विंसेनशियन्स से पोप : संस्थापक के सेवा का दृष्टिकोण कलीसिया में नवीनीकरण ला रहा है
वाटिकन न्यूज
संत विंसेंट दी पॉल के मिशन धर्मसंघ की स्थापना की 400वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में संत पापा फ्राँसिस ने धर्मसंघ के सुपीरियर जेनेरल माननीय फादर थॉमज़ मौरिक को एक पत्र भेजा है जिसमें उन्होंने कहा है कि “गरीबों में ख्रीस्त की सेवा" आज कलीसिया में नवीनीकरण ला रहा है।
यह सेवा “दुनिया के कई इलाकों में ज़रूरतमंदों और परित्यक्त लोगों की सहायता और मिशनरी शिष्यत्व” का रूप ले रही है।
सदियों पुराना मिशन
अपने पत्र में, पोप फ्राँसिस ने 17 अप्रैल, 1625 को स्थापित धर्मसंघ की शुरुआत की याद की और इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे संत विंसेंट दी पॉल ने आध्यात्मिकता, प्रेरितिक उत्साह और देखभाल की विरासत को आगे बढ़ाया।
पोप लिखते हैं, "मुझे आशा है कि चौथी सदी का उत्सव हमारे समय की कलीसिया के नवीनीकरण के लिए गरीबों में मसीह की सेवा के संत विंसेंट के दृष्टिकोण के महत्व को उजागर करेगा।"
उन्होंने उम्मीद जतायी कि संस्थापक का उदाहरण “विशेष रूप से युवा लोगों को प्रेरित करेगा, जो अपने उत्साह, उदारता और एक बेहतर दुनिया के निर्माण की चिंता के साथ, अपने साथियों के बीच और जहाँ भी हों, सुसमाचार के साहसी और उत्साही गवाह बनने के लिए बुलाए जाते हैं।”
विंसेनशियन परिवार की सेवा
करीब 400 वर्षों से, संत फ्राँसिस रेजिस और संत जस्टिन दी जैकोबिस से लेकर संत कैथरीन लेबर और संत एलिजाबेथ ऐन सेटन तक, विभिन्न संस्कृतियों और पृष्ठभूमियों के लोग संत विंसेंट के जीवन के आदर्शों का अनुसरण कर रहे हैं।
आज, विन्सेंशियन परिवार में पुरोहितों, धर्मबंधुओं, धर्मबहनों और लोकधर्मियों की 100 से ज़्यादा शाखाएँ शामिल हैं। चाहे वे किसी भी शाखा से जुड़े हों, उनका मिशन एक ही है: परोपकारी कार्यों में भाग लेना और उन्हें पुरोहितों और लोकधर्मियों के आध्यात्मिक मार्गदर्शन एवं प्रशिक्षण में सहायता करना।
इसका एक उदाहरण संत विन्सेंट दी पॉल सोसाइटी है, जिसकी स्थापना 1833 में धन्य फ्रेडरिक ओज़नाम ने की है। अपने पत्र में, पोप फ्राँसिस ने इस संगठन को "गरीबों की सेवा में भलाई के लिए एक असाधारण शक्ति" कहा है, जिसके दुनिया भर में लाखों सदस्य हैं।
पोप ने विन्सेंशियन जीवनशैली की दो अन्य अभिव्यक्तियों पर भी ध्यान दिया: "कॉन्फ्रैटरनिटीस ऑफ चैरिटी", जिसे अब इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ चैरिटी या विन्सेंटियन वालंटियर्स और "डॉटर्स ऑफ चैरिटी" के रूप में जाना जाता है।
जैसा कि पोप फ्राँसिस बताते हैं, यह "महिला समुदाय का एक क्रांतिकारी रूप" है क्योंकि संत विंसेंट ने महिलाओं को बाहर जाकर गरीबों और बीमारों की देखभाल करने के लिए प्रोत्साहित किया।
संत विंसेन्ट के जीवन को अपना आदर्श बनायें
पत्र के अंत में, पोप ने प्रेरितिक आशीर्वाद दिये और धर्मसंघ को अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन दिया। उन्होंने अपनी इच्छा व्यक्त की कि वे अपने संस्थापक से प्रेरित हों और अपने जीवन को आदर्श बनाये रखें एवं संत विंसेंट द्वारा धमर्संघ के पहले सदस्यों को दिए गए मिशन पर काम करें:
“भाइयो, हिम्मत बनाये रखें, आइए, हम गरीबों की सेवा के लिए नए सिरे से प्यार के साथ खुद को समर्पित करें, हम सबसे दुःखी और परित्यक्त लोगों की तलाश करें। हम ईश्वर के सामने स्वीकार करें कि वे हमारे स्वामी और मालिक हैं, और हम उन्हें अपनी विनम्र सेवाएँ देने के योग्य नहीं हैं।”
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