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संत घोषणा में पोप : नये संतों के समान हम ईश्वर के सपने को आनन्द से जीयें

संत घोषणा समारोह में संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में 10 नये संतों की घोषणा की। अपने उपदेश में उन्होंने विश्वासियों को याद दिलाया कि वे ईश्वर के बेशर्त प्रेम को पहचानें और पवित्रता के रास्ते पर चलें , जो अत्यन्त सरल है एवं दूसरों में येसु को देखने की मांग करता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 15 मई 2022 (रेई)- वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 15 मई को संत पापा फ्राँसिस ने 10 नये संतों की संत घोषणा की तथा उन्हें कलीसिया के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने समारोही ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

10 नये संतों की संत घोषणा

10 नये संतों के नाम इस प्रकार हैं- संत देवसहायम पिल्लाई, संत चेसर दी बुस, संत लुइजी मरिया पालाजोलो, संत चार्ल्स दी फौकल्ड,  संत जुस्तिनो मरिया रूसोलिलो, संत तितुस ब्रैंडस्मा, संत अन्ना मरिया रूबातो, संत मरिया दोमेनिका मंतोवानी, संत मरिया रिवियर और संत करोलिना संतोकनाले।

संत पेत्रुस महागिरजाघर का प्राँगण
संत पेत्रुस महागिरजाघर का प्राँगण

ख्रीस्तयाग के दौरान उन्होंने उपदेश में कहा, "हमने येसु के कुछ शब्दों को सुना जिसको उन्होंने इस दुनिया को छोड़ने और अपने पिता के पास जाने से पहले अपने शिष्यों को बतलाया था। ये शब्द बतलाते हैं कि ख्रीस्तीय होने का अर्थ क्या है : जैसे मैंने तुम्हें प्यार किया वैसे तुम भी एक दूसरे को प्यार करो।" (यो.13,34) यह एक आज्ञा है जिसे येसु ने हमारे लिए एक अंतिम मानदंड के रूप में छोड़ दिया है जिससे हम जान सके हैं कि हम सच्चे शिष्य हैं अथवा नहीं। यह प्रेम की आज्ञा है।  

संत पापा ने प्रेम की आज्ञा पर चिंतन करने का निमंत्रण देते हुए कहा, "आइये हम इस आज्ञा के दो महत्वपूर्ण तत्वों पर ध्यान दें : येसु का प्रेम हमारे लिए- और प्रेम जिसको वे दूसरों के लिए प्रकट करने को कहते हैं – वैसे ही तुम भी एक-दूसरे को प्यार करो।"

प्रेम में हमारी ख्रीस्तीयता की पहचान

येसु किस तरह हमें प्यार करते हैं? अंत तक, अपने आपको को पूरी तरह देकर। यह हमारे लिए विचित्र है कि येसु ने इसे अंधेरी रात में कहा, जब उपरी कमरे में भावुकता एवं चिंता का महौल था। भावुकता क्योंकि स्वामी अपने शिष्यों से विदा लेकर जाने वाले थे, और चिंता क्योंकि उन्होंने घोषित किया कि तुम में से एक मेरे साथ विश्वासघात करेगा। हम कल्पना कर सकते हैं कि येसु की आत्मा में कितनी पीड़ा रही होगी, उनके शिष्यों के हृदय में कितना घोर अंधेरा था। यूदस को देखकर कितनी कड़वाहट आई होगी, जिसने उसके लिए प्रभु द्वारा डुबोया हुआ रोटी पाकर, विश्वासघात की रात में प्रवेश करने के लिए कमरा छोड़ दिया। खासकर, विश्वासघात के समय में येसु ने अपने लोगों के लिए अपने प्रेम की पुष्टि दी। क्योंकि जीवन के अंधेरे और आंधी के समय में यह जानना आवश्यक है : ईश्वर हमें प्यार करते हैं।

संत पापा ने कहा कि हमारे विश्वास की अभिव्यक्ति के केंद्र में यही घोषणा होनी चाहिए, हमने ईश्वर को प्यार नहीं किया बल्कि ईश्वर ने हमें प्यार किया है।" (1यो. 4:10) उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमारी क्षमताएँ एवं गुण केंद्र में नहीं हैं बल्कि ईश्वर का बेशर्त और मुफ्त प्रेम है जिसके लिए हम योग्य नहीं थे। ख्रीस्तीय धर्म की शुरूआत में कोई धर्मसिद्धांत एवं कार्य नहीं थे बल्कि इस बात का आश्चर्य था कि हमारे किसी उत्तर के पहले ही हम प्रेम किये गये हैं। हालांकि, दुनिया अकसर हमें यकीन दिलाना चाहती है कि हमारा महत्व तभी है जब हम फल उत्पन्न करते हैं, सुसमाचार हमें जीवन की सच्चाई का स्मरण दिलाता है कि हम प्रेम किये गये हैं। हमारा मूल्य इसी में हैं कि हम प्रेम किये गये हैं। एक आध्यात्मिक गुरू ने लिखा है, "किसी मानव व्यक्ति के देखने से पहले ईश्वर के प्रेमी नजरों ने हमें देखा। हमारे रोने और हंसने को किसी दूसरे के द्वारा सुने जाने के पहले, ईश्वर ने सुना जो हमें हरदम सुनते हैं। दुनिया के किसी व्यक्ति द्वारा हमें पुकारे जाने के पहले उन्होंने हमें पुकारा। अनन्त प्रेम की आवाज हमें पहले से बोल रही थी। उन्होंने हमें पहले प्यार किया है, हमारी प्रतीक्षा की है। हमें प्यार करते रहते हैं और यही हमारी पहचान है कि हम ईश्वर द्वारा प्यार किये गये हैं। हम ईश्वर द्वारा प्रेम किये गये हैं यही हमारी शक्ति है।

संत पेत्रुस महागिरजाघर का प्राँगण विश्वासियों से भरा हुआ
संत पेत्रुस महागिरजाघर का प्राँगण विश्वासियों से भरा हुआ

पवित्रता के अर्थ पर चिंतन

यह सच्चाई हमसे मन-परिवर्तन की मांग करती है, उस विचार को बदलने की जो हम पवित्रता के लिए रखते हैं। कई बार अच्छे कार्यों को करने का दबाव इतना अधिक होता है कि हम पवित्रता को अपने आप पर निर्भर, अपने साहस, अपनी क्षमता और पुरस्कार जीतने के लिए अपने त्याग को मान लेते हैं । अतः पवित्रता को एक प्रबल लक्ष्य बना देते हैं, हरदिन इसकी खोज करने और इसे अपनाने के बदले हम इसे दैनिक जीवन से अलग कर लेते हैं। सड़क के धूल में, जीवन की ठोस यात्रा में जैसा कि अविला की संत तेरेसा अपनी धर्मबहनों से कहा करती थीं, रसोई के बर्तनों के बीच। येसु का शिष्य होना और पवित्रता के रास्ते पर चलने का अर्थ है अपने आपको ईश्वर के प्रेम की शक्ति से परिवर्तित होने देना। आइए हम स्वयं पर ईश्वर की प्रधानता, शरीर पर आत्मा की, कार्यों पर अनुग्रह की प्रमुखता को न भूलें।

हम प्रभु से जो प्रेम प्राप्त करते हैं वह शक्ति है जो हमारा जीवन बदल सकती है। यह हमारे हृदय को खोलती है एवं प्रेम के लिए तत्पर करती है। यही कारण है कि येसु कहते हैं जैसे मैंने तुम्हें प्यार किया है वैसे तुम भी एकःदूसरे को प्यार करो।

प्रतिदिन के छोटे प्रेम द्वारा

संत पापा ने कहा कि यह केवल येसु के प्रेम का अनुकरण करने का निमंत्रण नहीं है, इसका अर्थ है कि हम प्यार कर सकते हैं क्योंकि हम प्यार किये गये हैं। वे हमारे हृदय में अपना मनोभाव डाल देते हैं, पवित्रता का मनोभाव, प्रेम का मनोभाव जो हमें चंगा करता एवं बदल देता है। यही कारण है कि हम चुनाव करते और हर भाई-बहन के साथ सभी परिस्थितियों में प्रेम का भाव प्रकट करते हैं, क्योंकि हम प्यार किये गये हैं और हमें प्यार करने की शक्ति मिली है। मैं जिस प्रेम से प्यार करता हूँ वह येसु द्वारा मुझे मिला है। संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय धर्म बहुत सरल है किन्तु कई चीजों से हम इसे जटिल बनाते हैं।

इस प्रेम को जीने का ठोस मतलब क्या है? इस आज्ञा को देने से पहले येसु ने अपने शिष्यों के पैर धोये, इसकी घोषणा करने के बाद उन्होंने अपने आपको क्रूस काठ पर अर्पित कर दिया। प्रेम करने का अर्थ है सेवा करना और जीवन देना। सेवा करना अर्थात् अपनी रूचि को पहले नहीं रखना, घृणा और प्रतिस्प्रद्धा के विष, उदासीनता के कैंसर एवं आत्म केंद्रण के घून से विषाक्त नहीं होना बल्कि ईश्वर प्रदत्त गुणों एवं क्षमताओं को बांटना।

संत पापा ने चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, "मैं दूसरों के लिए क्या करता हूँ?" यह प्रेम है इसे हरदिन जीना है, किसी चीज का दावा किये बिना सेवा एवं प्यार की भावना से। और जीवन देने का अर्थ कुछ दे देना नहीं है, उदाहरण के लिए अपना कोई चीज देना, बल्कि अपने आपको ही देना। संत पापा ने लोगों को सलाह देते हुए कहा, "क्या आप दान देते हैं? और जब दान देते हैं तो क्या व्यक्ति के हाथ का स्पर्श करते हैं अथवा खुद को साफ रखने के लिए फेंक कर दान देते हैं"? दान देते समय क्या व्यक्ति से नजर मिलाते हैं अथवा दूसरी ओर नजर रखकर देते हैं?"

हमारे जीवन के लिए ईश्वर का सपना

संत पापा ने कहा, "ख्रीस्त जो हमारे भाई-बहनों में दुःख सहते हैं उनका स्पर्श करें और उन्हें देखें। यह बहुत महत्वपूर्ण है। जीवन देना यही है। यह स्वार्थ से ऊपर उठना है, दूसरों की आवश्यकता को देख पाना जो हमारे बगल में चल रहे हैं, उन लोगों के साथ समय बिताना जिन्हें हमारी आवश्यकता है, शायद थोड़ा सुनने, समय देने, एक फोन कोल करने के द्वारा। संतता थोड़े साहसिक भावों से नहीं बनते बल्कि दैनिक जीवन के बहुत सारे प्यार से।" संत पापा ने समर्पित महिलाओं और पुरूषों को सम्बोधित कर कहा, "अपना दान खुशी से देकर पवित्र बनें।" विवाहित लोगों से संत पापा ने कहा, "अपने पति अथवा पत्नी को प्यार करें एवं उसकी देखभाल कर पवित्र बनें, जैसा कि ख्रीस्त ने कलीसिया से प्रेम किया।" नौकरी करने वालों से उन्होंने कहा क्या आप काम करनेवाले हैं? अपने कामों को भाई-बहनों की सेवा के मनोभाव से ईमानदारी और दक्षता से पूरा करने के द्वारा पवित्र बनें, अपने साथियों के न्याय के लिए संघर्ष करें ताकि वे बेरोजगार न रहें, ताकि हमें हमेशा उचित वेतन मिल सके। क्या आप माता-पिता अथवा दादा-दादी हैं? बच्चों को धीरज से येसु का अनुसरण करने की शिक्षा देकर पवित्र बनें। क्या आप एक अधिकारी हैं? सार्वजनिक भलाई के लिए संघर्ष करने एवं व्यक्तिगत स्वार्थ का त्याग करने के द्वारा आप पवित्र बनें। यही संत बनने का रास्ता है, अत्यन्त सरल, दूसरों में हमेशा येसु को देखना है।

सुसमाचार एवं भाई-बहनों की सेवा करना, बिना कुछ पाये ही अपना जीवन दूसरों के लिए अर्पित करने का अर्थ है, दूसरों से पाने की आशा किये बिना देना, दुनियावी महिमा की खोज नहीं करना, यही राज है, जिसके लिए हम सभी बुलाये गये हैं। हमारे सहयात्री जो आज संत घोषित हुए, उन्होंने इसी तरह जीया, उत्साह पूर्वक अपनी बुलाहट को अपनाया, कुछ पुरोहित के रूप में, कुछ समर्पित लोगों के रूप में और कुछ लोकधर्मी के रूप में, अपना जीवन सुसमाचार के लिए अर्पित किया, उन्होंने एक ऐसे आनन्द की खोज की जिसकी तुलना नहीं की जा सकती है वे इतिहास में प्रभु के प्रकाशमान प्रतिबिम्ब बन गये। हम भी उस रास्ते पर चलने का प्रयास करें जो बंद नहीं है, एक वैश्विक रास्ता है, हम सभी के लिए एक बुलावा है। यह बपतिस्मा से शुरू होता है। आइये, हम इसपर चलने का प्रयास करें क्योंकि हम सभी संत बनने के लिए बुलाये गये हैं, अद्वितीय और अपरिवर्तनीय पवित्रता के लिए बुलाये गये हैं। पवित्रता हमेशा वास्तविक है, धन्य कार्लो अकुतिस ने कहा है : फोटोकॉपी पवित्रता नहीं है, यह मेरा है, आपका है और हम सबका है। प्रभु के पास हम सबके प्रेम की योजना है, उनके पास हमारे जीवन का सपना है। हम इसे ग्रहण करें और आनन्द के साथ अपनायें।

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15 May 2022, 17:08