यूरोप के भविष्य पर कार्डिनल पारोलीन का सम्बोधन
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
स्लोवेनिया, गुरुवार, 2 सितम्बर 2021 (रेई,वाटिकन रेडियो): स्लोवेनिया के ब्लेड शहर में "यूरोप के भविष्य" विषय पर आयोजित सम्मेलन के नेताओं को सम्बोधित करते हुए, गुरुवार को, वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने, यूरोप की धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक परम्पराओं का स्मरण दिलाया तथा मानवीय मूल्यों के पुनर्प्रतिष्ठापन का आह्वान किया।
मानवीय मूल्यों का पुनर्प्रतिष्ठापन
स्लोवेनविया के ब्लेड शहर में 31 अगस्त से 02 सितम्बर तक जारी सम्मेलन में शामिल यूरोप के विभिन्न राष्ट्रों के प्रतिनिधि नेताओं को सम्बोधित कर कार्डिनल पारोलीन ने कहा कि वर्तमानकाल में अन्तरराष्ट्रीय कानून तथा अन्तरराष्ट्रीय संगठनों में घटते विश्वास का प्रभाव यूरोप पर भी पड़ा है।
उन्होंने कहा कि यूरोप ने सदैव मानव के मूलभूत अधिकारों के सम्मान में विश्वास किया है किन्तु, दुर्भाग्यवश, अन्तरराष्ट्रीय पटल पर व्याप्त परिस्थितियों के परिणामस्वरूप इन मूल्यों, जैसे न्याय, स्वतंत्रता, पारिवारिक प्रेम, जीवन के प्रति सम्मान, सहिष्णुता, सहयोग एवं शांति की योजनाओं को धक्का लगा है।
कार्डिनल पारोलीन ने सचेत किया कि द्रुत गति से विकसित होते युग में, विशेष रूप से, मूल्यों में कमी आ जाने से अस्मिता के गुम हो जाने का ख़तरा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि हमें यह स्वीकार करना होगा कि नये मापदण्ड पारम्परिक, धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों को गौण बना देते हैं, इसलिये मानव प्रतिष्ठा को अक्षुण रखने वाले मूल्यों को कायम रखने का हर सम्भव प्रयास किया जाना चाहिये।
कलीसिया के साथ पारदर्शी सम्वाद ज़रूरी
इस सन्दर्भ में, कार्डिनल पारोलीन ने कहा कि यूरोप के भविष्य पर यूरोपीय संसद एवं यूरोपीय संघ के आयोग द्वारा आयोजित उक्त सम्मेलन, नवीन आन्तरिक एवं बाहरी चुनौतियों के प्रकाश में, यूरोप की पहचान एवं यूरोपीय मूल्यों के आकलन का एक सुनहरा अवसर सिद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसीलिये यह महत्वपूर्ण है कि यूरोप अपनी ख्रीस्तीय जड़ों तथा ख्रीस्तीय कलीसियाओं द्वारा यूरोप को दिये गये योगदान को न भूले।
कार्डिनल महोदय ने इस बात पर बल दिया कि जब यूरोप के भविष्य की चर्चा उठती है तब ख्रीस्तीय कलीसियाओं एवं धार्मिक समुदायों के प्रतिनिधियों से पारदर्शी सम्वाद को कदापि दरकिनार नहीं किया जाना चाहिये। उन्होंने स्मरण दिलाया कि यूरोपीय संघ की सम्विदा के 17 वें अनुच्छेद में भी यह विशेष रूप से कहा गया है।
यूरोप की आत्मा भौतिक सीमाओं से परे
इसके अतिरिक्त, कार्डिनल पारोलीन ने यूरोपीय एकात्मता तथा अन्तरराष्ट्रीय सहयोग, आप्रवास, जनसांख्यकिक परिवर्तन, "स्वास्थ्य, आर्थिक, सामाजिक, रक्षा और साइबर क्षेत्रों में सामरिक और उत्पादन संप्रभुता" के निर्माण की चुनौतियों आदि पर भी सम्मेलन में उपस्थित यूरोपीय नेताओं का ध्यान आकर्षित कराया।
सन्त पापा फ्राँसिस के शब्दों को उद्धृत करते हुए, उन्होंने कहा, "यूरोप की आत्मा, वास्तव में, यूरोपीय संघ की वर्तमान सीमाओं से परे है तथा नवीन संश्लेषण और संवाद का एक आदर्श बनने हेतु इसका आह्वान किया जाता है।"
आप्रवास के सन्दर्भ में, कार्डिनल पारोलीन ने कहा, "एक समावेशी और मेहमाननवाज यूरोप की आवश्यकता है, जहाँ दूसरे के प्रति ध्यान, मूल्यों एवं आदर्शों को सर्वोपरि रखते हुए, स्वार्थ, उदासीनता या भय के हर रूप पर काबू पा सके।"
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