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यूक्रेन में शांति के लिए ख्रीस्तयाग अर्पित करते कार्डिनल परोलिन यूक्रेन में शांति के लिए ख्रीस्तयाग अर्पित करते कार्डिनल परोलिन 

प्रार्थना कभी बेकार नहीं जाती, मन-दिल बदल सकती है

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने राजनयिक कोर के सदस्यों की उपस्थिति में यूक्रेन में शांति हेतु ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 17 मार्च 22 (रेई)˸ कार्डिनल पीयेत्रो परोलिन ने बुधवार शाम को संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए यूक्रेन में शांति हेतु प्रार्थना की। उन्होंने कहा, "हम इस शाम को ईश्वर से यूक्रेन में शांति की कृपा के लिए प्रार्थना करेंगे और उनसे याचना करेंगे कि वे उन सभी सद्इच्छा रखनेवाले लोगों की मदद करें कि वे शांति निर्माता बनें।"  

शांति निर्माता ईश्वर के समान होते हैं

राजनयिक कोर के सदस्यों के साथ ख्रीस्तयाग के दौरान कार्डिनल परोलिन ने उपदेश में कहा कि शांति निर्माता ईश्वर के समान होते हैं। उन्होंने पर्वत प्रवचन की याद दिलायी जो कहता है,"धन्य हैं वे जो मेल कराते हैं, वे ईश्वर के पुत्र कहलायेंगे।" उन्होंने यूक्रेन में जारी युद्ध की भी याद की, जहाँ "खून और आँसू की नदियाँ बह रही हैं।"  

कार्डिनल ने कहा, "यदि हम शांति हेतु प्रार्थना करने के लिए यहाँ हैं तो इसका कारण है कि हम मानते हैं कि प्रार्थना कभी बेकार नहीं जाती।" उपस्थित सदस्यों को आमंत्रित करते हुए कहा कि प्रार्थना के द्वारा ईश्वर मन और हृदय बदल सकते हैं।

ईश्वर की महिमा क्रूस से होकर आती है

कार्डिनल ने दैनिक सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जिसमें प्रेरित याकूब और योहन येसु के राज में उनकी बगल में बैठना चाहते हैं। यह दो तरह के तर्क, दो अलग प्रकार की महिमा को दर्शाता है ˸ ईश्वर की महिमा जो क्रूस से होकर आती और मनुष्यों की महिमा जो दुनियावी सफलता एवं सत्ता से आती है।

येसु हमें दिखालाना चाहते हैं जैसा कि उन्होंने शिष्यों को दिखलाया था कि सच्ची महानता दूसरों की विनम्र सेवा में है। जिसको हम उनका अनुसरण करते हुए पा सकते हैं जो सेवा कराने नहीं बल्कि सेवा करने आये थे।  

उन्होंने कहा, "भाइयो एवं बहनो, क्या आपको नहीं लगता कि यदि हम येसु के इन शब्दों का सचमुच अभ्यास करेंगे तो दुनिया की सभी लड़ाइयाँ धीरे-धीरे गायब हो जायेंगी?”

आध्यात्मिक समस्या एक संघर्ष

प्रथम पाठ जो येरेमियाह के शत्रुओं को उनके खिलाफ षडयंत्र रचते दिखाता है यह इसकी विपरीत है और दिखलाता है कि संघर्ष और युद्ध की समस्या मूल रूप से राजनीतिक अथवा आर्थिक नहीं है बल्कि आध्यात्मिक समस्या है।

येसु का अपने शिष्यों से कहना, "तुम्हारे बीच ऐसा नहीं होना चाहिए"- सचमुच गूँजता है, एक आध्यात्मिक स्तर है। एक विश्वासी अपने शब्दों और जीवन के द्वारा साक्ष्य देता है कि ईश्वर की महिमा शोषण में नहीं बल्कि इसके ठीक विपरीत है। यह एक ऐसी महिमा है जो दुनिया को सौंदर्य, अच्छाई और शांति से सचमुच भर सकता है।"

अधिक ठोस रूप में कार्डिनल परोलिन ने संत पापा जॉन 23वें के शब्दों की याद की जिन्होंने अपने विश्व पत्र "पाचेम इन तेर्राम" (पृथ्वी पर शांति) में मानव इतिहास में शांति निर्माण की चार शर्तों की ओर इंगित किया था ; सच्चाई का सम्मान, न्याय के लिए संघर्ष, भ्रातृत्व प्रेम जो हिंसा रोकता और स्वतंत्रता जो दूसरों पर दबाव नहीं डालता।"

शांति, ख्रीस्त की विरासत

अंततः कार्डिनल ने अंतिम व्यारी में प्रभु के शब्दों को याद की जिन्होंने शिष्यों से कहा था, "मैं तुम्हारे लिए शांति छोड़ जाता हूँ, अपनी शांति तुम्हें प्रदान करता हूँ।" उन्होंने कहा, "शांति येसु की विरासत है।" यही कारण है कि येसु के शिष्यों ने कभी आशा नहीं खोयी। जो लोग येसु की शांति को गहराई से चाहते हैं, हजारों बाधाओं एवं विरोधों के बावजूद इसका साक्ष्य देते हैं, हर दिन प्रार्थना में शांति के राज की कामना करते हैं, निश्चय ही वे पृथ्वी को अधिक करुणामय और अधिक मानवीय बनाने में अपना योगदान देते हैं।  

कार्डिनल परोलिन ने अपने उपदेश के अंत में शांति के लिए प्रार्थना की, "हे प्रभु शांति के राजकुमार...तू जो दुनिया का सृष्टिकर्ता है, इस पृथ्वी को विनाश से बचा, जहाँ मौत फैला हुआ है, हथियार शांत हो और शांति की हवा की मधुर ध्वनि गूँजे। आशा के प्रभु, बहरे मानवता पर दया कर तथा इसे क्षमा करने का साहस प्रदान कर।

 

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17 मार्च 2022, 16:40