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अर्मेनिया में नया प्रेरितिक दूतावास कार्यालय अर्मेनिया में नया प्रेरितिक दूतावास कार्यालय  

अर्मेनिया में नया प्रेरितिक दूतावास कार्यालय खुला

अर्मेनिया के लिए प्रेरितिक दूतावास का एक नया कार्यालय बुधवार को राजधानी येरेवान में खुला। हालांकि, यह जॉर्जिया के त्बिलिसी में आधिकारिक प्रेरितिक दूतावास की जगह नहीं लेगा, यह जॉर्जिया और अर्मेनिया के लिए परमधर्मपीठ के राजनायिक मिशन के रूप में कार्य करता है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

येरेवान, बुधवार 27 अक्टूबर 2021 (वाटिकन न्यूज) : जैसा कि परमधर्मपीठ और आर्मेनिया 30 साल के राजनयिक संबंधों को चिह्नित करते हैं, 27 अक्टूबर को अर्मेनियाई राजधानी येरेवान में जॉर्जिया और अर्मेनिया के लिए प्रेरितिक दूतावास के एक नए कार्यालय का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन राज्य सचिवालय के स्थानापन्न महाधर्माध्यक्ष एडगर पेना पारा की उपस्थिति में हुआ।

येरेवान प्रेरितिक दूतावास कार्यालय का उद्घाटन एक व्यापक व्यवस्था के मद्देनजर एक अनंतिम व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है ताकि अर्मेनिया में परमधर्मपीठ और काथलिक कलीसिया के मिशन की कई प्रतिबद्धताओं का पर्याप्त रूप से समर्थन करने के लिए पर्याप्त स्थान हो। परमधर्मपीठ के लिए, यह "सभी अर्मेनियाई लोगों के लाभ के लिए एक समृद्ध संबंध बनाने का एक और अवसर है।

प्राचीन रिश्ते

अर्मेनिया में प्रेरितिक दूतावास की स्थापना 24 मई 1992 को संत पापा जॉन पॉल द्वितीय के प्रेरितिक पत्र अर्मेनियाई राष्ट्र के साथ की गई थी। रोम और अर्मेनिया की कलीसिया के बीच संबंध प्राचीन काल से है, लगभग ख्रीस्तीय धर्म की उत्पत्ति के समय से है, जब येसु में विश्वास येरुसालेम से "ज्ञात दुनिया" में फैल गया, जहां लोगों के बीच वाणिज्यिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान, जीवन और अस्तित्व के "अर्थ" को छूने वाली बहसों और बैठकों का एक अवसर बन गया।

सदियों से, अर्मेनिया और परमधर्मपीठ के बीच संबंध प्राचीन और काफी मजबूत रहा है। सोवियत संघ के पतन के बाद अर्मेनिया को स्वतंत्रता मिलने के बाद, आधिकारिक राजनयिक संबंध 23 मई 1992 को शुरु किया गया। अर्मेनिया में नियुक्त पहले प्रेरितिक राजदूत मोनसिन्योर जीन-पॉल एमे गोबेल (1993-1997) थे। 2018 से वर्तमान परमधर्मपीठ के प्रतिनिधि महाधर्माध्यक्ष जोस ए. बेटेनकोर्ट हैं।

संत पापा फ्राँसिस की यात्रा

संत पापा फ्राँसिस ने 24-26 जून, 2016 को आर्मेनिया का दौरा किया। देश के नागर अधिकारियों और राजनयिक कोर के सदस्यों के साथ अपनी बैठक में, संत पापा ने देश के इतिहास को याद किया, जिसे मेट्ज़ येगर्न ('महान बुराई' से जाना जाता है) द्वारा चिह्नित किया गया था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तुर्क साम्राज्य के तहत अर्मेनियाई नरसंहार को याद किया गया जो अपनी ख्रीस्तीय पहचान को"सदियों से संरक्षित रखा।"

संत  पापा ने कहा, "यह ख्रीस्तीय पहचान, राज्य के स्वस्थ धर्मनिरपेक्षता में बाधा नहीं डालता, अपितु इसका पोषण करता है, समाज के सभी सदस्यों की साझा नागरिकता, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के सम्मान के पक्ष में है।” उन्होंने कहा, "सभी अर्मेनियाई लोगों का सामंजस्य और कुछ पड़ोसी देशों के साथ तनाव को दूर करने के लिए उपयोगी तरीकों की पहचान करने के लिए बढ़ती प्रतिबद्धता, इन महत्वपूर्ण उद्देश्यों को प्राप्त करना आसान बना देगा और अर्मेनिया के लिए सच्चे पुनर्जन्म के युग की शुरुआत करेगा।"

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27 October 2021, 15:32