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लॉकडाऊन के दौरान बत्ती जलाकर प्रार्थना करता फिलीपींस का एक पुरोहित लॉकडाऊन के दौरान बत्ती जलाकर प्रार्थना करता फिलीपींस का एक पुरोहित 

कार्डिनल ने पुरोहिताई पर ईशशास्त्रीय चिंतन के महत्व पर प्रकाश डाला

धर्माध्यक्षों के धर्मसंघ से लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष मार्क क्वेलेत ने जोर दिया है कि पुरोहिताई के आयामों पर कलीसिया के चिंतन में गहरी कलीसिया शास्त्र की आवश्यकता है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 13 अप्रैल 21 (वीएनएस)- परमधर्मपीठ ने पुरोहिताई के लिए ईशशास्त्र पर संगोष्ठी को प्रस्तुत करने हेतु सोमवार को एक प्रेस सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसको 17-19 फरवरी 2022 को सम्पन्न किया जाएगा।

ईशशास्त्रीय संगोष्ठी का शीर्षक होगा, "पुरोहिताई की एक आधारभूत ईशशास्त्र की ओर" जिसमें बुलाहट, अभिषिक्त पुरोहित और बपतिस्मा द्वारा प्राप्त पुरोहिताई के बीच संबंध पर विचार किया जाएगा।

वाटिकन में संगोष्ठी को धर्माध्यक्षों के धर्मसंघ के अध्यक्ष मार्क क्वेलेत ने प्रस्तुत किया, उनके साथ दो अन्य वक्ता भी उपस्थित थे, जिन्होंने आगामी सभा की पृष्टभूमि के बारे बतलाया।

कलीसिया शास्त्र एवं पुरोहिताई

कार्डिनल क्वेलेत ने वाटिकन न्यूज को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "बपतिस्मा से मिली पुरोहिताई और अभिषिक्त पुरोहिताई के बीच संबंध एक बड़ा विषय है।"

"द्वितीय वाटिकन महासभा ने बपतिस्मा की पुरोहिताई के मूल्य को बढ़ाया है," किन्तु कलीसिया के तरीके के साथ, गहरे कलीसिया शास्त्र के सवाल पर पर्याप्त चिंतन नहीं किया है।"

यही कारण है कि इन तीन तरह के कलीसिया शास्त्र का प्रस्ताव आया है जो बेहतर तरीके से दिखला सकता है कि ख्रीस्त के पुरोहिताई के ये दो आयाम कलीसिया में- याजकों, लोकधर्मियों, विवाहित एवं समर्पित लोगों के बीच ठोस रूप से एकीकृत किये गये हैं।

गहन चिंतन की आवश्यकता

कोविड-19 स्वास्थ्य संकट एवं तनावों से उत्पन्न कठिनाइयों के बीच कार्डिनल ने जोर दिया है कि हमें गहरे ईशशास्त्रीय चिंतन की आवश्यकता है ताकि कलीसिया को एक समन्वय के रूप में समझा जा सके।  

"यदि हम तनाव से ऊपर उठना चाहते हैं ... तो हमें कलीसिया के रहस्य एवं कलीसिया में पवित्र त्रृत्व की उपस्थिति के प्रति हमारी समझ गहरी करनी होगी।" हमें जाँच करना होगा कि यह ठोस सेवा एवं प्रेरिताई के साथ तथा बपतिस्मा प्राप्त लोगों के समुदाय में किस तरह कार्य करता है।

तीन दिवसीय इस संगोष्ठी में हर दिन के लिए अलग-अलग विषय होंगे : पहले दिन का विषय होगा, "परम्परा एवं नयी क्षितिज", दूसरे दिन, "तृत्वमय, मिशन और संस्कारीय" और तीसरे दिन के लिए, शुद्धता, विशिष्ठता और आध्यात्मिकता के विषय होंगे।"

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13 April 2021, 15:20