संत पापा : स्कूल में बदमाशी नहीं, शांति की नींव रखें
वाटिकन न्यूज
वाटिकन सिटी, शनिवार 4 जनवरी 2025 : "कभी किसी को नहीं धमकाना, समझे?" आज, 4 जनवरी को संत पापा पॉल षष्टम सभागार में लगभग दो हजार लड़के-लड़कियों के साथ-साथ शिक्षकों और प्रशिक्षिकाओं से संत पापा ने इसे छह बार दोहराने के लिए कहा ताकि उनके दिमाग में स्कूल के माहौल में सबसे बुरी ज्यादतियों में से एक ‘बदमाशी’ या धमकाने के लिए "नहीं" को मजबूती से अंकित किया जा सके। धमकाना "जीवन को नष्ट कर देता है" और "युद्ध के लिए तैयार करता है", जबकि स्कूल "अधिक न्यायपूर्ण और भाईचारे" वाली दुनिया के लिए शांति की नींव रखने का काम करता है।
संत पापा फ्राँसिस ने काथलिक शिक्षकों के इतालवी संघ (एआईएमसी) और शिक्षकों, प्रबंधकों, प्रशिक्षकों के इतालवी काथलिक संघ (यूसीआईआईडी) की स्थापना के 80वें वर्षगांठ और काथलिक स्कूलों के अभिभावकों के संघ (एजीईएससी) की स्थापना के 50वे वर्षगांठ के अवसर पर उनसे मुलाकात की।
ईश्वर की शैक्षिक पद्धति
संत पापा ने कहा कि यह एक साथ जश्न मनाने और अपने इतिहास को याद करने और भविष्य की ओर देखने का एक शानदार अवसर है। हमारी मुलाकात क्रिसमस के मौसम में हो रही है, एक ऐसा समय जो हमें ईश्वर का शिक्षाशास्त्र दिखाता है और उसकी "शैक्षिक पद्धति" क्या है? यह सामीप्य है। ईश्वर निकट, दयालु और कोमल है। ईश्वर के तीन गुण: निकटता, करुणा और कोमलता। सामीप्य एक शिक्षक की तरह जो अपने छात्रों की दुनिया में प्रवेश करता है। ईश्वर जीवन और प्रेम की भाषा के माध्यम से सिखाने के लिए मनुष्यों के बीच रहना चुनते हैं। येसु का जन्म गरीबी और सादगी में हुआ था: यह हमें एक ऐसी शिक्षाशास्त्र की ओर बुलाता है जो आवश्यक को महत्व देती है और विनम्रता, उदारता और आतिथ्य को केंद्र में रखती है। जो शिक्षाशास्त्र लोगों से दूर है वह उपयोगी नहीं है, वह मदद नहीं करता है। क्रिसमस हमें सिखाता है कि महानता सफलता या धन में नहीं, बल्कि प्रेम और दूसरों की सेवा में प्रकट होती है।
परिवार
संत पापा ने कहा कि ईश्वर उपहार का शिक्षाशास्त्र है, सार्वभौमिक भाईचारे की एक परियोजना के हिस्से के रूप में उसके और दूसरों के साथ एकता में रहने का आह्वान है, एक ऐसी परियोजना जिसमें परिवार एक केंद्रीय और अपूर्णीय स्थान है। संत पापा ने अपने एक सज्जन द्वारा साझा किये गये एक धटना का जिक्र किया एक परिवार माता पिता और दो बच्चे होटल में खाना खाने गये परंतु सब अपने मोबाइल में व्यस्त थे। इस सज्जन ने उन्हें देखा, पास आए और कहा: “लेकिन आप परिवार हैं, आप एक-दूसरे से बात क्यों नहीं करते? यह एक अजीब बात है..."। उन्होंने उसकी बात सुनी, उसे जाने के लिए कहा और अपना काम करना जारी रखा। संत पापा ने कहा कि परिवार में बातें होती हैं! परिवार संवाद है, वह संवाद जो हमें आगे बढ़ाता है।
जयंती
संत पापा ने कहा कि उन्होंने कुछ दिन पहले जयंती वर्ष का उद्घाटन किया। जयंती के पास शिक्षा और स्कूलों की दुनिया के लिए बहुत कुछ है। वास्तव में, "आशा के तीर्थयात्री" वे सभी लोग हैं जो अपने जीवन में अर्थ तलाशते हैं और वे भी जो छोटों को इस रास्ते पर चलने में मदद करते हैं। एक अच्छा शिक्षक आशावान पुरुष या महिला होता है, क्योंकि वह खुद को विश्वास और धैर्य के साथ मानव विकास की परियोजना के लिए समर्पित करता है। उनकी आशा भोली नहीं है, यह वास्तविकता में निहित है, इस विश्वास द्वारा समर्थित है कि प्रत्येक शैक्षिक प्रयास का मूल्य है और प्रत्येक व्यक्ति के पास एक गरिमा और एक व्यवसाय है जो फलदायी है।
शोषित बच्चों के लिए संत पापा का दुख
संत पापा उन बच्चों के लिए अपना दुख प्रकट करते हैं जो शिक्षित नहीं हैं और जो काम पर जाते हैं, अक्सर उनका शोषण किया जाता है या जो भोजन या ऐसी चीज़ों की तलाश में जाते हैं जहां कचरा होता है।
इन सबके बीच, संत पापा ने कहा, आशा और अपनी आँखें येसु पर केन्द्रित रखना ही दिन-प्रतिदिन की कठिनाइयों और तनावों से पार पाने का समाधान है, क्योंकि प्रभु हमारे साथ हैं और हमारे 'साथी' हैं।
शांति का विकास करें, कभी भी किसी को धमकाएँ नहीं
पवित्र पिता ने शांति को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों में किए जाने वाले किसी भी शैक्षिक प्रयास की सराहना की, उन्होंने कहा कि 'शांति की कल्पना' "पढ़ाए जाने वाला हर विषय बच्चों और युवाओं की रचनात्मकता के माध्यम से" "अधिक न्यायपूर्ण और भाईचारे वाली दुनिया" की नींव रखे।
"लेकिन यदि स्कूल में आप आपस में युद्ध करते हैं या बदमाशी करते हैं, तो आप शांति की नहीं, बल्कि युद्ध की तैयारी कर रहे हैं।"
संघों के बीच समझौता
विभिन्न चुनौतियों के बीच, संत पापा फ्राँसिस ने स्कूलों में और स्कूलों के लिए कलीसिया के चेहरे को बेहतर ढंग से प्रस्तुत करने के लिए "संघों के बीच समझौता" बनाने का आह्वान किया।
उन्हें स्कूलों के "वर्तमान" पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहते हुए, जो "समाज का भविष्य भी है," संत पापा ने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि वे युवा शिक्षकों के बारे में सोचें जो "अपना पहला कदम उठा रहे हैं" और "परिवार जो अक्सर अपनी शैक्षिक जिम्मेदारियों में अकेले महसूस करते हैं," और उन्हें वास्तविक समर्थन दें।
संत पापा फ्राँसिस ने उन्हें याद दिलाया कि आशा कभी निराश नहीं करती है। संत पापा ने एक बार फिर, बदमाशी के खिलाफ चेतावनी देते हुए अपना संदेश समाप्त किया।
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