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जिम्बाब्वे में टीका लेता हुआ एक व्यक्ति जिम्बाब्वे में टीका लेता हुआ एक व्यक्ति 

कोविड -19: कारणों, कार्यों और परिणामों पर नई अंतर्दृष्टि

परमधर्मपीठीय विज्ञान अकादमी ने 4 और 5 नवंबर की आभासी बैठक के बाद अंतिम वक्तव्य का सारांश दिया है, जो विज्ञान और स्वास्थ्य नीति के लिए महामारी के प्रभावों के बारे में है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 29 नवम्बर 2021 (वाटिकन न्यूज) : परमधर्मपीठीय विज्ञान अकादमी (पीएएस) इस तथ्य पर चिंता व्यक्त करती है कि कोविद -19 विशेष रूप से गरीबों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और देशों एवं पीढ़ियों के बीच असमानता को और बढ़ाता है। पीएएस और उसके सहयोगियों ने विज्ञान और स्वास्थ्य नीतियों के लिए कुछ विषयगत क्षेत्रों की पहचान की है जो सभी लोगों की सेवा कर सकते हैं। रोग के स्रोत और विस्तार तंत्र को समझना आवश्यक है। SARS-CoV-2 की संभावित निरंतर उपस्थिति और भविष्य में नए संक्रामक रोगों की उपस्थिति पर विचार किया जाना चाहिए। टीका विकास और उपचार के क्षेत्र में विज्ञान से नई अंतर्दृष्टि प्रभावशाली और आशाजनक है और स्वास्थ्य नीति कार्यों के संदर्भ में नए अनुभव और दृष्टिकोण स्वतंत्र रूप से साझा किए जाने चाहिए।

यह देखते हुए कि गरीब देशों में टीकों की कमी ने नैतिक रूप से अक्षम्य असमानता पैदा कर दी है, टीकों तक उचित पहुंच की गारंटी दी जानी चाहिए।  इसके अलावा, कम टीकाकरण कवरेज से कोविद संक्रमण के नए रूपों के उभरने का खतरा बढ़ जाता है। धनी देशों द्वारा वैक्सीन असमानता और वैक्सीन राष्ट्रवाद को समाप्त करना चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण वैक्सीन-संबंधित वैश्विक पहल कोवैक्स कार्यक्रम को और अधिक समर्थन प्राप्त करना चाहिए। निदान, परीक्षण और उपचार में नवाचार भी आशाजनक है, लेकिन इसे दुनिया भर में उपलब्ध कराने की आवश्यकता है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों में महामारियों का सर्वोतम प्रबंधन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्राथमिकता होनी चाहिए। डब्ल्यूएचओ के ढांचे में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की प्रमुख भूमिका को मजबूत करना है। कोविद-19 प्रबंधन में देखभाल प्रणालियाँ आवश्यक हैं और भोजन, शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे अन्य क्षेत्रों पर प्रभाव पर विचार किया जाना चाहिए। कोविद-19 का दीर्घकालिक प्रभाव प्रमुख चिंता का विषय हैं और इसके लिए गहन शोध के साथ-साथ लक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यों की आवश्यकता है। बच्चों पर संक्रमण के प्रभाव और युवाओं के विकास पर सामाजिक अलगाव के मनोवैज्ञानिक परिणामों से संबंधित शोध पर विचार करने की आवश्यकता है।

विज्ञान ने पहले ही कई लोगों को महामारी से बचाया है। विज्ञान की गुणवत्ता को कोविद-19 तनाव से बचाना चाहिए। महामारी और टीकों के बारे में गलत सूचनाओं और साजिशों का सामना करना विज्ञान, शिक्षा, नीति, (सामाजिक) मीडिया और धार्मिक समुदायों के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य है। मानवीय गरिमा महामारी के वैज्ञानिक पहलुओं पर चिंतन का प्रारंभिक बिंदु होना चाहिए और कार्यों को निर्देशित करने में ध्यान केंद्रित करना चाहिए। समावेशी स्वास्थ्य नीतियों को संत पापा फ्राँसिस के विश्वपत्र ‘फ्रातेल्ली तुत्ती’ को ध्यान में रखते हुए सच्चाई, न्याय, एकजुटता और बंधुत्व पर आधारित होना चाहिए।

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29 November 2021, 15:18