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यूक्रेन में हमले के कारण अपने परिवरा वालों के साथ भागते बच्चे यूक्रेन में हमले के कारण अपने परिवरा वालों के साथ भागते बच्चे 

बच्चों के खिलाफ युद्ध

वयस्कों के नफरत छोटों को नहीं छोड़ते। रूसी बमबारी में यूक्रेन के एक अस्पताल पर हमला युद्ध की क्रूरता को दर्शाता है। दुनिया के कई हिस्सों में बच्चे दुःख सह रहे हैं और मर रहे हैं, उदाहरण के लिए, सीरिया, यमन, इथोपिया, माली और अन्यत्र। हेरोद अब भी जिंदा है और निर्दयता से मार रहा है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन न्यूज के उपसंपादक सेरजो चेतोफनी ने कहा है कि युद्ध हरेक व्यक्ति को प्रभावित करता है किन्तु बच्चे इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। मारियुपोल के बाल अस्पताल पर बमबारी युद्ध की अमानवीयता के उदाहरणों में से एक है। बुराई के रहस्य के सामने छोटों की आँखों की निराशाजनक मासूमियत जल्द ही संघर्षों के सभी अत्याचारों को प्रकट करती है। वयस्कों की दुष्टता बच्चों को नहीं छोड़ती। बाईबिल दिखलाता है कि वयस्कों की घृणा शत्रुओं के खिलाफ कितनी दूर जा सकती है, "धन्य है वह मनुष्य, जो तेरे दुधमुँहे बच्चे को उठाकर चट्टान पर पटक देगा।" (भजन संहिता 137)।

सभी बच्चे एक समान है, चाहे वे यूक्रेन के हों, इथोपिया के, यमन के, अफगानिस्तान के, माली के अथवा म्यांमार के। वे युद्ध में मर रहे हैं, भाग रहे हैं, दुराचार एवं हजारों तरीके से शोषण के शिकार हो रहे हैं। छोटा कुर्दी अलन सीरिया के संघर्ष से भागते हुए तुर्की के समुद्र तट पर पाया गया था, अपनी गहरी चुप्पी में मानवता को पुकार रहा है, युद्ध को रोको! बच्चों को जीने दो!   

हेरोद हमेशा जिंदा है और दुनिया में जाकर नये निर्दोष लोगों का कत्ल कर रहा है ˸ "एक रूदन, एक चीख और दारूण विलाप रोम में सुनाई पड़ी; राखेल अपने बच्चों के लिए रो रही है और अपने आँसू किसी को पोछने नहीं देती क्योंकि वे अब नहीं रहे।" (मती. 2.18).

कीव के निकट इरपिन में एक दो साल का बालक अपने सिपाही पिता की गोद में जोर- जोर से रो रहा है। वह अपने विदा लेते पिता के हेलमेट को अपनी नन्ही मुट्ठी से मारता है। वह नहीं समझता कि उन्हें क्यों जाना है और युद्ध क्यों हो रहा है। वह बहुत छोटा है लेकिन आँसू पोछने नहीं देता क्योंकि उसका पिता जा रहा है।   

युद्ध काल के बच्चे बम और मिसाइलों के चित्र बनाते हैं। इन क्रूरताओं के सामने विश्वास डगमगा जाता है। केवल प्रेम, सदमों और घृणा को ठीक कर सकता है तथा हमें निर्दोष बच्चों के साथ प्रार्थना करने के लिए लौटा सकता है : "मां की गोद में सोये हुए दूध छुड़ाये बच्चे की तरह मेरी आत्मा शांत और मौन है।" ( स्तोत्र 131)

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10 March 2022, 16:32