खोज

वाटिकन में जारी चालीसाकालीन चिन्तन वाटिकन में जारी चालीसाकालीन चिन्तन 

सेवाभाव पर वाटिकन के उपदेशक फादर कान्तालामेस्सा

वाटिकन में जारी चालीसाकालीन चिन्तन की श्रंखला में शुक्रवार को परमधर्मपीठीय धर्माधिकारियों के समक्ष अपने पाँचवे प्रवचन में वाटिकन के उपदेशक फादर कान्तालामेस्सा ने प्रभु येसु मसीह द्वारा शिष्यों के पादप्रक्षालन की घटना पर चिन्तन किया तथा इसमें निहित सेवाभाव के वरण का आग्रह किया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में जारी चालीसाकालीन चिन्तन की श्रंखला में शुक्रवार को परमधर्मपीठीय धर्माधिकारियों के समक्ष अपने पाँचवे प्रवचन में वाटिकन के उपदेशक फादर कान्तालामेस्सा ने प्रभु येसु मसीह द्वारा शिष्यों के पादप्रक्षालन की घटना पर चिन्तन किया तथा इसमें निहित सेवाभाव के वरण का आग्रह किया।  

पैर धोने का अर्थ

फादर कान्तालामेस्सा ने कहा कि वाटिकन के विभिन्न परमधर्मपीठीय कार्यालयों में जारी कार्यों की विशिष्टता सेवा में निहित है। शिष्यों से कहे प्रभु येसु  के शब्दों को उद्धृत कर उन्होंने कहा,  "मैंने तुम्हें उदाहरण दिया है"। उन्होंने कहा कि प्रभु येसु के उदाहरण पर चिन्तन की ज़रूरत है, इस विचार किया जाना ज़रूरी है कि किस तरह हम भाइयों के पैर धो सकते हैं?

उन्होंने स्मरण दिलाया कि सुसमाचार में ही हमें इसका उत्तर मिलता है और वह है सन्त मारकुस रचित सुसमाचार के ये शब्द: "तुम में से जो कोई प्रधान होना चाहता है वह सबका दास बने; क्योंकि मानवपुत्र भी सेवा कराने नहीं, अपितु सेवा करने और बहुतों के द्धार के लिये अपने प्राण देने आया है।"

फादर कान्तालामेस्सा ने कहा कि पैर धोने की क्रिया में, येसु अपने जीवन के पूरे अर्थ को संक्षेप में प्रस्तुत करना चाहते थे, ताकि यह शिष्यों की स्मृति में यह सब समय के लिये अंकित हो जाये। सन्त योहन रचित सुसमाचार के अनुसार, येसु कहते हैं : "तुम अभी नहीं समझोगे कि मैं क्या कर रहा हूँ, लेकिन बाद में तुम समझ जाओगे"। उन्होंने कहा कि प्रभु येसु का यह कृत्य हमें बताता है कि उनका सम्पूर्ण जीवन, शुरू से अंत तक, पैर धोना अर्थात् मानवता की सेवा करना था।

फादर कान्तालसामेस्सा ने कहा कि प्रभु येसु ने हमें अन्यों के प्रति अर्पित जीवन का उदाहरण दिया है और इस प्रकार उन्होंने सेवा के महत्व की प्रकाशना की है। उन्होंने सेवा को एक मौलिक कानून, या, बेहतर, एक जीवन शैली और कलीसिया में सभी रिश्तों के आदर्श रूप में प्रस्तुत किया है। प्राचीन काल के धन्य ईसाक निनिवेह का उदाहरण देते हुए वाटिकन के उपदेशक ने कहा कि शिष्यों अथवा अपने सुननेवालों को हम अपने से नीचा न समझें अपितु, विनम्रतापूर्वक स्वतः को उनके समक्ष छोटा बना लें।

फादर कान्तालसामेस्सा ने कहा कि जो कुछ परमधर्मपीठीय या धर्माध्यक्षीय कार्यालयों में किया जाता है उसपर अपने-अपने नामों अथवा कुलनामों की हम चिन्ता न करे बल्कि येसु का आदर्श ग्रहण कर उसे कलीसिया और उसके सदस्यों की सेवा में अर्पित कर दें।

सेवा की भावना

वाटिकन के उपदेशक ने कहा कि यदि सेवा को हमारे जीवन में केवल शब्दों तक ही सीमित नहीं रहना है तो हमें "सेवा के महत्व की बारीकी से जांच करनी चाहिए" क्योंकि सेवा अपने आप में कोई गुण नहीं है, सेवा  पवित्र आत्मा के गुणों या वरदानों की सूची में भी नहीं है। सेवा अपने आप में तटस्थ है: यह जीवन की शैली का मार्ग दिखाती है या अन्यों के साथ संबंधित होने का एक तरीका दर्शाती है। तथापि, सेवा नकारात्मक भी हो सकती है यदि यह दासता के तहत या बाध्य किये जाने पर की जाये, या फिर अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिये की जाये।

उन्होंने कहा कि सेवा तो सब करते हैं, दूकानदार अपनी दूकान चलाता है, घर का मालिक अपने घर का संचालन करता है, सभी अपने-अपने कार्यों का निर्वाह करते हैं किन्तु सुसमाचार में बयान की गई सेवा बिल्कुल अलग तरह की सेवा है, हालांकि यह सांसारिक दृष्टि से सेवा को अनिवार्य रूप से बहिष्कृत या अयोग्य घोषित नहीं करती है। उन्होंने कहा कि अन्तर सेवा के मूल कारण और सेवा करने के आंतरिक रवैये में निहित है जिसके साथ इसे किया जाता है।

फादर कान्तालामेस्सा ने इस बात पर बल दिया कि "सेवा कोई गुण नहीं है, किन्तु यह गुण से, विशेष रूप से, उदारता के गुण से प्रस्फुटित होती है। वस्तुत, उन्होंने कहा कि सेवाकार्य नवीन व्यवस्थान की सबसे बड़ी आज्ञा है, यह प्रेम की अभिव्यक्ति है जो "अपने हितों पर जोर नहीं देती अपितु अन्यों की सेवा पर बल देती है; यह स्वयं की तलाश में नहीं बल्कि अन्यों की तलाश में शामिल है।"

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

08 April 2022, 11:43