिक बंधनों को खतरा है।

अमाजोन पर सिनॉड के उपरांत प्रकाशित प्रबोधन क्वारिदा अमाजोनिया में संत पापा ने याद की थी कि कई आदिवासी प्रकृति के विनाश के कारण असहय हो गये हैं जिनसे वे भोजन प्राप्त करते एवं स्वस्थ रहते हैं, अपनी संस्कृति को बनाये रखते हैं जो उन्हें पहचान एवं अर्थ प्रदान करती है।    

इसके अलावा, लगातार बढ़ती चरम जलवायु घटनाओं और संसाधनों के दोहन के कारण कई लोगों को अपनी भूमि से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

स्थायी पर्यावेक्षक ने आगे जोर दिया कि आदिवासी लोगों और उनकी भूमि के बीच मौलिक संबंधों से वंचित होना "भाषाओं, पारंपरिक ज्ञान और लोककथाओं के प्रसारण को खतरे में डालता है", और अक्सर "अपमानजनक स्थिति में रहने, शिक्षा तक पहुंच की कमी और पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल" का कारण बनता है।

इसके आलोक में महाधर्माध्यक्ष ने आदिवासियों की संस्कृति, परम्परा, रीति-रिवाज और भाषा का सम्मान करने पर जोर दिया। उन्होंने "एकजुटता में वैश्वीकरण" के साथ-साथ रचनात्मक और समावेशी संवाद की दिशा में प्रयास करने का आह्वान किया, जो एक सांस्कृतिक मॉडल के हिंसक रूप से थोपने के बजाय "हर मानव व्यक्ति की अंतर्निहित गरिमा और विभिन्न लोगों के मूल्यों की मान्यता" पर आधारित हो।"

आदिवासी महिलाएँ ˸ परम्परागत ज्ञान की संरक्षिका

महाधर्माध्यक्ष ने कहा, "आदिवासी महिलाएँ विशेष रूप से कृषि, स्वास्थ्य देखभाल और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन से संबंधित महत्वपूर्ण पारंपरिक ज्ञान और कौशल के सामूहिक संचय के संरक्षक हैं।"

उन्होंने कहा कि माताओं, दादियों, शिक्षक और दाई के रूप में वे इन गुणों को अपने बच्चों एवं पोते पोतियों को हस्तांतरित करते हैं।

हालाँकि, उन्होंने चिंता व्यक्त की कि कुछ संदर्भों में प्रगति के बावजूद, महिलाओं की मौलिक भूमिका नस्लवाद, भेदभाव और हिंसा से बाधित है।

इसलिए, उन्होंने कनाडा की अपनी हाल की प्रेरितिक यात्रा के दौरान संत पापा फ्राँसिस के शब्दों की पुष्टि की, जब संत पापा ने कहा था कि "महिलाएँ न केवल भौतिक बल्कि आध्यात्मिक जीवन के धन्य स्रोतों के रूप में एक प्रमुख स्थान रखती हैं।"

 

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05 October 2022, 17:07