खोज

रोम के सन्त सोफिया महागिरजाघर में यूक्रेन के लिये ख्रीस्तयाग अर्पित करते कार्डिनल पारोलीन, तस्वीरः 09.05.2022 रोम के सन्त सोफिया महागिरजाघर में यूक्रेन के लिये ख्रीस्तयाग अर्पित करते कार्डिनल पारोलीन, तस्वीरः 09.05.2022 

यूक्रेन में शांति हेतु सन्त पापा की प्रतिबद्धता की पुनरावृत्ति

क्रोएशिया में अपनी यात्रा के दौरान गुरुवार को क्रोएशियाई संसद को सम्बोधित करते हुए वाटिकन राज्य के सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने यूक्रेन तथा उसके लोगों के प्रति परमधर्मपीठ की निकटता तथा सन्त पापा फ्राँसिस की प्रतिबद्धता की पुनरावृत्ति की पुष्टि की।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

क्रोएशिया, शुक्रवार, 13 मई 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): क्रोएशिया में अपनी यात्रा के दौरान गुरुवार को क्रोएशियाई संसद को सम्बोधित करते हुए वाटिकन राज्य के सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने यूक्रेन तथा उसके लोगों के प्रति परमधर्मपीठ की निकटता तथा सन्त पापा फ्राँसिस की प्रतिबद्धता की पुनरावृत्ति की पुष्टि की।

क्रोएशियाई गणराज्य की स्वतंत्रता को परमधर्मपीठ की मान्यता की 30 वीं वर्षगांठ और वाटिकन और बाल्कन  देश के बीच तीन संधियों के अनुसमर्थन की 25 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन क्रोएशिया की यात्रा पर थे।

गुरुवार को उन्होंने क्रोएशियाई संसद के अध्यक्ष, गॉर्डन यान्द्रोकोविट्स से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान  कार्डिनल ने यूक्रेन के लिए शांति की अपील को याद किया, जिसे सन्त पापा फ्रांसिस ने रूसी आक्रमण की शुरुआत के बाद से कई बार दोहराया है।

इस अवसर पर, यान्द्रोकोविट्स ने बोस्निया और हर्जेगोविना पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ यूक्रेन से दक्षिण-पूर्वी यूरोप तक संकट के फैलने की संभावना के बारे में चिंता जताई। उन्होंने क्रोएशिया की स्थिति के बारे में बात की तथा देश के भविष्य और अस्तित्व के लिए भय व्यक्त किया, और फिर परमधर्मपीठ से आग्रह किया कि वह एक ऐसा समाधान खोजने में मदद करे जो तीनों लोगों की समानता की गारंटी दे सके। उन्होंने क्रोएशिया एवं परमधर्मपीठ के बीच विद्यमान मज़बूत एवं मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों के लिये सन्तेष व्यक्त किया।  

क्रोएशिया के प्रिय लोग

ज़गरेब में संसद को सम्बोधित शब्दों में कार्डिनल पारोलीन ने दोनों देशों के बीच व्याप्त मधुर सम्बन्धों पर बल दिया तथा इस तथ्य की पुष्टि की कि "परमधर्मपीठ पूरी निष्ठा के साथ प्रिय क्रोएशियाई लोगों के पक्ष में है।"

कार्डिनल महोदय ने कहा कि परमधर्मपीठ एवं क्रोएशिया के बीच मधुर सम्बन्धों की अभिव्यक्ति संसद भवन के सामने स्थित सन्त मारकुस को समर्पित चौक में भलीप्रकार हुई है जो, "क्रोएशियाई लोगों और काथलिक कलीसिया के बीच विद्यमान ऐतिहासिक संबंधों की पूरी वास्तविकता को दर्शाता है। यह एक पारस्परिक निकटता है जो सन्त जॉन पॉल द्वितीय द्वारा विशेष लगाव और सम्मान के साथ पोषित हुई है।"  

कार्डिनल पारोलीन ने कहा कि सन्त जॉन पौल  की तरह "किसी अन्य ने इतिहास, अन्याय और पीड़ा के बोझ को नहीं समझा था, जिसे क्रोएशियाई लोगों को अपने स्वयं के राज्य की सदियों पुरानी आकांक्षा में स्लावी लोगों के रूप में सहना पड़ा था।"

मैत्री और समरसता हेतु समझौते

अपने प्रभाषण में कार्डिनल पारोलीन ने क्रोएशिया के साथ सम्पन्न संधियों के महत्व को याद किया तथा इस बात पर बल दिया कि इन संधियों को "अन्य धार्मिक समुदायों की हानि की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए", बल्कि  संघर्ष या असहमति को रोकने के लिए "एक आदर्श" के रूप में माना जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि ये संधिया, "कलीसियाई जीवन को विनियमित करने और उसके संगठन में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप के समक्ष उसकी स्वतंत्रता की गारंटी देने के लिए उपयोगी हैं"। ये "मानवीय, न्यायपूर्ण और एकजुट समाज के निर्माण" के लिए भी उपयोगी हैं, जो कि कलीसिया के प्रेरितिक संविधान गाऊदियुम एत स्पेस द्वारा इंगित परिप्रेक्ष्य के अनुसार है।

धार्मिक स्वतंत्रता के विषय में, कार्डिनल ने ज़ोर देकर कहा कि "लगभग सभी यूरोपीय देशों ने इसकी गारंटी के लिए धार्मिक स्वतंत्रता प्रणाली को चुना है", और काथलिक कलीसिया का इरादा "एक क़ानूनी व्यवस्था प्राप्त करना है जो इसकी विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए यथासंभव उपयुक्त हो।"

उन्होंने कहा कि यह कदापि न भुलाया जाये कि "ख्रीस्तीय धर्म और ख्रीस्तीय एकजुटता पश्चिमी संस्कृति और यूरोप की नींव का प्रतिनिधित्व करते हैं।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

13 May 2022, 12:10