विश्वास विज्ञान की मदद करता है, एसोफ 2020 में कार्डिनल पारोलिन
जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी
इटली, शुक्रवार, 4 सितम्बर 2020 (रेई,वाटिकन रेडियो): इटली के त्रियेस्ते नगर में यूरो साईन्स ओपन फोरम "एसोफ" का उदघाटन करते हुए बुधवार को वाटिकन राज्य के सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलिन ने वैज्ञानिक शोधकर्त्ताओं एवं उद्यमियों से आग्रह किया कि वे अखण्ड मानव विकास को प्रोत्साहित करने के लिये विश्वास से प्रेरित होकर मार्गदर्शन प्राप्त करें।
विज्ञान और विश्वासः आदान-प्रदान ज़रूरी
प्रति दूसरे वर्ष आयोजित किया जानेवाला "एसोफ 2020" सम्मेलन में यूरोप के प्रमुख वैज्ञानिक, शोधकर्ता, उद्यमी और नीति निर्माता वैज्ञानिक अनुसंधान की दिशा में विचार-विमर्श हेतु एकत्र हुए हैं। कार्डिनल महोदय ने इन विशेषज्ञों से कहा, "विज्ञान और विश्वास परस्पर एक दूसरे से जुड़े हैं जिन्हें हम सम्पूर्ण समाज की भलाई हेतु मौलिक सेवा प्रदान करने वाली बहनों के रूप में देख सकते हैं।"
अपने सम्बोधन में कार्डिनल पारोलिन ने विज्ञान के साथ सम्वाद में मानव की गरिमा और विकास को प्रोत्साहन देने हेतु कलीसिया के समर्पण को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि दोनों के बीच आदान-प्रदान "मानवता के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को ख़तरे में डालने वाले अत्यावश्यक सवालों" का सामना करने के लिए मौलिक है।
उन्होंने कहा, "मानवता यदि विज्ञान द्वारा दी गई वास्तविकता की गहनता" तथा "कुछ बेहतर एवं श्रेष्ठकर के लिए गहरी मानव तड़प" को अनदेखा करती है तो वह दूरदृष्टि के बिना लक्ष्य रहित ही रह जायेगी।"
पर्यावरण एवं उत्तरजीविता
पर्यावरण और मनुष्य के बीच सम्बन्धों पर प्रकाश डालते हुए कार्डिनल पारोलिन ने पर्यावरण पर मानवीय गतिविधियों के दुष्प्रभाव पर गहन चिन्ता व्यक्त की, जिसके चलते कई प्रजातियाँ विलुप्त हो गई हैं तथा जिसने मानव जीवन को बेहतर बनाने वाले वैज्ञानिक अनुसन्धानों के असमान वितरण को बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे अपने सामान्य धाम यानि धरती की सुरक्षा हममें से प्रत्येक का दायित्व है, और साथ ही हमारी उत्तरजीविता के लिये अनिवार्य है। सन्त पापा फ्राँसिस के विश्व पत्र "लाओदातोसी" को उद्धृत कर उन्होंने कहा, "सब कुछ संबंधित है; सब कुछ एक साथ जुड़ा हुआ है; हर चीज जुड़ी हुई हैं।"
प्रौद्योगिकी और नैतिकता
प्रौद्योगिकी एवं नवीन तकनीकियों के साथ मानव सम्बन्धों को सम्बोधित करते हुए कार्डिनल ने कहा, "नवीन तकनीकीयाँ द्रुत गति से आगे बढ़ रही हैं तथा गहन नैतिक विचारों के लिए बहुत कम समय बचा है। इस तथ्य के मद्देनज़र कि तकनीकी रूप से हम सबकुछ करने में सक्षम हैं हमें यह सवाल सामने रखना चाहिये कि क्या सबकुछ नैतिक रूप से सही है?"
कार्डिनल महोदय ने कहा कि डिजिटलाइजेशन और वैश्वीकरण के कारण ज्ञान के संचार में भी अभूतपूर्व परिवर्तन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कलीसिया युवा लोगों पर इन प्रचलनों के प्रभावों के प्रति उत्कंठित है, जिन्हें निरन्तर मीडिया की ख़बरों का आहार दिया जाता है और जो, दुर्भाग्यवश, उनके मस्तिष्क की संरचना को संशोधित करती हैं।
उन्होंने कहा, "विज्ञान और विश्वास को युवा पीढ़ियों की देखभाल में सहयोगी होना चाहिए, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिये कि युवा ऐसी शिक्षा प्राप्त करें जो उन्हें, नई डिजिटल भाषाओं द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के बीच, पूर्ण और प्रामाणिक मानव जीवन जीने में सक्षम बना सके क्योंकि ये भाषाएँ मानव विचार प्रसंस्करण, और साथ ही संस्कृति को भी संशोधित कर सकती हैं।
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