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संत्यागो चीले में वैक्सीन लेती हुई एक महिला संत्यागो चीले में वैक्सीन लेती हुई एक महिला 

सीडीएफ द्वारा एंटी-कोविद टीके "नैतिक रूप से स्वीकार्य"

महामारी के इस समय में, संत पापा फ्रांसिस द्वारा अनुमोदित, विश्वास एवं धर्म सिद्धांत के लिए बनी धर्मसंघ(सीडीएफ) ने 1960 के दशक में निरस्त किए गए दो भ्रूणों के सेल लाइनों का उपयोग करके बनाये गये टीके के उत्पादन के लिए हरी रोशनी दे दी है।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 21 दिसम्बर 2020 (रेई) : यह "कोविद -19 टीके का उपयोग करने के लिए नैतिक रूप से स्वीकार्य है जिन्होंने अपने शोध और उत्पादन प्रक्रिया में गर्भपात भ्रूणों से सेल लाइनों का उपयोग किया है।" वर्तमान महामारी के मामले में, "चिकित्सकीय रूप से सुरक्षित और प्रभावी रूप में मान्यता प्राप्त सभी टीकाकरण का उपयोग इस निश्चितता के साथ किया जा सकता है कि इस तरह के टीकों के उपयोग का मतलब गर्भपात में औपचारिक सहयोग से नहीं है, जिसके साथ वे टीके उत्पन्न हुए थे।" यह विश्वास एवं धर्म सिद्धांत के लिए बनी धर्मसंघ के प्रीफेक्ट, कार्डिनल लुइस लादारिया और सचिव, महाधर्माधअयक्ष जाकोमो मोरांडी द्वारा हस्ताक्षरित एक नोट में कहा गया था। संत पापा फ्राँसिस ने पिछले 17 दिसंबर को स्पष्ट रूप से इसे अनुमोदित किया था।

विरोधाभासों का स्पष्टीकरण

जबकि कई देश टीकाकरण अभियान को लागू करने की तैयारी कर रहे हैं, इस विषय पर कभी-कभी विरोधाभासी बयानों से उभरे संदेह और सवालों को स्पष्ट करने के लिए एक आधिकारिक तरीके से सीडीएफ द्वारा यह दस्तावेज़ प्रकाशित किया गया है। दस्तावेज "कुछ एंटी-कोविद 19 टीकों के उपयोग की नैतिकता पर" एक ही विषय पर पिछले तीन घोषणाओं को याद कराता है: 2005 में जीवन के लिए पोंटिफिकल अकादमी (पीएवी); 2008 में विश्वास एवं धर्म सिद्धांत के लिए बनी धर्मसंघ (सीडीएफ) का व्यक्ति की गरिमा का निर्देश, और अंत में 2017 के (पीएवी) का एक नया नोट।

नैतिक रूप से स्वीकार्य

विश्वास एवं धर्म सिद्धांत के लिए बनी धर्मसंघ का कोविद -19 के खिलाफ वर्तमान टीकों की "सुरक्षा और प्रभावकारिता का न्याय करने का इरादा नहीं" है, यह तो दवा शोधकर्ताओं और एजेंसियों की जिम्मेदारी है, लेकिन 1960 के दशक में दो गैर-सहज गर्भस्थ भ्रूणों से प्राप्त ऊतकों से विकसित टीकों के उपयोग करने के नैतिक पहलू पर केंद्रित है। संत पापा बेनेडिक्ट सोलहवें द्वारा अनुमोदित व्यक्ति की गरिमा का निर्देश, ने इस संबंध में निर्दिष्ट किया कि ये "विभेदित जिम्मेदारियां हैं," क्योंकि "उन कंपनियों में जो अवैध उत्पत्ति की सेल लाइनों का उपयोग करती हैं, उत्पादन की दिशा तय करने वालों की जिम्मेदारी उन लोगों के संबंध में समान नहीं हैं जिनके पास निर्णय की कोई शक्ति नहीं है।” इसलिए, आज प्रकाशित नोट का तर्क है, 2008 के निर्देश को लेते हुए, जब विभिन्न कारणों से "कोविद -19 के खिलाफ" नैतिक रूप से निर्दोष "टीके उपलब्ध नहीं हैं, तो टीकाकरण करने के लिए" नैतिक रूप से स्वीकार्य "है, जिन्होंने गर्भपात वाले भ्रूणों के सेल लाइनों का उपयोग किया है।

स्वैच्छिक टीकाकरण

लेकिन सीडीएफ, यह याद करते हुए कि "टीकाकरण, एक नियम के रूप में, एक नैतिक दायित्व नहीं है और इसलिए, यह स्वैच्छिक होना चाहिए", यह आम भलाई को आगे बढ़ाने पर जोर देता है। "अन्य साधनों की अनुपस्थिति में या यहां तक ​​कि सिर्फ महामारी को रोकने के लिए, टीकाकरण की सिफारिश कर सकते हैं, विशेष रूप से सबसे कमजोरों को बचाने के लिए"। जो लोग, अंतरात्मा के कारणों के लिए, गर्भपात भ्रूण से उत्पन्न होने वाली सेल लाइनों के साथ निर्मित टीकों को मना करते हैं, उन्हें  संक्रामण के वाहन बनने से बचने का पूरा प्रयास करना चाहिए।"

अंत में, विश्वास के सिद्धांत के लिए बने धर्मसंघ "नैतिक अनिवार्यता" को यह सुनिश्चित करने के लिए परिभाषित करता है कि "प्रभावी टीके, नैतिक रूप से स्वीकार्य," और "सबसे गरीब देशों के लिए भी" सुलभ हो और एक तरह से उनके लिए महंगा नहीं होना चाहिए," क्योंकि टीकाकरण तक पहुंच की कमी भेदभाव और अन्याय का एक और कारण बन जाएगा।"

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21 December 2020, 15:26