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अरिच्चा में आध्यात्मिक साधना अरिच्चा में आध्यात्मिक साधना 

आध्यात्मिक साधनाः प्रोत्साहन का मिशन, मूर्तिपूजा की चेतावनी

रोमी कूरिया को आध्यात्मिक साधन देने वाले जेस्विट फादर पियोत्रो बोभाती ने आधुनिक तरह की मूर्तिपूजा के विरूद्ध चेतावनी दी है तथा प्रोत्साहन के मिशन को बढ़ावा दिया है। सर्दी जुकाम से ठीक होने पर भी संत पापा फ्राँसिस वाटिकन से ही आध्यात्मिक साधना में भाग ले रहे हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

अरिच्चा, बुधवार, 4 मार्च 2020 (रेई)˸ वाटिकन प्रेस कार्यालय के निदेशक मत्तेओ ब्रुनी ने जानकारी दी है कि संत पापा फ्राँसिस की सेहत में सुधार हो गया है और वे संत मर्था में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए आध्यात्मिक साधना में रोमी कूरिया के साथ भाग ले रहे हैं।

फादर बोभाती ने मंगलवार के चिंतन में आधुनिक समय की मूर्तिपूजा के विरूद्ध चेतावनी दी है।

तीसरा दिनः शाम- मूर्तिपूजा की जड़ विश्वास की कमी

निर्गमन ग्रंथ में सोने के बछड़े की कहानी पर प्रकाश डालते हुए फादर बोभाती ने कहा कि यद्यपि मूर्तिपूजा प्राचीन काल की समस्या के समान लगता है, फिर भी यह "एक बड़ा पाप है।" मूर्तिपूजा के विभिन्न आयामों पर चिंतन करते हुए उन्होंने अदृश्य ईश्वर की आवाज सुनने के बदले उन्हें देखने की चाह रखने पर प्रकाश डाला।

संचालक फादर ने खतरों की चेतावनी दी, खासकर, आधुनिक डिजिटल दुनिया में, जहाँ हम मूर्तिपूजक वस्तुओं के चेले बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक अनुष्ठान में एक प्रकार की मूर्तिपूजा हो सकती है, जो सुंदर समारोहों से संबंधित होती, जिसमें प्रामाणिक प्रार्थना की कमी होती एवं जो ईश्वर के वचन को सुनने और स्वीकार करने में कमी  होती है।

फादर ने कहा कि येसु इस मूर्तिपूजा के प्रलोभन पर विजय पाते हैं जब वे निर्जन प्रदेश में शैतान पर जीत पाते हैं। अपने उदाहरण द्वारा प्रभु हमें सिखलाते हैं कि हम अपने अंधेपन से किस तरह बाहर निकल सकते हैं।

चौथा दिनः  प्रातः – प्रोत्साहन का मिशन

बुधवार को अपने पाँचवें चिंतन में फादर बोभाती ने कहा कि आज लोग जिस डर का अनुभव करते हैं उसे दूर करने का एक ही उपाय है ईश वचन।

लाल समुद्र पार करने (निर्गमन) और येसु के पानी पर चलने की कहानियों पर चिंतन करते हुए फादर ने गौर किया कि दोनों में पार होने की बात प्रमुख है। यहूदी लोग मिस्र से भागने में कठिनाई से घबरा गये थे जबकि मूसा लोगों की आलोचना करने के बदले प्रोत्साहन देने के मिशन को अपनाता एवं उन्हें ईश्वर पर भरोसा रखने के लिए प्रेरित करता है।  

सुसमाचार में चेले भयभीत हो गये थे जब उनकी नाव आँधी की चपेट में आ गयी थी। येसु पानी पर चलते हुए उनके पास आये और उन्हें प्रोत्साहन दिया, "डरो मत"। उन्होंने पेत्रुस को भी पानी पर चलने का प्रोत्साहन दिया और जब उसका विश्वास डगमगाने लगा तब येसु ने उसके पकड़ लिया।  

फादर बोभाती ने बुधवार को प्रवचन के अंत में स्तोत्र 124 का पाठ करने की सलाह दी।

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04 March 2020, 17:18