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पुण्य शुक्रवार को पवित्र क्रूस की उपासना करते संत पापा एवं विश्वासी पुण्य शुक्रवार को पवित्र क्रूस की उपासना करते संत पापा एवं विश्वासी 

येसु का पास्का “सत्य” है

वाटिकन उपदेशक कार्डिनल रानियेरो ने पुण्य शुक्रवार के प्रवचन में येसु के पास्का को “सत्य” की संज्ञा दी।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022 (रेई) पुण्य शुक्रवार की धर्मविधि में कार्डिनल रानियेरो कान्तालामेस्सा ने अपने प्रवचन में येसु और पिलातुस के बीच वार्ता पर चिंतन प्रस्तुत किया।

उन्होंने कहा कि पिलातुस येसु से सावल करते हैं, “क्या तुम यहूदियों के राजा होॽ” (यो. 18.33) येसु पिलातुस को इस सवाल की गंभीरता से वाकिफ कराना चाहते हैं अतः वे उनसे पुछते हैं,“क्या आप यह अपनी ओर से कहते हैं या किसी ने मेरे विषय में आप से कहा हैॽ”।

येसु पिलातुस को एक ऊंचाई तक ले जाते हैं। वे उन्हें अपने राज्य के बारे में कहते हैं “जो इस दुनिया का नहीं है”। पिलातुस केवल एक ही बात को समझ पाते हैं कि यह सवाल स्रमराज्य की राजनीति से संबंधित नहीं है। यदि दोषीदार धर्म की बातें करना चाहता, तो वह उन समस्याओं में अपने को उलझाना नहीं चाहता है। अतः वह व्यंग के भाव से उन्हें पूछता है, “तब तुम राजा होॽ येसु उत्तर में कहते हैं, “आप ठीक ही करते हैं, मैं राजा ही हूँ” (यो.18.37)

राजा होने की बात स्वीकारते हुए येसु अपने को मौत की सजा के लिए तैयार करते हैं लेकिन इस बात की सच्चाई में सफाई प्रस्तुत करने से इंनकार करने के द्वारा वे तथ्य को सुदृढ़ करते हैं। वे अपने असल निवास के रहस्य को प्रकट करते हैं,“ मैं इसलिए दुनिया में आया...” यह कहते हुए वे इस रहस्य को प्रकट करते हैं कि वे दुनिया में पहले से ही विद्यमान है, वे दूसरी दुनिया से आते हैं। वे सत्य का साक्ष्य देने इस धरती पर आये।

कार्डिनल के कहा कि येसु पिलातुस के संग न्यायाधीश की भांति नहीं बल्कि उस व्यक्ति की भांति पेश आते हैं जिसे ज्योति और सत्य की आवश्यकता है। वे अपने भाग्य की चिंता करने के बदले पिलातुस के भाग्य की अधिक फ्रिक करते हैं। सत्य की बातें करते हुए येसु उनकी इंद्रियों को जागृत करना चाहते हैं, जिससे वे यहूदियों के बीच हुए विवाद से हट कर चीजों को अलग निगाहों से देखें।

रोमी मुख्तार येसु के निमंत्रण को समझता है, लेकिन वह इस तरह के बड़े मकदमे में अपने को उदासीन बना लेता है। येसु के शब्दों में वह जिस रहस्य की झलक पाता है, वह उसे डराता देता और वह बातचीत समाप्त करना उचित समझता है। वह स्वयं में “सत्य क्या हैॽ” बड़बड़ाते हुए न्यायासन छोड़ देता है।

आज का सुसमाचार हमारे लिए कितना संर्दभगर्भित है। आज भी मानव पहले की तरह ही अपने में पूछता है, “सत्य क्या हैॽ” लेकिन वह पिलातुस की भांति ही उस व्यक्ति से अपना मुंह मोड़ लेता जो कहते हैं, “मैं दुनिया में इसलिए आया की सत्य का साक्ष्य दूँ।” “मैं सत्य हूँ।” (यो.14.6)

कार्डिनल रानियेरो ने धर्म, विज्ञान और विश्वास पर होने वाले वाद-विवाद की चर्चा करते हुए कहा कि लोग घंटों इन मुद्दों पर येसु का नाम उच्चरित किये बिना वार्ता करते हैं लेकिन जहाँ उनके नाम और पुनरूत्थान की चर्चा आ जाती तो वे उस वाद-विवाद को व्यर्थहीन घोषित कर इति कर देते हैं मानों इतिहास में येसु ख्रीस्त नामक व्यक्ति कभी रहा ही नहीं।

सत्य के संबंध में कार्डिनल ने अस्तित्ववादी दर्शनशास्त्री सोएरेन कीर्केगार्ड के विचारों को उद्धृत करते हुए कहा कि उस व्यक्ति का जीवन अपने में व्यर्थ है जिसने अपने हृदय की गहराई में ईश्वरीय अस्तित्व का अनुभव नहीं किया है, जो अपने में सत्य हैं। ईश्वर पर हमारे विश्वास की दुनिया में इतना अन्याय और दुःख भरा हुआ है जो अपने में सत्य है। लेकिन पुनर्जीवित येसु ख्रीस्त में जो मृतकों में से जी उठे हैं, इन सारी चीजों के बाद भी नये जीवन की आशा है क्योंकि यह येसु ख्रीस्त में पहले ही हुआ है।

वाटिकन उपदेशक ने कहा कि हम अपना जीवन बर्बाद न करें बल्कि हम ईश्वर से मेल-मिलाप कर लें जिसकी हमें जरुरत है (2 कुरि.5.20)। हम पिलातुस की भांति इस दुनिया को न छोड़े जैसे की उन्होंने न्यायासन को छोड़ा, इस सवाल का उत्तर खोजे बिना, “सत्य क्या हैॽ”। हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम इस बात को जानें की हम अपने किसी उद्देश्य से जी रहे हैं या व्यर्थ ही।

पिलातुस को येसु से पूछा गया सवाल हमें आगे चिंतन करने हेतु मदद करता है जो हम सभी विश्वासियों, कलीसिया के लोगों के लिए संबोधित किया गया है “तुम्हारे ही लोगों और महायाजकों ने तुम्हें मेरे हवाले किया है”। तुम्हारे लोगों ने, पुरोहितों ने तुम्हारा परित्याग किया है, उन्होंने भयानक कामों से तुम्हारा नाम बदनाम किया है! और क्या हमें अब भी तुम पर विश्वास करना चाहिएॽ

हम इसे पास्का के पहले यूदस के विश्वासघात, पेत्रुस के इन्कार, प्रेरितों के भागने में देखते हैं। लेकिन हमें येसु ख्रीस्त के लिए आंसू बहाने की जरुरत है क्योंकि वे हमारे लिए सारी चीजों को सहते हैं। हमें उनके लिए भी आंसू बहाने की जरुरत है जो हमारे पापों के कारण शिकार हैं।

वाटिकन उपदेशक ने अपने प्रवचन के अंत में पश्चताप का आहृवान किया क्योंकि दुनिया क्षण भर में बदल जाती है। दुनिया की हर चीज, उम्र और युवावस्था की सुन्दरता सब अपने में खत्म हो जाती है। हमारे लिए केवल एक ही चीज जो सत्य है रहा जाता, जो कभी खत्म नहीं होता है और वह येसु ख्रीस्त का पास्का है। हम अपने सारे तन-मन और हृदय से प्रभु के उसी पास्का में प्रवेश करें।

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15 April 2022, 13:33