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अमाजोन की प्रतिमा जिसको नदी में फेंक दिया गया है अमाजोन की प्रतिमा जिसको नदी में फेंक दिया गया है 

प्रतिमा का नदी में फेंका जाना और संत हेनरी न्यूमन

वाटिकन न्यूज के सम्पादक अंद्रेया तोरनियेली ने कहा है कि अमाजोन की प्रतिमा की चोरी और उसका नदीं में फेंका जाना एक दुःखद घटना है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

रोम, मंगलवार, 22 अक्तूबर 2019 (रेई)˸ अमाजोन सिनॉड के विवादास्पद नक्काशीदार मूर्ति को 21 अक्टूबर को रोम के ताईबर नदी में फेंक दिया गया। फेंकने की घटना का एक वीडियो पोस्ट किया गया है जिसमें एक व्यक्ति त्रासपोंतीना के संत मरिया गिरजाघर में प्रवेश करते हुए और मूर्ति को गिरजाघर से निकाल कर, नदी में फेंकते हुए दिखाई दे रहा है। वीडियो में व्यक्ति का चेहरा नहीं दिखाई पड़ता है। 

मूर्ति

गर्भवती युवती की इस मूर्ति को वाटिकन में अमाजोन पर चल रहे सिनॉड के दौरान कई बार प्रस्तुत किया गया है और यह विवाद का विषय भी रहा है। कुछ लोगों ने इसे धन्य कुँवारी मरियम का प्रतीक कहा है तो कुछ लोगों ने आदिवासी धार्मिक मूर्ति "पाचामामा" कहा है जबकि वाटिकन के प्रवक्ता ने इसे "जीवन" का प्रतीक कहा है।   

त्रासपोंतीना का संत मरिया गिरजाघर वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण के बहुत निकट है। गिरजाघर में व्यक्ति को बगल के प्रार्थनालय में प्रवेश करते हुए तथा मूर्ति को साथ लेकर जाते हुए देखा जा सकता है। उसके बाद वह कस्तेल संत अंजेलो की ओर जाते हुए और पुल के ऊपर से मूर्ति को नदी में फेंक देता है।

अंद्रेया तोरनियेली

वाटिकन न्यूज़ के सम्पादक अंद्रेया तोरनियेली ने इस घटना को दुःखद कहा। उन्होंने कहा कि "एक मातृत्व एवं जीवन की पवित्रता की प्रतिमा, आदिवासियों के लिए एक परम्परागत प्रतीक, जो धरती माता के साथ उनके संबंध को दर्शाता है, जैसा कि असीसी के संत फ्राँसिस ने सृष्टि के अपने भजन में गाया है, वह तिरस्कार के साथ परम्परा एवं धर्मसिद्धांत के नाम पर फेंक दिया गया है।"  

उन्होंने कहा कि एक नया हमला जिसमें अपनी घृणा की भावना को सामाजिक संचार माध्यम के द्वारा व्यक्त किया गया है, उनके लिए संत हेनरी न्यूमन के ये शब्द प्रेरणादायक हो सकते हैं। संत हेनरी न्यूमन ने 1878 में ख्रीस्तीय धर्मसिद्धांत के विकास पर एक लेख में, कलीसिया द्वारा गैर-ख्रीस्तीय तत्वों को स्वीकारे जाने के संबंध में लिखा था।

संत हेनरी न्यूमन

"मंदिरों का प्रयोग और उन्हें समर्पित संत, पेड़ की डालियों से की गयी सजावट, धूप, दीप और मोमबत्ती, बीमारी से ठीक होने पर मन्नत चढ़ाना, पवित्र जल, अस्पताल, पवित्र दिन और ऋतुएँ, कैलेंडर का प्रयोग, शोभायात्रा, खेतों की आशीष, याजकीय पोषाक, मुंडन, विवाह में अंगुठी, पूर्व की ओर मुढ़ना, बाद की तस्वीरें, शायद कलीसियाई संगीत और किरिये एलेइसोन भी, इन सभी का उद्गम गैर-ख्रीस्तीय है तथा कलीसिया में स्वीकार किये जाने के कारण ये पवित्र किये गये हैं।" 

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22 October 2019, 17:21