खोज

संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग में भाग लेते विश्वासी संत पेत्रुस महागिरजाघर में ख्रीस्तयाग में भाग लेते विश्वासी  

कार्डिनल गम्बेत्ती ˸ संत पेत्रुस में मिस्सा बलिदान

संत पेत्रुस महागिरजाघर के महापुरोहित कार्डिनल मौरो गम्बेत्ती ने वाटिकन के महागिरजाघर में प्रातः अर्पित किये जानेवाले मिस्सा बलिदानों के ताज़ा नियमों से अवगत कराया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिक सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 22 जून 2021 (रेई)- कार्डिनल गम्बेत्ती ने याद दिलाया है कि धर्मविधि के कार्य व्यक्तिगत कार्य नहीं हैं तथा पुरोहितों के लिए यह उचित है कि वे सहअनुष्ठाता के रूप में मिस्सा में भाग लें। साथ ही उन्होंने अपवादों और पुरोहितों तथा विश्वासियों, दोनों के सामान्य और असाधारण रूप में संस्कार के लिए विश्वासियों के वैध अनुरोधों को स्वीकार करने की आवश्यकता को स्पष्ट किया है।

संत पेत्रुस महागिरजाघर के महापुरोहित ने वाटिकन महागिरजाघर में प्रातः मिस्सा बलिदान अर्पित किये जाने के संबंध में कुछ निर्देश जारी किया है जिसका उद्देश्य है कि मिस्सा समारोह एक अनुस्मरण एवं धर्मविधिक शिष्टाचार के साथ सम्पन्न हो।

समारोहों की व्यवस्था और विश्वासियों की वैध अभिलाषाओं को स्वीकार करना

कार्डिनल ने कहा है कि नये नियम दो सिद्धांतों से प्रेरित हैं ˸ समय एवं गुणवत्ता की दृष्टि से समारोहों की व्यवस्था करना तथा जितना संभव हो विश्वासियों के विशेष एवं वैध अभिलाषाओं का स्वागत करना एवं उन्हें सम्मिलित करना।   

"प्रावधानों के अनुसार 7.00 और 9.00 बजे के बीच पुरोहित व्यवस्थित स्थलों पर सूचिवद्ध मिस्सा बलिदानों में सह अनुष्ठाता के रूप में मिस्सा में भाग ले सकते हैं।"

साथ ही साथ, इस अपवाद की भी अनुमति है कि महागिरजाघर में स्थापित संतों के पावन अवशेषों के पास उनके पर्वों में मिस्सा अर्पित किये जा सकते हैं और तीर्थयात्री दलों या असाधारण रोमन रीति के लिए भी कुछ समारोहों की समकालीनता स्वीकार्य है।  

परम्परा का जागरण ˸ धर्मविधिक कार्य व्यक्तिगत कार्य नहीं हैं

कार्डिनल ने कहा है कि "प्रातः मिस्सा तैयार करना, यूखरीस्तीय सह अनुष्ठान के महत्व एवं अर्थ की याद करने का अवसर है, जैसा कि धर्माचार्यों ने पिछली महासभा में याद किया था, " यह कलीसिया की परंपरा के खांचे का हिस्सा है।”

साक्रोसंतुम कोंचिलियुम में कहा गया है कि "धर्मविधिक क्रिया-कलाप व्यक्तिगत कार्य नहीं हैं बल्कि कलीसिया का समारोह है जो एकता का संस्कार (चिन्ह), अर्थात् धर्माध्यक्षों के दिशा-निर्देश में पवित्र प्रजा का समूह है।" अतः सामुदायिक समारोह को विश्वासियों की उपस्थिति एवं उनकी सक्रिय सहभागिता में सम्पन्न की जानी चाहिए। मिस्सा बलिदान को हमेशा विश्वासियों के साथ एवं सामाजिक रूप से सम्पन्न किया जाना चाहिए। यूखरिस्त के लिए उपस्थित सभा कलीसिया के रहस्य को प्रकट करती है। समुदाय में ही ख्रीस्त का शरीर अपने शीर्ष (मुख्य अनुष्ठाता) से जुड़ा होता है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

22 June 2021, 16:10