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येसु का जीवन शीर्षक किताब येसु का जीवन शीर्षक किताब 

पोप ˸ "येसु का जीवन" उसके साथ घनिष्ठ संबंध के लिए

"येसु का जीवन" वाटिकन संचार विभाग के संपादक अंद्रेया तोरनियेली की नई किताब का शीर्षक है जिसमें संत पापा फ्राँसिस ने भूमिका दी है और जिसे 27 सितम्बर को प्रकाशित किया गया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन संचार विभाग के संपादक अंद्रेया तोरनियेली ने अपनी किताब में ख्रीस्त की कहानी को सुसमाचार से बदलकर व्यक्तिगत एवं ऐतिहासिक विवरण के रूप में प्रस्तुत किया है तथा उन घटनाओं का वर्णन किया है जो सुसमाचार के अंश नहीं हैं। कहानी की भूमिका संत पापा फ्राँसिस ने लिखा है।   

अंद्रेया ने कहा, "एक महत्वपूर्ण पहलू जो सुसमाचार को पढ़ते समय मुझे हमेशा प्रभावित करता है, वह है नजर का महत्व। एक विवरण है जिसपर मसीह का यह जीवन होता है। कुछ नज़रें एक दूसरे को पार करती हैं। हम जाकेयुस की याद करें, वह हास्यास्पद रूप से, पेड़ पर चढ़ गया। नहीं देखने के कारण वह येसु को देखना चाहता है किन्तु येसु उन्हें देख लेते हैं और कहते हैं कि जाकेयुस मैं तुम्हारा घर जाना चाहता हूँ। जेरीखो के अंधे व्यक्ति को लें – वह नहीं देख सकता था किन्तु येसु को देखन चाहता था। वह येसु के द्वारा देखा जाना चाहता था और अपने आपको तब तक नहीं रोक सका, जबतक कि येसु की नजर को अपने ऊपर नहीं पा लिया।"  

दिखना सुसमाचार के हरेक पृष्ट में है। जिसके कारण लोग येसु से मुलाकात करते हैं। वहाँ संहिता के पंडितों की नजर भी है जो येसु की जाँच करना चाहते थे। और उन लोगों की विस्मयजनक दृष्टि भी है जो नहीं समझते। वे जिस तरह एक दूसरे को देखते हैं वह महत्वपूर्ण है। देखने का अर्थ है आपस में आदान-प्रदान करना। केवल पढ़ना काफी नहीं है, सुनना भी है। सुसमाचार पाठ में व्यक्तिगत रूप से प्रवेश करना है, अपने मन और हृदय में येसु की दृष्टि को सजीव बनाना, कल्पना करना है, उदाहरण के लिए, लोगों के बीच उनकी नजर करीब विधवा पर पड़ती है जिसने मंदिर में दान दिया। येसु की आँखें उन शास्त्रियों पर भी पड़ीं जो खुद को पूर्ण दिखाने के लिए मंदिर जा रहे थे।  

हम जैरूस के बारे सोचें वह अपनी बीमार बेटी के लिए मदद मांगने जाता है और जब वह गुरूवर के सामने आता है तभी उसे बताया जाता है कि उसकी बेटी मर चुकी है। येसु उसे देखते और वह येसु को देखता। येसु में दूसरे व्यक्ति की आँखों में नजर डालने की अनोखी क्षमता है। जैरूस येसु से कहता है कि उनका घर जाना व्यर्थ है पर येसु आगे बढ़ते हैं एवं उसकी बेटी को जीवन देते हैं। सब कुछ नजर से शुरू होता है। 

हमारे साथ ऐसा ही होता है जब हम सुसमाचार को अपने हाथों में लेते, जब हम कुछ पाठ पढ़ते हैं, और एक निश्चित क्षण में प्रभु स्वयं को हमारी आंखों के सामने प्रकट करते हैं, स्वयं को प्रकट करते हैं, और हम विस्मय के अनूठे आध्यात्मिक अनुभव को पाते हैं जिसके माध्यम से हम येसु से मुलाकात करते हैं। 

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27 September 2022, 17:40