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पुण्य शुक्रवार के दिन पवित्र क्रूस को प्रस्तुत करते संत पापा फ्राँसिस पुण्य शुक्रवार के दिन पवित्र क्रूस को प्रस्तुत करते संत पापा फ्राँसिस 

पास्का पर्व मनाने के संबंध में अध्यादेश

दिव्य उपासना के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ ने 25 मार्च को एक अज्ञप्ति जारी कर, उपासना के सामान्य संकेत एवं सुझाव प्रदान किये हैं जिसके बार पहले 19 मार्च को भी अध्यादेश जारी किया गया था।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्तिवार, 26 मार्च 20 (रेई)- अध्यादेश का शीर्षक है, कोविड-19 के समय (द्वितीय) जिसको दिव्य उपासना के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ एवं संस्कारों के अनुशासन विभाग द्वारा जारी किया गया है। नया दस्तावेज 19 मार्च 2020 को प्रकाशित दस्तावेज का अपडेट है। यह उन सवालों का उत्तर देता है जिसको पास्का महापर्व की धर्मविधि मनाने के संबंध में पूछा गया था। दोनों ही अध्यादेश केवल 2020 के लिए, परमधर्माध्यक्ष के आदेश पर जारी किये गये हैं।

पास्का पर्व मनाने की तिथि

चूँकि पास्का महापर्व को बदला नहीं जा सकता अतः अध्यादेश में कहा गया है कि “वे देश जो बीमारी का सामना कर रहे हैं और जहाँ लोगों को एक साथ आने से मना किया गया है, धर्माध्यक्ष और पुरोहित विश्वासियों की उपस्थिति के बिना एवं उचित स्थान पर, पुण्य सप्ताह की धर्मविधि को मना सकते हैं जिसमें सहअनुष्ठाता न हो एवं शांति का अभिवादन भी न किया जाए।”

विश्वासियों की सहभागिता

अज्ञप्ति में याजकों को प्रोत्साहित की गई है कि वे विश्वासियों को धर्मविधि समारोह के समय की जानकारी दें ताकि वे अपने घरों में अपने आपको प्रार्थनामय तरीके से कलीसिया की प्रार्थना में जोड़ सकें। इस संबंध में टेलीविजन द्वारा लाईव प्रसारण (रेकॉर्ड किया हुआ नहीं) मदद कर सकता है। अतः यह महत्वपूर्ण है कि प्रार्थना के लिए पर्याप्त समय दिया जाए। दैनिक प्रार्थनाएँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।

खजूर रविवार

अज्ञप्ति में कहा गया है कि पुण्य सप्ताह की शुरूआत खजूर रविवार से होती है। प्रभु का येरूसालेम में प्रवेश की यादगारी पवित्र घरों के अंदर ही सम्पन्न किये जाएँ। जब महागिरजाघरों में समारोह मनायें जाते हैं तब रोमन मिस्सा ग्रंथ के दूसरे प्रारूप को लिया जाना और पल्ली गिरजाघरों में सम्पन्न किये जाने पर तीसरे प्रारूप को लिया जाए।

क्रिज्मा मिस्सा

नये अध्यादेश में कहा गया है कि धर्माध्यक्षीय सम्मेलन, क्रिज्मा मिस्सा के दिन को बदलने की सम्भावित तिथि का निर्देश दे सकता है। यह सामान्यतः सभी धर्मप्रांतों में पुण्य बृहस्पतिवार या पुण्य सप्ताह के किसी एक दिन मनाया जाता है।

पुण्य बृहस्पतिवार

पुण्य बृहस्पतिवार को पैर धोवन जो कि पहले से वैकल्पिक है उसे न किया जाए। पवित्र मिस्सा के अंत में परम्परागत शोभायात्रा जिसमें पावन संस्कार को दूसरी वेदी पर लिया जाता है उसे भी न किया जाए। पवित्र संस्कार को संदूक के अंदर ही रखा जाए। अध्यादेश में सभी पुरोहितों को उचित स्थान पर, विश्वासियों की उपस्थिति के बिना ख्रीस्तयाग अर्पित करने की विशेष अनुमति दी जाती है।

पुण्य शुक्रवार

जहाँ कहीं भी प्रभु का दुःखभोग मनाया जाए अध्यादेश में धर्माध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि कठिनाई एवं बीमारी से जूझ रहे लोगों और मृतकों के लिए विशेष निवेदन किया जाए। यह भी निर्देश दिया गया है कि क्रूस का चुम्बन कर उसकी उपासना करने को भी केवल अनुष्ठाता के लिए सीमित रखा जाए।

पास्का महापर्व

पास्का जागरण की धर्मविधि केवल महागिरजाघरों में और पल्ली के गिरजाघरों में मनायी जाए। नये अपडेट किये गये दस्तावेज में स्पष्ट किया गया है कि बपतिस्मा की धर्मविधि में केवल बपतिस्मा के नवीनीकरण की प्रतिज्ञा दुहरायी जाए।

आगे के संकल्प

बुधवार को प्रकाशित अज्ञप्ति में इस बात पर ध्यान दिया गया है कि सेमिनरी, पुरोहितों के आवास, एकांत मठवास और धर्मसमाजी समुदायों में इस अज्ञप्ति के निर्देश का पालन किया जाए। यह भी संकेत दिया गया है कि आधिकारिक धर्मविधिक समारोहों को जो पुण्य सप्ताह एवं पास्का त्रिदियुम को पुष्ट करते हैं, उनको छोड़कर धार्मिक अभ्यासों एवं शोभायात्राओं को साल के किसी अन्य सुविधाजनक दिन के लिए स्थगित किया जाए, उदाहरण के लिए 14 और 15 सितम्बर (पवित्र क्रूस विजय महापर्व एवं दुःखों की माता का पर्व)। इन भक्तियों में बदलाव लाने का भार धर्मप्रांत के धर्माध्यक्षों के निर्णय पर छोड़ दिया गया है। पास्का समारोह के ये निर्देश पूर्वी काथलिक कलीसियाओं को भी अलग से भेज दिये गये हैं। इन अज्ञप्तियों पर ऑरियटल कलीसिया के लिए गठित परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल लेओनार्दो सांद्री एवं उपसचिव फादर फ्लावियो पाचे का भी हस्ताक्षर है।

 

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26 March 2020, 17:04