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पवित्र द्वार खोलते संत पापा पवित्र द्वार खोलते संत पापा  (ANSA)

पोप और जयन्ती वर्ष : इतिहास में पवित्र द्वार का खुलना

पवित्र वर्ष 1900 से लेकर अब तक के इतिहास में पवित्र द्वार के उद्घाटन समारोह के कुछ महत्वपूर्ण क्षणों की याद।

अमेदेओ लोमोनाको

हर जयन्ती वर्ष की प्रतीकात्मक तस्वीरों में से एक है पोप का पवित्र द्वार में प्रवेश करना। इसकी जड़ें मध्य युग में पायी जाती हैं। पवित्र द्वार में प्रवेश करनेवाले प्रथम व्यक्ति हमेशा रोम के धर्माध्यक्ष रहे हैं। वितेर्बो के जोवन्नी रूचेलै द्वारा 1450 में दिए गए विवरण के अनुसार, पोप मार्टिन पाँचवें पहले पोप थे जिन्होंने 1423 में संत जॉन लातेरेन महागिरजाघर में जयंती वर्ष के दौरान पवित्र द्वार खोला। वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर का पवित्र द्वार पहली बार 1499 ई. में संत पापा अलेक्जेंडर छटवें ने खोला था जिन्होंने न केवल संत जोन लातेरन महागिरजाघर का बल्कि रोम के अन्य महागिरजाघरों के पवित्र द्वारों को भी खोलने का आदेश दिया था।

“मैं ही द्वार हूँ। यदि कोई मुझसे होकर प्रवेश करेगा, तो उसे मुक्ति प्राप्त होगी। वह भीतर बाहर आया-जाया करेगा और उसे चरागाह मिलेगा।”  

पवित्र द्वार का खुलना

पवित्र द्वार का खुलना जयन्ती वर्ष की शुरूआत का संकेत है। पवित्र वर्ष 2025 का उद्घाटन भी 24 दिसम्बर 2024 क्रिसमस की पूर्व संध्या संत पेत्रुस महागिरजाघर के पवित्र द्वार को खोलने के साथ हुआ। पवित्र द्वार को सील करनेवाली भीतरी दीवार को हाल ही में ध्वस्त किया गया, तथा दरवाजा खोलने की चाबीवाला धातु का बक्सा बरामद किया गया। पोप ने द्वार को प्रतीकात्मक रूप से धक्का देकर खोला, (जबकि बाहर की ओर ईंट की सील पर हथौड़ा मारने की परम्परागत प्रथा को सुरक्षा कारणों से बंद कर दिया गया है।) जो उद्घाटन समारोह के साथ पूरा वर्ष खुला रहेगा।

पवित्र द्वार में प्रवेश करना, मन-परिवर्तन की यात्रा का प्रतीक है जो ख्रीस्त के साथ मुलाकात की मुहर से चिन्हित, हमें पिता के साथ मेल कर देता है।

जयन्ती वर्ष विश्वास के उस गहन इतिहास का हिस्सा है जो विश्व के लिए अपने द्वार खोलता है - एक ऐसी यात्रा है जिसमें पोप के कदम ईश प्रजा के साथ मिलकर क्षमा के मार्ग पर चलते हैं।

1900 की जयन्ती

1900 की जयंती का एक मुख्य उद्देश्य आधुनिकीकरण की चुनौतियों का सामना करना था। 24 दिसम्बर 1899 को पवित्र द्वार खोला गया। जैसा कि लोस्सेरवातोरे रोमानो के क्रिसमस संस्करण में बताया गया है, सुबह से ही पूरे शहर में "असाधारण हलचल" देखी जा सकती थी। कार्डिनल, धर्माध्यक्ष, राजनयिक और कुलीन व्यक्तियों की गाड़ियाँ, साथ ही पैदल चलनेवाले या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करनेवाले कई तीर्थयात्री, "ख्रीस्तीय धर्म के सबसे बड़े गिरजाघर" की ओर बढ़ रहे थे। संत पेत्रुस महागिरजाघर में, आस-पास की सड़कों से आनेवाली गाड़ियों का दृश्य "भव्य" हो गया था। पोप लेओ 13वें, "सबसे पहले और अकेले," पवित्र द्वार से होकर महागिरजाघर में प्रवेश किये। समारोह समाप्त होने के बाद, भक्तों को प्रवेश की अनुमति देने के लिए दरवाजे खोल दिए गए।

1925 का पवित्र द्वार

24 दिसंबर 1924 को क्रिसमस की पूर्व संध्या पर पोप पीयुस 11वें ने संत पेत्रुस महागिरजाघर में पवित्र द्वार खोला। वाटिकन के समाचार पत्र के अनुसार, यह समारोह पवित्र वर्ष की शुरुआत का चिन्ह था। यह अनुष्ठान संत पेत्रुस के बरामदे में सम्पन्न हुआ, जिसमें पवित्र द्वार के एक ओर पोप का सिंहासन था और पीछे गायक-मडली थी। बरामदा की ओर बढ़ने से पहले, पोप एक मंडप के नीचे वहनीय सिंहासन पर बैठे। "भेनी क्रेयातोर" के गायन के बाद, पोप पीयुस 11वें पवित्र द्वार के पास पहुंचे, दुनिया भर के काथलिक धर्माध्यक्षों के द्वारा उपहार में भेंट किये गये एक हथौड़ा लिया, और प्रवेश द्वार पार करने एवं जयंती का उद्घाटन करने से पहले धर्मविधि के शब्दों का उच्चारण करते हुए पवित्र द्वार पर तीन बार प्रहार किया।

1933 की जयन्ती

ख्रीस्त की मृत्यु की 1900वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में, 1933 में एक असाधारण जयंती की घोषणा की गयी। करीब 2 मिलियन से अधिक तीर्थयात्री उस पवित्र वर्ष में रोम पहुँचे। 3 अप्रैल को पवित्र द्वार खोला गया और उसी के साथ जयन्ती वर्ष का उद्घाटन किया गया।

समाचार पत्र लोस्सेरवातोरे रोमानो ने उल्लेख किया कि उस दिन "संत पेत्रुस महागिरजाघर, संत जॉन लातेरन महागिरजाघर, संत पॉल महागिरजाघर और संत मरिया मेजर महागिरजाघर में भारी संख्या में लोग आए थे।" उद्घाटन समारोह के कुछ घंटों बाद, पोप पीयुस 11वें ने एक विशेष सभा में मिलान से आए 500 तीर्थयात्रियों का स्वागत किया।

1950 में पवित्र द्वार

24 दिसम्बर 1949 को, जब पोप पीयुस 12वें ने हथौड़े के तीन प्रतीकात्मक प्रहारों के साथ पवित्र द्वार खोला, तो ख्रीस्तीय जगत ने “अनुग्रह के असाधारण वरदान” के सामने आनन्द मनाया। सिस्टीन चैपल में आरम्भिक धर्मविधि सम्पन्न करने के बाद पोप पवित्र द्वार की ओर बढ़े और उसपर प्रहार किया। “मेरे लिए धर्मिकता का द्वार खोलो” गाने के साथ जब तीसरी बार प्रहार की गई तो दरवाजा को बंद करनेवाली ईंट की दीवार ढह गई, और पोप विश्वास एवं भरोसा के प्रतीक मोमबत्ती लेकर द्वार में प्रवेश किये, तथा जयंती वर्ष का उद्घाटन किया।

1975 की जुबली

मेल-मिलाप को समर्पित, 1975 का पवित्र वर्ष क्रिसमस की पूर्व संध्या 1974 को पोप पॉल छठवें द्वारा पवित्र द्वार खोलने के साथ शुरू हुआ। इस अनुष्ठान में पवित्र आत्मा का आह्वान और पोप द्वारा पवित्र द्वार में प्रवेश  करने से पहले पवित्र जल से द्वार के चौखटों को आशीष देना शामिल था।

1983 का पवित्र वर्ष

1983 में, ख्रीस्त के दुःखभोग और पुनरुत्थान की याद में एक असाधारण जयंती मनाई गई। 25 मार्च को, पोप जॉन पॉल द्वितीय ने पवित्र द्वार खोले, जिसमें अनुग्रह और मुक्ति की स्थिति में प्रवेश के रूप में इसकी प्रतीकात्मक प्रकृति पर जोर दिया गया।

2000 की जुबली

क्रिसमस की पूर्व संध्या 1999 को पोप जॉन पॉल द्वितीय ने 2000 की महान जयंती के लिए पवित्र द्वार खोला। यह कार्य दो शताब्दियों के इतिहास को एक समारोही क्षण में समेटने का प्रतीक था। पोप ने प्रार्थना के साथ पवित्र द्वार में प्रवेश किया, जिसके साथ ही दुनियाभर में तालियाँ बजीं, जो नई शताब्दी के लिए आशा का प्रतीक था।

2015 का पवित्र वर्ष

करुणा की असाधारण जयन्ती की शुरूआत 29 नवम्बर 2015 को मध्य अफ्रीका में हुई थी, जहाँ पोप फ्राँसिस ने बंगुई के नोट्रडम महागिरजाघर में पवित्र द्वार खोला था। उसके बाद 8 दिसंबर को उन्होंने संत पेत्रुस महागिरजाघर में पवित्र द्वार खोला, जिसमें ससम्मान सेवानिवृत संत पापा बेनेडिक्ट 16वें भी शामिल हुए।

2025 जयन्ती वर्ष

2025 जयन्ती वर्ष का उद्घाटन 24 दिसम्बर 2024 को पोप फ्राँसिस के कर कमलों से हुई है। जिसमें उन्होंने ईश्वर के प्रेम और ख्रीस्त में मुक्ति की आशा बनाये रखने पर जोर दिया है।

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15 जनवरी 2025, 16:39
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