उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 20 फरवरी 20 (वीएन)˸ तीनों कार्डिनलों ने यूरोपीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन से मदद की अपील की है ताकि लेसबोस एवं ग्रीस के स्वागत शिविरों में फंसे शरणार्थियों को पुनर्वास प्रदान किया जा सके।
सम्मेलन को सम्बोधित पत्र में कार्डिनल होल्लेरिक ने 20,000 से अधिक वयस्कों एवं 1,100 से अधिक अकेले रहने वाले नाबालिगों के बारे संत पापा फ्राँसिस की चिंता पर प्रकाश डाला है जो यूरोप के अंदर रहते हुए भी यूरोपीय समाज से बाहर हैं। पत्र में कार्डिनल चरनी एवं कार्डिनल कॉनराड क्राजेवोस्की ने भी हस्ताक्षर किया है।
पत्र का शुभारम्भ 6 सितम्बर 2015 के देवदूत प्रार्थना की याद करते हुए की गयी है जब संत पापा फ्राँसिस ने पूरे यूरोप के पल्लियों, धर्मसमाजी समुदायों, मठवासों एवं तीर्थस्थलों से अपील की थी कि वे सुसमाचार को ठोस रूप में व्यक्त करें तथा एक शरणार्थी परिवार का स्वागत करें। उसी समय संत पापा फ्राँसिस ने यूरोप के सभी धर्माध्यक्षों से भी आग्रह की थी कि वे उनके अपील का समर्थन करें और याद दिलाया था कि "प्रेम का दूसरा नाम है करुणा।"
कार्डिनलों ने लिखा, "संत पापा फ्राँसिस के इन्हीं शब्दों से प्रोत्साहित होकर यह रास्ता एक ख्रीस्तीय कर्तव्य बन गया है, समस्त कलीसिया के लिए एक हार्दिक निमंत्रण बन गया है कि हम जागें, यूरोपीय संघ के सदस्य देश सुसमाचारी अनिवार्यता का स्वागत करें।" उन्होंने सलाह दी है कि धर्माध्यक्षीय सम्मेलन लेसबोस एवं ग्रीस के स्वागत शिविरों में मानवीय कोरिडोर परियोजना को सहमत दें।
कार्डिनलों ने वाटिकन सिटी एवं लक्ष्मबर्ग महाधर्मप्रांत में शरणार्थी परिवारों के सफल पुनर्वास की याद की है तथा यूरोपीय संघ की कलीसिया को निमंत्रण दिया है कि वे उदासीन न रहें बल्कि लोगों को पुनः आशा प्रदान करें।
पत्र के साथ दस्तावेज "ग्रीस से यूरोपीय देश में शरण चाहने वालों और शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए प्रक्रिया पर दिशानिर्देश" को भी संलग्न किया गया है जिसमें पुनर्वास की एक विस्तृत परियोजना और इसे साकार बनाने के लिए ठोस तरीकों का प्रस्ताव है।
दस्तावेज को संत इजिदियो समुदाय द्वारा तैयार किया गया है एवं इसमें उन लोगों और परिवारों के स्वागत एवं एकीकरण हेतु धर्माध्यक्षीय सम्मेलन को आवश्यक तकनीकी जानकारी उपलब्ध की गयी है।