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विएना में सम्पन्न ओशे बैठक में यूक्रेन युद्ध पर विशेष चर्चा  विएना में सम्पन्न ओशे बैठक में यूक्रेन युद्ध पर विशेष चर्चा  

मानवाधिकारों का अतिक्रमण शांति में बाधा, वाटिकन

विएना में यूरोपीय सुरक्षा एवं सहयोग सम्बन्धी संगठन ओशे की एक बैठक में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष यानूस ऊरबानज़िक ने सुरक्षा और शांति तथा मानवाधिकारों के सम्मान के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध की प्रकाशना की।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

विएना, शुक्रवार, 1 अप्रैल 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): विएना में यूरोपीय सुरक्षा एवं सहयोग सम्बन्धी संगठन ओशे की एक बैठक में परमधर्मपीठ के स्थायी पर्यवेक्षक वाटिकन के वरिष्ठ महाधर्माध्यक्ष यानूस ऊरबानज़िक ने सुरक्षा और शांति तथा मानवाधिकारों के सम्मान के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध की प्रकाशना की।

ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में 28 और 29 मार्च को सम्पन्न ओशे की एक बैठक में महाधर्माध्यक्ष यानूस ऊरबानज़िक ने इस तथ्य की पुनारवृत्ति की कि एक शांतिपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था सैन्य शक्ति की ताकत पर आधारित नहीं होती, बल्कि सार्वभौमिक मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता के सम्मान पर आधारित होती है।  सशस्त्र संघर्ष के दौरान मानवाधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के उल्लंघन के जोखिम को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सदस्य क्या कर सकते हैं, बैठक का विषय रहा।

युद्ध अंतरराष्ट्रीय कानूनी व्यवस्था का टूटना है

महाधर्माध्यक्ष यानूस ऊरबानज़िक ने कहा कि मूलभूत समस्या यह है कि "युद्ध अपने आप में अन्तरराष्ट्रीय कानूनी व्यवस्था का भंग होना है तथा सशस्त्र संघर्ष कानून के अंतरराष्ट्रीय शासन की गंभीर विफलता है।" उन्होंने शांति एवं मानवाधिकारों के बीच विद्यमान घनिष्ठ सम्बन्ध को प्रकाशित कर कहा, "सार्वभौमिक मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता का हर उल्लंघन शांति के लिए ख़तरा है।"

महाधर्माध्यक्ष ऊरबानज़िक ने स्मरण दिलाया कि "हेलसिंकी अंतिम अधिनियम के बाद से, सार्वभौमिक मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता को" सभी राज्यों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों और आपसी सहयोग के विकास को सुनिश्चित करने हेतु शांति, न्याय और कल्याण की बहाली के लिए एक आवश्यक कारक के रूप में मान्यता दी गई है।

यूक्रेन में युद्ध

यूक्रेन में जारी वर्तमान युद्ध का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए, महाधर्माध्यक्ष ऊरबानज़िक ने याद किया कि सन्त पापा फ्रांसिस ने बारम्बार मौलिक मानवाधिकारों के अतिक्रमणों की ओर ध्यान आकर्षित कराया है तथा इस बात पर ज़ोर दिया है कि अंतर्राष्ट्रीय कानून का सम्मान किया जाए"। अपनी बात को दुहराते हुए उन्होंने कहा कि शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और न्याय "सैन्य बल पर नहीं बल्कि सार्वभौमिक मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए एक गंभीर सम्मान पर आधारित हैं, जिसका उल्लंघन कभी भी हमारी अंतरात्मा को परेशान किये बिना नहीं रह सकता।"

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01 April 2022, 11:38