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कार्डिनल पारोलिन द्वारा संघर्ष समाप्त करने हेतु वार्ता शुरू करने की अपील

वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पिएत्रो पारोलिन ने इतालवी पत्रकारों से बातें की और कहा कि "संघर्ष को लम्बा करना एक बड़ी तबाही होगी।"

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 28 फरवरी 2022 (वाटिकन न्यूज) : कार्डिनल पारोलिन ने चेतावनी दी कि यूरोप के अन्य देशों में यूक्रेनी संघर्ष का प्रसार एक "विशाल तबाही" होगी, जिसकी संभावना किसी को भी झकझोर देती है। वाटिकन राज्य सचिव ने चार इतालवी समाचार पत्रों (इल कोरिएरे देल्ला सेरा, ला रिपब्लिका, ला स्टाम्पा और इल मेसाजेरो) के साथ एक साक्षात्कार में यह टिप्पणी की। कार्डिनल पारोलिन ने किसी भी सैन्य वृद्धि से बचने, हिंसा को समाप्त करने और शांति वार्ता शुरू करने का आह्वान करते हुए कहा कि बातचीत के लिए "कभी देर न हो जाए।" उन्होंने कहा कि परमधर्मपीठ "रूस और यूक्रेन के बीच वार्ता को सुविधाजनक बनाने के लिए तैयार है।"

कार्डिनल ने पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन को हथियार भेजने के निर्णय के मद्देनजर अन्य यूरोपीय देशों में संघर्ष के फैलने की संभावना को संबोधित किया। उन्होंने कहा, "मैं इसके बारे में सोचने की हिम्मत भी नहीं करता," "यह विशाल अनुपात की तबाही होगी, भले ही, दुर्भाग्य से, यह एक परिणाम नहीं है जिसे पूरी तरह से बाहर रखा जा सकता है।" उन्होंने उन बयानों पर ध्यान दिलाया और कहा "इन बयानों ने हाल के दिनों में द्वितीय विश्व युद्ध से पहले की घटनाओं को जन्म दिया है और भड़काया है," "ये संदर्भ कंपकंपी पैदा करने वाली हैं।"

कार्डिनल पारोलिन ने कहा कि इस खतरे को टालने के लिए, संघर्षों को फैलने से रोकने के लिए बातचीत करने की आवश्यकता है। उन्होंने "दो विरोधी गुटों के साथ एक नए शीत युद्ध की संभावित वापसी" के बारे में भी चिंता व्यक्त की। कार्डिनल ने कहा कि ऐसा "परेशान करने वाला परिदृश्य," भाईचारे की संस्कृति के खिलाफ जाता है जिसे संत पापा फ्राँसिस ने एक न्यायपूर्ण, एकजुटता पर आधारित और शांतिपूर्ण दुनिया बनाने का एकमात्र तरीका प्रस्तावित किया है।”

वार्ता की संभावना और परमधर्मपीठ के लिए एक संभावित भूमिका पर, कार्डिनल ने कहा: "यद्यपि हम जो डरते थे और आशा करते थे कि ना हो, पर वही हुआ - यूक्रेन के खिलाफ रूस द्वारा शुरू किया गया युद्ध - मुझे विश्वास है कि बातचीत के लिए हमेशा जगह है अब भी देरी नहीं हुई है! क्योंकि मतभेदों को सुलझाने का एकमात्र उचित और रचनात्मक तरीका बातचीत के माध्यम से है, क्योंकि संत पापा फ्राँसिस इसे कभी भी दोहराते नहीं थकते।" उन्होंने आगे कहा, "परमधर्मपीठ जिसने हाल के वर्षों में यूक्रेन में हो रही घटनाओं का सावधानी से और बहुत ध्यान से देखा है, रूस के साथ बातचीत को सुविधाजनक बनाने की इच्छा की पेशकश की है, पार्टियों को उस रास्ते को फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए हमेशा तैयार है।"

पिछले शुक्रवार को संत पापा फ्राँसिस व्यक्तिगत रूप से संत पेत्रुस महागिरजाघर से कुछ सौ मीटर की दूरी पर विया देल्ला कॉन्सिलियाजियोने में रूसी संघ के राजनयिक मुख्यालय के दरवाजे पर दस्तक देने गए थे। कार्डिनल पारोलिन ने कहा "मैं इस अवसर का लाभ उठाता हूँ," वाटिकन में रूसी दूतावास की अपनी यात्रा के दौरान संत पापा ने लड़ाई को रोकने और वार्ता पर लौटने के लिए उस दबावपूर्ण निमंत्रण को नवीनीकृत किया। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, सैन्य हमले, जिसके दुखद परिणाम हम सभी पहले ही देख चुके हैं, को तुरंत रोका जाना चाहिए। मैं द्वितीय विश्व युद्ध के फैलने से कुछ दिन पहले 24 अगस्त 1939 को संत पापा पियुस बारहवें के शब्दों को याद करना चाहूंगा: “मनुष्य अपने विवेक में आयें। वे फिर से बातचीत शुरू करें। सद्भावना और एक-दूसरे के अधिकारों का सम्मान करते हुए बातचीत में, वे पाएंगे कि ईमानदार और सक्रिय बातचीत से सम्मानजनक सफलता कभी नहीं रुकती है।"

राज्य के सचिव ने भी कलीसियाओं के बीच असहमति के बारे में बात की: "कलीसिया के इतिहास में, दुर्भाग्य से, विशिष्टताओं की कमी कभी नहीं रही है और उन्होंने कई दर्दनाक विभाजनों को जन्म दिया है, जैसा कि संत पौलुस ख्रीस्तीय धर्म के मूल में गवाही देते हैं और साथ ही हमें उन पर विजय पाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इस अर्थ में, हम रूढ़िवादी कलीसियाओं के प्रमुखों की अपील में उत्साहजनक संकेत देखते हैं, जो आपसी घावों की स्मृति को छोड़ने और शांति के लिए काम करने की इच्छा दिखाते हैं। ” दूसरी ओर, कलीसिया भी "स्थिति के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त करने और इस बात की पुष्टि करने में सहमत हैं कि, शांति और मानव जीवन के मूल्य वास्तव में कलीसियाओं के दिल में हैं, जो स्थिति को और बिगड़ने से रोकने में मौलिक भूमिका अदा कर सकते हैं।"

अंत में, चल रहे संघर्ष पर लौटते हुए, कार्डिनल पारोलिन ने कहा: "एक बार फिर हम देखते हैं कि दूसरों के कारणों को पूरी तरह से जानने और समझने के लिए संचार और एक-दूसरे को सुनना आवश्यक है। जब लोग एक-दूसरे से ईमानदारी से बात करना और सुनना बंद कर देते हैं, तो वे एक-दूसरे को संदेह की नजर से देखते हैं और अंत में केवल आपसी आरोपों का आदान-प्रदान करते हैं। हाल के महीनों में हुई घटनाओं ने केवल इस आपसी बहरेपन को बढ़ावा दिया है, जिससे खुले संघर्ष का जन्म हुआ है। प्रत्येक देश की आकांक्षाएं और उनकी वैधता एक व्यापक संदर्भ में, और सबसे बढ़कर, नागरिकों की पसंद और अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करते हुए, एक सामान्य चिंतन का विषय होना चाहिए। इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा पड़ा है जो इस बात की पुष्टि करते हैं कि यह संभव है।"

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28 February 2022, 15:43