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यूक्रेन के डोनेस्क में एक महिला पानी का बोतल लेकर जाती हुई यूक्रेन के डोनेस्क में एक महिला पानी का बोतल लेकर जाती हुई 

महाधर्माध्यक्ष शेवचुक ˸ यूक्रेन के खिलाफ आक्रमण 'पूर्ण विनाश का युद्ध' है

यूक्रेन की ग्रीक काथलिक कलीसिया के प्रमुख महाधर्माध्यक्ष स्वीतोस्लाव शेवचुक ने रोम में परमधर्मपीठीय पूर्वी कलीसियाओं की संस्था द्वारा आयोजित एक ऑनलाईन कार्यशाला में यूक्रेन में जारी युद्ध की स्थिति पर चर्चा की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

मंगलवार को महाधर्माध्य शेवचुक ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आदेश पर क्रूर हमले, पूरी तरह विनाश का युद्ध है और इसको किसी तरह न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता। 

कार्यशाला की विषयवस्तु थी, "युद्ध की पृष्टभूमि पर यूक्रेन की ग्रीक काथलिक कलीसिया की भूमिका।"

विभिन्न परिपेक्ष्य में युद्ध को देखना

कार्यशाला, देश की स्थिति एवं कलीसिया द्वारा शरणार्थियों तथा युद्ध के कारण आंतरिक रूप से विस्थापित गरीबों के लिए किये गये कार्यों को जानने का अवसर था। युद्ध के कारण करीब 13 मिलियन लोग अपना घर छोड़कर देश से बाहर अथवा यूक्रेन में ही सुरक्षित स्थानों की ओर चले गये हैं।

कीएव हालेक के महाधर्माध्यक्ष ने यूक्रेन की स्थिति का एक अवलोकन प्रस्तुत करते हुए कहा कि रूस द्वारा 24 फरवरी को यूक्रेन पर आक्रमण आरम्भ करने से लेकर अब तक रूस ने कुल 1300 रॉकेट दागे हैं। बमों द्वारा शहरों, आवासीय क्षेत्रों एवं अस्पतालों को भी लगातार निशाना बनाया जा रहा है, खासकर मारियुपोल में किन्तु खारकिव, चेरनीहिब और किएव में भी।    

अपनी गवाही में महाधर्माध्यक्ष ने दावा किया कि मारियुपोल में मानवीय सहायता पहुँचाये जाने से रोका जा रहा है जिसके कारण कई लोग भूख से भी मर रहे हैं।

उन्होंने हजारों यूक्रेनी नागरिकों के रूस में कथित जबरन निर्वासन के बारे में भी बात की, जिसको उन्होंने कहा कि, हमें सोवियत संघ में स्टालिन के शासन के सबसे काले वर्षों की याद दिला रहा है।

कलीसिया द्वारा लोगों की मदद

हालांकि यूक्रेन के महाधर्माध्यक्ष ने गर्व करते हुए बतलाया कि पुरोहित एवं धर्माध्यक्ष लोगों की मदद करने के लिए रूके हुए हैं तथा यूक्रेनी लोग साहस के साथ रूसी हमलावरों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "मैं आश्चर्य करता हूँ कि हम लोगों को किस तरह बचा रहे हैं? किस तरह लोगों की मदद कर रहे हैं? सबसे कमजोर लोगों तक पहुँच रहे हैं? हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा महागिरजाघर का तहखाना बम शेल्टर बन जायेगा।"

महाधर्माध्यक्ष ने संत पापा फ्राँसिस एवं परमधर्मपीठ के प्रति आभार प्रकट किया जो यूक्रेन की मदद कर रहे हैं और यूक्रेन के निर्दोष लोगों की हत्या रोकने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। 

25 मार्च को रूस और यूक्रेन को कुँवारी मरियम के समर्पण के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इस भाव को भी कई ऑर्थोडॉक्स विश्वासियों ने यह कहते हुए सराहना की, "हमारी माता का यह समर्पण, यह उपस्थिति, निष्कलंक हृदय की शक्ति का हमारे बीच होना सचमुच महत्वपूर्ण है।" 

महाधर्माध्यक्ष शेवचुक ने इन आशा के शब्दों के साथ अपना वक्तव्य समाप्त किया, "मैं महसूस करता हूँ कि आशा का संदेशवाहक बनना मेरा कर्तव्य है। आशा जो सैन्य शक्ति से नहीं आती। एक शक्ति जो कूटनीति से नहीं आती बल्कि यह एक शक्ति है जो विश्वास से आती है।" 

कार्डिनल सांद्री

कार्यशाला में पूर्वी कलीसियाओं के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल लेओनार्दो सांद्री ने कहा कि एक माह से भी अधिक समय तक यूक्रेन में जारी युद्ध अतीत की ओर पीछे लौटना है, न केवल यूक्रेन के लिए बल्कि यूरोप एवं पूरे विश्व के लिए, जिससे लगता है कि हमने नहीं सीखा है यहाँ तक युद्ध की तबाही और हथियारों के अंधे और विनाशकारी पागलपन के कारण होनेवाली भयावहता से भी।"

कार्डिनल सांद्री ने यूक्रेन के ग्रीक काथलिक कलीसिया के प्रति वाटिकन की भूमिका एवं  युद्ध पीड़ितों के प्रति संत पापा फ्राँसिस के सामीप्य और समर्थन की याद दिलाते हुए कहा, "विगत सप्ताहों में, संत पापा फ्राँसिस ने आक्रामकता एवं हमले की निंदा करके तथा ख्रीस्तीय समुदायों एवं पूरे विश्व के प्रति वर्तमान एवं भविष्य में एकात्मता की अपील करते हुए खुद को उन लोगों की आवाज बनायी है जो पीड़ित हैं, युद्ध के शिकार हो रहे हैं, गरीबी झेल रहे हैं तथा अपने परिवार को बचाने के लिए बम के नीचे भागने हेतु मजबूर हैं।"

कार्डिनल ने आशा व्यक्त की कि शांति, न्याय और अंतरराष्ट्रीय नियम को जल्द ही बचाया जा सकेगा तथा युद्ध द्वारा हुए घावों से चंगाई पाया जा सकेगा।  

कार्डिनल चरनी

कार्डिनल चरनी ने "स्वागत करनेवाले साहसी दूतों" के बारे बतलाया जिनसे उनकी मुलाकात हंगरी एवं स्लोवाकिया यात्रा के दौरान हुई थी जहाँ यूक्रेन के बहुत सारे शरणार्थी पहुँच रहे हैं।

उन्होंने कहा, "हम उन्हें सहर्ष दूत पुकारते हैं जो अक्सर गुमनाम रहकर, कठिनाई में पड़े अजनबियों की हरसंभव मदद करते हैं। वे हैं, पुरोहित, परिवार, धर्मसमाजी भाई और बहनें, धर्माध्यक्ष एवं लोकधर्मी स्वयंसेवक।"

"जो मदद और स्वागत करते हैं वे निश्चय ही हीरो दूत हैं किन्तु केवल वे दूत नहीं हैं बल्कि धर्मग्रंथ हमें अधिक गहराई से देखने एवं पहचानने का प्रोत्साहन देता है कि उन लोगों के बीच भी दूत हो सकते हैं जो भागकर आ रहे हैं और शरण ले रहे हैं। इब्रानियों के पत्र हमें चेतावनी देता है: 'अतिथिसत्कार मत भूलना; कुछ लोगों ने इसका अभ्यास करते हुए, अनजाने में स्वर्गदूतों का स्वागत किया।"  

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31 March 2022, 16:27