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मुम्बई में दीपावली महोत्सव से पूर्व बाज़ार में रौनक, तस्वीरः 28.10.2021 मुम्बई में दीपावली महोत्सव से पूर्व बाज़ार में रौनक, तस्वीरः 28.10.2021 

विश्व के समस्त हिन्दूओं के नाम वाटिकन ने भेजा शुभकामना सन्देश

वाटिकन ने विश्व के समस्त हिन्दू धर्मानुयायियों के नाम दीपावली महोत्सव के उपलक्ष्य में शुभकामना सन्देश प्रेषित किया है। परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक परिसम्बाद सम्बन्धी परिषद द्वारा प्रेषित यह सन्देश वाटिकन प्रेस द्वारा शुक्रवार, 29 अक्टूबर को प्रकाशित किया गया।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 29 अक्तूबर 2021 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन ने विश्व के समस्त हिन्दू धर्मानुयायियों के नाम दीपावली महोत्सव के उपलक्ष्य में शुभकामना सन्देश प्रेषित किया है। परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक परिसम्बाद सम्बन्धी परिषद द्वारा प्रेषित यह सन्देश वाटिकन प्रेस द्वारा शुक्रवार, 29 अक्टूबर को प्रकाशित किया गया।

ख्रीस्तीय एवं हिन्दू धर्मानुयायी एक साथ

सन्देश में वाटिकन ने आशा व्यक्त की है कि वर्तमान महामारी से उत्पन्न चिंता और अनिश्चितता के बावजूद दीपावली  महोत्सव का अनुपालन समस्त हिन्दू भाइयों के जीवन, घरों और समुदायों में एक बेहतर भविष्य की आशा प्रकाशित करे। ख्रीस्तीय एवं हिन्दू धर्मानुयायी एक साथ मिलकर महामारी और इसके परिणामस्वरूप उत्पन्न चुनौतीपूर्ण समय में किसी प्रकार लोगों के जीवन में आशा की रोशनी प्रज्वलित कर सकते हैं इस प्रश्न पर सन्देश में विचार साझा किये गये हैं।

एकजुटता और बंधुत्व

दीपावली सन्देश में इस बात पर बल दिया गया कि महामारी के दौर में दृश्यमान एकजुटता और बंधुत्व के कई कृत्यों ने यह दर्शा दिया है कि हिन्दू एवं ख्रीस्तीय धर्मानुयायी 'एक साथ’ हो सकते हैं और हर संकट को, यहां तक कि दुर्गम प्रतीत होने वाले संकट को भी, संकल्प और प्रेम के साथ दूर कर सकते हैं। यह कार्य, विशेष रूप से, दोनों धर्मों के अनुयायियों के बीच अन्तरधार्मिक सम्वाद को मूर्तरूप प्रदान कर सम्भव बनाया जा सकता है तथा  विचारों के आपसी आदान-प्रदान से ज़रूरतमंदों की सहायता हेतु एकता की शक्ति प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा, सन्देश में इस तथ्य को रेखांकित किया गया कि एकजुट कार्य हर संकट से बेहतर तरीके से बाहर निकलने का सर्वोत्तम तरीका है, यहाँ तक कि मानव जाति को चिन्तित करनेवाले विश्व के अहं मुद्दे जैसे जलवायु परिवर्तन, धार्मिक कट्टरवाद, आतंकवाद, अति राष्ट्रवाद तथा ज़ेनोफोबिया आदि को भी एक साथ मिलकर प्रभावशाली ढंग से निपटाया जा सकता है।

परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक परिसम्बाद परिषद द्वारा प्रेषित दीपावली सन्देश:

प्रिय हिंदू मित्रो,

परमधर्मपीठीय अन्तरधार्मिक परिसम्बाद परिषद आप सब को 04 नवम्बर को मनाये जानेवाले दीपावली महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ अर्पित करती है। वर्तमान महामारी से उत्पन्न चिंता और अनिश्चितता के बीच तथा इसके परिणामस्वरूप आच्छादित विश्वव्यापी संकट के बावजूद भी इस महोत्सव का अनुपालन आपके जीवन, घरों और समुदायों को एक बेहतर भविष्य की आशा से प्रकाशित करे।

किसी न किसी तरह से, लोगों के जीवन और जीविका में उलट-फेर करनेवाली महामारी की पहली और दूसरी लहरों के निशान हमारे दिमागों में ताज़ा रहने के अलावा, समस्त विश्व में आतंकवाद से लेकर पारिस्थितिक ह्रास जैसे विनाशकारी कारक जब-जब होते हैं तब-तब हम सभी में, विविध मात्राओं में, वश्यता, निराशा एवं विषाद की भावना भर जाती है। ये न केवल लोगों के मन में भय वैठाते हैं, अपितु उनकी व्यथाओं और निराशाओं को और भी बढ़ा देते हैं। इस संदर्भ में हम अपनी पोषित परम्परा को आगे बढ़ाते हुए  आपके साथ कुछ विचार साझा करना चाहते हैं कि कैसे हम ईसाई और हिंदू दोनों ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में लोगों के जीवन में आशा की रोशनी ला सकते हैं।

वर्तमान महामारी के परिप्रेक्ष्य में जिसने लोगों को अथाह पीड़ा और आघात पहुंचाया है, एकजुटता और बंधुत्व की उम्मीद की किरणें भी पैदा की हैं। यह हमारी क्षमता के वश में है कि हम यह प्रदर्शित कर सकें कि हम 'एक साथ’ हो सकते हैं और हर संकट को, यहां तक कि दुर्गम प्रतीत होने वाले संकट को भी, संकल्प और प्रेम के साथ दूर कर सकते हैं। दुःख  को कम करने और ज़रूरतमंदों की सहायता करने के लिये प्रस्फुटित एकता की शक्ति, विशेष रूप से, जब वह अन्तरधार्मिक रूप में हो और ज़िम्मेदारी के साथ प्रकट होती हो, तब वह उस आशा के प्रकाश को दृश्यता प्रदान करती है जिसे धार्मिक परम्पराओं के सभी अनुयायी निराशा एवं अन्धकार के समय ठोस रूप से प्रत्युत्तर  देने के लिये बुलाये जाते हैं। अन्तरधार्मिक एकात्मता के माध्यम से एक साथ मिलकर लोगों के जीवन में प्रकाश लाना समाज में धार्मिक परम्पराओं की उपयोगिता और उपायकुशलता को भी अभिपुष्ट करता है।

मौजूदा महामारी के दौर में एक दूसरे के साथ रहने और एक दूसरे से जुड़े रहने की आवश्यकता के सम्बन्ध में बढ़ती जागरूकता हमें उन स्थलों में रोशनी लाने के अधिक से अधिक तरीके ढ़ूँढ़ने का आह्वान करती है जहाँ कलह और विभाजन, विनाश और विध्वंस, अभाव और अमानवीकरण व्याप्त है। केवल हमारे बीच की महत्तर जागरूकता के माध्यम से कि हम सभी एक दूसरे के अंग हैं, कि हम सभी एक दूसरे के भाई बहनें हैं (दे. सन्त पापा फ्राँसिस भ्रातृ भाव और सामाजिक मैत्री के विषय पर विश्व पत्र फ्रात्तेल्ली तूती 3 अक्टूबर, 2020) और यह कि एक दूसरे के और हमारे घर के प्रति जो कि हमारा 'साझा घर’ है, हमारी साझा जिम्मेदारी है,  हम किसी भी प्रकार की निराशा से निकलने का प्रयास कर सकते हैं। इसके अलावा, अन्योन्याश्रित होकर और दूसरों के साथ एकजुटता से कार्य कर हम हर संकट से बेहतर तरीके से बाहर निकलेंगे, यहाँ तक कि विश्व के अहं मुद्दे जैसे जलवायु परिवर्तन, धार्मिक कट्टरवाद, आतंकवाद, अति राष्ट्रवाद तथा ज़ेनोफोबिया जो प्रकृति और लोगों के बीच सामंज्स्य तथा लोगों के मैत्रीपूर्ण सह-अस्तित्व को बाधित करने की धमकी देते हैं, तथा हमें चिंतित एवं प्रभावित करते हैं, प्रभावी ढंग से निपटाये जा सकते हैं।

संकट के समय जहाँ एक ओर धार्मिक परम्पराएँ जो सदियों के ज्ञान-भंडारों के रूप में हमारे शिथिल-स्वभाव को उठाने की शक्ति रखती हैं, वहीं दूसरी ओर व्यक्तियों और समुदायों को वर्तमानकालीन निराशा से परे आशा पर दृष्टिगत होकर अपने जीवन की दिशा को पुनः स्थापित करने में सहायता करने की क्षमता रखती हैं। सबसे बढ़कर, वे अपने अनुयायियों को उनकी अपनी शक्ति के हर एक साधन का उपयोग करते हुए आशाहीनता की भावना से ग्रस्त लोगों में आशा का संचार करने के लिए निर्देश एवं आमंत्रण देती हैं।

यह धार्मिक और सामुदायिक नेताओं पर निर्भर है कि वे अपने अनुयायियों के बीच बंधुत्व की भावना का पोषण करें जिससे कि वे उन्हें, विशेषकर संकट और हर तरह की आपदा के दौरान अन्य धार्मिक परंपराओं के लोगों के साथ चलने और मिलकर काम करने में मदद दे सकें। सन्त पापा फ्रॉसिस के अनुसार, भ्रातृत्व, "महामारी और हमें प्रभावित करने वाली कई बुराइयों का सही इलाज है" (परमधर्मपीठ से मान्यता प्राप्त राजनयिक कोर के सदस्यों को सम्बोधन, ८ फरवरी, २०२१)। एक-दूसरे के प्रति अंतर-धार्मिक रूप से ज़िम्मेदार होना हमारे बीच एकजुटता और भाईचारे को मज़बूत करने तथा पीड़ितों को सहायता पहुँचाने और विपदाग्रस्त लोगों में आशा का संचार करने का एक निश्चित साधन है।

अपनी-अपनी आध्यात्मिक परम्पराओं में मूलबद्ध विश्वासियों के रूप में तथा मानवता के लिए, विशेष रूप से, पीड़ित मानवता के प्रति साझा दृष्टिकोण और साझा ज़िम्मेदारीवाले व्यक्तियों के सदृश, हम ख्रीस्तीय एवं हिन्दू, व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से, अन्य धार्मिक परम्पराओं के अनुयायियों एवं सभी शुभचिन्तकों के साथ मिलकर निराशा में पड़े लोगों तक पहुँचें, जिससे कि उनके जीवन में प्रकाश ला सकें।

आप सबको दीपावली की मंगलकामनाएं।

कार्डिनल मिगेल आन्गेल अयुसो गिक्सो, एमसीसीजे                                                                                                                                                                                                                                

                              अध्यक्ष

                                                                           

                                                                       मोन्सिन्ज्ञोर इन्दुनिल कोडिथुवाक्कु जनकरतने कंगनमलगे

                                                                                                                  सचिव

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29 October 2021, 11:25