70,000 से अधिक वेदी सेवक रोम में क्यों?
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, मंगलवार, 31 जुलाई 2018 (रेई)˸ वेदी सेवकों की 12वीं अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रा सोमवार को रोम में आरम्भ हुई जिसकी समाप्ति शनिवार को होगी। तीर्थयात्रा में करीब 70,000 युवा भाग ले रहे हैं जिनकी उम्र 13 से 23 साल है। वे 19 विभिन्न देशों के हैं।
वेदी सेवक- शांति के मिशनरी
वेदी सेवकों के लिए अंतरराष्ट्रीय तीर्थयात्रा का आयोजन कोइतुस अंतरराष्ट्रीय मिनिस्त्रानतियुम (सी आई एम) द्वारा की गयी है। यह वेदी सेवकों की प्रेरितिक देखभाल हेतु आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इसका स्थापना 1960 में हुई थी जो आज भी सीमा से परे जाकर शांति को बढ़ावा देता है ताकि विश्व में शांति स्थापित की जा सके।
सी. आई. एम. के उपाध्यक्ष डॉ. क्लारा सिसज़ार ने कहा कि सी. आई. एम. एक ऐसी भावना को प्रोत्साहन देता है कि वेदी सेवक मिशनरी हैं "जो दुनिया को परिवर्तित कर देने वाली ईश्वरीय प्रेम की शक्ति को वेदी से दुनिया में लाते हैं।"
जर्मनी के काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के युवा प्रेरिताई आयोग के अध्यक्ष धर्माध्यक्ष स्तेफन ओस्टर एसडीवी ने कहा, विभिन्न देशों से वेदी सेवकों को एक साथ लाना, उनके धार्मिक पहचान को प्रगाढ़ करने, एकता को मजबूत करने और युवाओं को उनकी प्रेरिताई के विश्वव्यापी आयाम को दिखलाने में मदद देगा है।
पहचान
तीर्थयात्रियों की पहचान उनके देश एवं धर्माप्रांत द्वारा निर्धारित स्कार्प द्वारा की जायेगी। कई आध्यात्मिक एवं धर्मविधिक कार्यक्रम भी किए जायेंगे। तीर्थयात्री एक-दूसरे के साथ परिचित होने के लिए प्रार्थना एवं खेल में भाग लेंगे। तीर्थयात्रा का कार्यक्रम तब अपने चरम पर होगा जब मंगलवार को वे संत पापा फ्राँसिस से संत पेत्रुस महागिरजाघर में मुलाकात करेंगे।
गोरोम ऐप
तीर्थयात्री गोरोम ऐप डाउनलोड कर सकते हैं जहाँ वे व्यवहारिक सूचना प्राप्त कर सकते हैं। उसमें रोम में प्रार्थना, घटना स्थान, इतावी में आसान शब्द, आपातकालीन जानकारियाँ तथा पेयजल एवं आइसक्रीम की निकटतम सुविधा की जानकारी भी उपलब्ध होगी। गो हॉम विभाग तीर्थयात्रा के बाद वेदी सेवकों को घर लौटने में मदद करेगा, जब वे विश्वास के गहरे अनुभव के बाद सामान्य जीवन में पुनः प्रवेश करेंगे।
व्यक्तिगत साक्ष्य
तीर्थयात्रियों में से एक, जर्मनी के 18 वर्षीय जोनास फेरस्टल, अपने पहले परमप्रसाद के बाद वेदी सेवक बना क्योंकि वह विश्वास में जुड़ा रहना चाहता था। उसने वेदी सेवक के कार्य एवं कलीसिया की सेवा को एक अनोखा अनुभव बलताया। जब उसकी दादी का देहांत हो गया तो उसने अपने विश्वास के महत्व को अधिक गहराई से समझा। उसने कहा कि इसी विश्वास ने उसे अपने दादी के बेहतर स्थल पर होने का आश्वासन दिया।
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