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कलीसिया की सांस्कृतिक विरासत के भविष्य पर रोम में सम्मेलन

रोम में आगामी 04-05 मई को "करिश्मा और रचनात्मकता" विषय पर एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन होने जा रहा है जिसमें कलीसिया एवं उसके धर्मसमाजों की सांस्कृतिक विरासत के भविष्य पर गहन विचार-विमर्श किया जायेगा।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 18 फरवरी 2022 (रेई, वाटिकन रेडियो): रोम में आगामी 04-05 मई को "करिश्मा और रचनात्मकता" विषय पर एक अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन होने जा रहा है जिसमें कलीसिया एवं उसके धर्मसमाजों की सांस्कृतिक विरासत के भविष्य पर गहन विचार-विमर्श किया जायेगा। समर्पित एवं प्रेरितिक जीवन के लिये गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ तथा संस्कृति सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद द्वारा उक्त सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।

"करिश्मा और रचनात्मकता"

"करिश्मा और रचनात्मकता" शीर्षक से आयोजित सम्मेलन का उद्देश्य सर्वोत्तम तौर-तरीकों एवं प्रथाओं को साझा करना है ताकि रचनात्मक तरीके से अपनी विरासत की रक्षा और विकास हेतु धर्मसमाजी एवं धर्मसंघीं समुदायों की क्षमता में सुधार हो सके। सम्मेलन इस तथ्य की बढ़ती जागरूकता का परिणाम है कि कलीसिया की सांस्कृतिक विरासत स्थानीय समुदायों की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है और अपने मेषपालीय और प्रेरितिक लक्ष्यों को प्रोत्साहित करने के लिए नए साधन प्रदान कर सकती है।

प्रेस सम्मेलन में

वाटिकन प्रेस कार्यालय द्वारा गुरुवार को "करिश्मा और रचनात्मकता" विषय पर आयोजित उक्त अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन की प्रस्तावना की गई। प्रेस सम्मेलन में समर्पित एवं प्रेरितिक जीवन के लिये गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल होआओ ब्राज़ दे आविज़ तथा संस्कृति सम्बन्धी परमधर्मपीठीय परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल जियान फ्राँको रावासी ने कलीसिया की सांस्कृतिक धरोहर के रखरखाव तथा सुसमाचार प्रचार सम्बन्धी उसके मिशन हेतु धर्मसमाजों एवं धर्मसंघियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।  

कलीसियाई विरासत का प्रबंधन

दोनों कार्डिनलों ने इस बात को रेखांकित किया कि धर्मसमाजों एवं धर्मसंघों में बुलाहटों की कमी के मद्देनज़र  कलीसियाई धरोहर को सुरक्षित रखने का कार्य आज और भी अधिक ज़रूरी हो गया है इसलिये कि इस स्थिति में  उनकी विशाल सांस्कृतिक विरासत को त्यागने और उसमें गिरीवट के आ जाने का ख़तरा बना हुआ है।

कार्डिनल दे आविज़ ने कहा, समर्पित स्त्री-पुरुषों से मांग की जाती है कि वे "आज के समाज में अपनी संपत्ति के मूल्य, उसके अंतिम गंतव्य, और अपने धर्मसमाज या धर्मसंघ के करिशमें के साथ उदारतापूर्वक घनिष्ठ संबंध बनाये तथा उसपर चिन्तन करे।"

उन्होंने बताया कि मई माह के सम्मेलन में भाग लेनेवाले धर्मसमाजी एवं धर्मसंघी इन्हीं चुनौतियों पर अपने अनुभवों को साझा करेंगे तथा उनपर चिन्तन करेंगे।  

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18 February 2022, 11:41