विश्व आर्थिक मंच से पोप : एआई को मानवीय गरिमा को बढ़ावा देना चाहिए
वाटिकन न्यूज
पोप फ्राँसिस ने स्विट्जरलैंड के दावोस में 2025 विश्व आर्थिक मंच के अध्यक्ष को अपने संदेश में यह याद दिलाया कि "कार्यकुशलता के लिए मानवीय गरिमा का कभी उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए।"
संत पापा ने कहा कि इस वर्ष के फोरम की विषयवस्तु "बुद्धिमान युग के लिए सहयोग", कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर विचार करने का एक अच्छा अवसर प्रदान करता है, जो "न केवल सहयोग के लिए", "बल्कि लोगों को एक साथ लाने के लिए भी है।"
बुद्धि का वरदान
पोप ने याद दिलाया कि ख्रीस्तीय परंपरा बुद्धि के वरदान को “ईश्वर के प्रतिरूप में” बनाए गए मानव व्यक्तित्व का एक अनिवार्य पहलू मानती है।
साथ ही, पोप फ्राँसिस ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि काथलिक कलीसिया हमेशा विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कला और मानव प्रयासों के अन्य रूपों की उन्नति का समर्थक रहा है, और इन्हें 'दृश्यमान सृष्टि को परिपूर्ण बनाने में ईश्वर के साथ पुरुष और महिला के सहयोग' का क्षेत्र मानता है।"
अप्रत्याशित परिस्थितियाँ जोखिम पैदा करती हैं
चूँकि एआई (कृत्रिम बुद्धिमता) का उद्देश्य उस मानवीय बुद्धिमत्ता की नकल करना है जिसने इसे डिजाइन किया है, इसलिए पोप फ्राँसिस ने सुझाव दिया कि इससे कुछ विशिष्ट प्रश्न और चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं, खासकर, इसलिए क्योंकि इस प्रौद्योगिकी को सीखने और स्वायत्त रूप से कुछ विकल्प चुनने के लिए डिजाइन किया गया है, और ऐसे उत्तर भी दे सकता है जो इसके प्रोग्रामर द्वारा पूर्वकल्पित नहीं होते।
पोप ने कहा कि इसी कारण से, कृत्रिम बुद्धिमता "नैतिक जिम्मेदारी, मानव सुरक्षा और समाज के लिए इन विकासों के व्यापक निहितार्थों के बारे में मौलिक प्रश्न उठाता है।"
मानव व्यक्ति की सहायता करना
पोप ने सराहना करते हुए कहा, "जब सही तरीके से उपयोग किया जाता है तो एआई मानव व्यक्ति को उसकी स्वतंत्रता और जिम्मेदारी के साथ अपने व्यवसाय को पूरा करने में सहायता करता है।"
उन्होंने याद दिलाया कि अन्य सभी मानवीय गतिविधियों और तकनीकी विकास की तरह, एआई को भी मानव व्यक्ति के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए और इसे "अधिक न्याय, अधिक व्यापक बंधुत्व और सामाजिक संबंधों की अधिक मानवीय व्यवस्था" प्राप्त करने के प्रयासों का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
पोप ने दोहराया कि इसे हासिल करना "तकनीकी क्षेत्र में प्रगति से कहीं ज़्यादा मूल्यवान है।"
संत पापा ने इस जोखिम के खिलाफ़ चेतावनी दी कि एआई का इस्तेमाल "तकनीकी प्रतिमान" को आगे बढ़ाने के लिए किया जाएगा, जो दुनिया की सभी समस्याओं को सिर्फ़ तकनीकी साधनों के जरिए हल करने योग्य मानता है। उन्होंने समझाया, "इस प्रतिमान के भीतर," "मानव गरिमा और भाईचारे को अक्सर दक्षता की खोज में गौण कर दिया जाता है, मानो वास्तविकता, अच्छाई और सच्चाई स्वाभाविक रूप से तकनीकी और आर्थिक शक्ति से निकलती है।"
उन्होंने जोर देते हुए कहा, "फिर भी मानवीय गरिमा का उल्लंघन कभी भी दक्षता के लिए नहीं किया जाना चाहिए।" असमानताओं या संघर्षों को और नहीं बढ़ाया जा सकता, इस संदर्भ में, पोप ने जोर देकर कहा कि तकनीकी विकास जो "सभी के जीवन को बेहतर नहीं बनाता, बल्कि असमानताओं और संघर्षों को पैदा करता है या उन्हें और खराब करता है, उसे सच्ची प्रगति नहीं कहा जा सकता।"
इस कारण से, उन्होंने कहा कि एआई को अधिक स्वस्थ, अधिक मानवीय, अधिक सामाजिक और अधिक समग्र विकास की सेवा में रखा जाना चाहिए।
परिश्रम और सतर्कता
उन्होंने जोर देकर कहा, "एआई के उदय से चिह्नित प्रगति," "समुदाय के महत्व की पुनः खोज और ईश्वर द्वारा हमें सौंपे गए आमघर की देखभाल के लिए एक नई प्रतिबद्धता की मांग करती है।"
पोप ने कहा, "एआई की जटिलताओं से निपटने के लिए, सरकारों और व्यवसायों को उचित परिश्रम और सतर्कता बरतनी चाहिए।" इस संबंध में, उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे "विशेष संदर्भों में एआई के व्यक्तिगत अनुप्रयोगों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि इसका उपयोग मानव गरिमा, मानव व्यक्ति की बुलाहट और आमहित को बढ़ावा देता है या नहीं।"
पोप, जिन्होंने विभिन्न संदर्भों में एआई के पक्ष और विपक्ष के बारे में बात की है, चेतावनी दी, "जैसा कि कई प्रौद्योगिकियों के साथ होता है, एआई के विभिन्न उपयोगों के प्रभाव हमेशा उनकी शुरुआत से ही पूर्वानुमानित नहीं हो सकते हैं।"
सभी की भलाई के लिए एआई का उपयोग
"जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, एआई का प्रयोग और इसका सामाजिक प्रभाव स्पष्ट होता जाएगा," पोप ने जोर दिया, "समाज के सभी स्तरों पर उचित प्रतिक्रियाएँ की जानी चाहिए," जिसके लिए, उन्होंने स्पष्ट किया, "व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं, परिवारों, नागरिक समाज, निगमों, संस्थानों, सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को अपने उचित स्तरों पर काम करना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि एआई सभी की भलाई के लिए निर्देशित हो।"
पोप फ्राँसिस ने मंच के विचार-विमर्श के लिए अपनी प्रार्थनापूर्ण शुभकामनाएँ देते हुए तथा इसके सभी प्रतिभागियों पर दिव्य आशीष की प्रार्थना के साथ अपने भाषण का समाप्त किये।
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