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2025.01.25फ्रांस के प्रमुख और प्रारंभिक सेमिनरी के रेक्टरों से  मुलाकात करते हुए संत पाप फ्राँसिस 2025.01.25फ्रांस के प्रमुख और प्रारंभिक सेमिनरी के रेक्टरों से मुलाकात करते हुए संत पाप फ्राँसिस  (VATICAN MEDIA Divisione Foto)

संत पापा सेमिनरी के रेक्टरों से : धैर्य रखें और विविधता एवं कमज़ोरियों से न डरें

संत पापा फ्राँसिस ने फ्रांस के प्रमुख और प्रारंभिक सेमिनरी के रेक्टरों से मुलाकात की और विभिन्न सामाजिक और पारिवारिक संदर्भों और विभिन्न संस्कृतियों से आने वाले सदस्यों वाले समुदायों के लिए "एक मानवीय, आध्यात्मिक, बौद्धिक, प्रेरितिक प्रशिक्षण" के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने "धैर्य की शहादत" और "बहुत कमज़ोर और कठोर व्यक्तित्वों या भावनात्मक विकारों द्वारा दर्शाए गए ख़तरे पर ज़ोर न देने" की सलाह दी।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, शनिवार 25 जनवरी 2025 : संत पापा फ्राँसिस ने 25 जनवरी की सुबह वाटिकन के कनसिस्ट्री सभागार में फ्रांस के मेजर और प्रारंभिक सेमिनरी के रेक्टरों से उनकी जयंती तीर्थयात्रा के अवसर पर मुलाकात की। संत पापा ने इस बात की पुष्टि की कि सेमिनरी "ख्रीस्तीय जीवन की सुसंगत गवाही" दे सकती है और "भविष्य के पुरोहितों के विकास के लिए अनुकूल स्थान" बन सकती है, यदि "वहां अनुभव किए जाने वाले मानवीय रिश्तों की गुणवत्ता और प्रामाणिकता का ध्यान रखा जाए, जो कि एक परिवार के समान है। जहाँ पितृत्व और भाईचारे के साथ जीवन जीया जाता है।" केवल इस वातावरण में ही "पारस्परिक विश्वास स्थापित किया जा सकता है, जो अच्छे विवेक के लिए अपरिहार्य है" और तब सेमिनेरियन "मनमाने ढंग से न्याय किए जाने के डर के बिना, खुद का जीवन जीने में सक्षम होगा।

मानवीय, आध्यात्मिक, बौद्धिक और प्रेरितिक प्रशिक्षण

संत पापा ने याद दिलाया कि "सेमिनरी में खुद को पेश करने वाले उम्मीदवार, आज पहले से कहीं ज़्यादा एक दूसरे से बहुत अलग हैं": "कुछ बहुत युवा हैं, तो कुछ के पास पहले से ही एक लंबा जीवन अनुभव है; कुछ के पास लंबे समय से चली आ रही आस्था और परिपक्व आस्था है, दूसरों के लिए यह बहुत हाल ही की बात है।" सेमिनरी के छात्र "विभिन्न सामाजिक और पारिवारिक संदर्भों, विभिन्न संस्कृतियों से आते हैं" और सबसे बढ़कर, उन्होंने कई आध्यात्मिक आंदोलनों के भीतर आह्वान महसूस किया है जिन्हें आज कलीसिया जानती है। संत पापा ने रेखांकित किया कि इतने विविध समुदाय के लिए एक मानवीय, आध्यात्मिक, बौद्धिक और प्रेरितिक प्रशिक्षण" का प्रस्ताव करना निश्चित रूप से एक बड़ी चुनौती है।

फ्रांस के मेजर और प्रारंभिक सेमिनरी के रेक्टरों के साथ संत पापा फ्राँसिस
फ्रांस के मेजर और प्रारंभिक सेमिनरी के रेक्टरों के साथ संत पापा फ्राँसिस

 विविधता से न डरें

संत पापा ने कहा कि यह कार्य “आसान नहीं है” और इस कारण से “प्रत्येक व्यक्ति की आध्यत्मिक यात्रा पर ध्यान देना तथा व्यक्तिगत सहयोग पहले से कहीं अधिक अपरिहार्य है।” और यह महत्वपूर्ण है कि "प्रशिक्षण दल इस विविधता को स्वीकार करें। वे जानें कि इसका स्वागत कैसे किया जाए और इसे कैसे अपनाया जाए।" “विविधता से डरने” की कोई आवश्यकता नहीं है।

 संत पापा फ्राँसिस ने बताया कि सेमिनार का उद्देश्य स्पष्ट है: प्रभु से ‘प्रेम’ करने वाले मिशनरी शिष्यों का निर्माण करना, ‘भेड़ों की गंध के साथ’ चरवाहे जो उनकी सेवा करने के लिए उनके बीच रहते हैं और उनके लिए परमेश्वर की दया लाते हैं

संस्कार की कृपा के विभिन्न स्वाद

दीक्षा प्रदान करने के लिए विभिन्न “मानदंड हैं, जिन पर समझौता करना असंभव है” लेकिन सेमिनरी को, हालांकि, "ऐसे क्लोन बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए जो सभी एक ही तरह से सोचते हों, एक ही स्वाद और एक ही विकल्प के साथ"। पोप ने कहा, संस्कार की कृपा, "हर उस चीज में निहित होती है जो प्रत्येक व्यक्ति के अद्वितीय व्यक्तित्व को समृद्ध करती है, एक ऐसा व्यक्तित्व जिसका सम्मान किया जाना चाहिए, ताकि विभिन्न स्वादों के फल पैदा हों, जिनकी ईश्वर के लोगों की विविधता को आवश्यकता है"।

आंतरिक स्वतंत्रता

संत पापा ने विशेष रूप से तीन बिंदुओं की ओर इशारा किया जिन पर "ध्यान देना महत्वपूर्ण है"। पहला यह कि “इस बात का ध्यान रखा जाए कि उम्मीदवार में सच्ची आंतरिक स्वतंत्रता का निर्माण हो।”

जीवन में आने वाली चुनौतियों के लिए यह आवश्यक है कि वह विश्वास से प्रेरित होकर और दयालुता से प्रेरित होकर, अपने दिमाग से निर्णय लेना जाने, कभी-कभी धारा के विपरीत या जोखिम उठाते हुए, बिना किसी पूर्व-निर्धारित धारणा के। उत्तर, या वैचारिक पूर्वधारणाओं या क्षण के एकल विचार के साथ। मन परिपक्व हो, हृदय परिपक्व हो, और हाथ परिपक्व हों। तीन चीजें सुसंगत होनी चाहिए: आप क्या सोचते हैं, आप क्या महसूस करते हैं और आप क्या करते हैं। तीन भाषाएँ: मन की, हृदय की और हाथ की। इनके बीच सामंजस्य होना चाहिए।

संतुलित मानवता

संत पापा फ्राँसिस द्वारा इंगित दूसरा बिंदु "मानवीय संबंधों में सक्षम संतुलित मानवता के उम्मीदवार में परिपक्वता" से संबंधित है। पुरोहित में "कोमलता, निकटता और करुणा" के गुए को विकसित करनी चाहिए, जो कि "ईश्वर के तीन गुण" हैं, संत पापा ने दोहराया: "ईश्वर निकट है, वह कोमल है, वह दयालु है। एक सेमिनेरियन जो इसके लिए सक्षम नहीं है, तो यह अच्छा नहीं है। यह महत्वपूर्ण है।" संत पापा ने यह भी सिफारिश की है कि "बहुत कमजोर और कठोर व्यक्तित्वों या भावनात्मक विकारों द्वारा दर्शाए गए खतरे" पर "जोर न दें": "दूसरी ओर, पूर्ण मनुष्य मौजूद नहीं है और कलीसिया नाजुक सदस्यों और पापियों से बनी है जो हमेशा प्रगति की उम्मीद कर सकते हैं; और इस बिंदु पर आपकी समझ विवेकपूर्ण और धैर्यवान दोनों होनी चाहिए, जो आशा से प्रबुद्ध हो।"

बुलाहट और मिशन

संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि तीसरा बिन्दु है, “पुरोहित का मिशन की ओर निर्णायक झुकाव।”

पुरोहित मिशन के लिए है। जो पुरोहित महाशय अब्बे की तरह कार्य करता है, वह मिशन के लिए नहीं है। परोहित को सदैव मिशन के लिए तत्पर रहना है। यद्यपि, पुरोहित बनने में व्यक्तिगत पूर्णता शामिल होती है, परन्तु याजक बनने का उद्देश्य अपने लिए नहीं, बल्कि परमेश्वर के लोगों के लिए पुरोहित बनना होता है, ताकि वे मसीह को जानें और उनसे प्रेम करें। इस गतिशीलता का आरंभिक बिंदु केवल येसु के प्रति और भी अधिक गहरे प्रेम और भावुक प्रेम में ही पाया जा सकता है, जो आध्यत्मिक जीवन में प्रशिक्षण और परमेश्वर के वचन के अध्ययन द्वारा पोषित होता है। एक पुरोहिताई बुलाहट की कल्पना करना कठिन है जिसके पास आत्म-बलिदान, उदारता और स्वयं से अलगाव, सच्ची विनम्रता का कोई मजबूत आयाम नहीं है; और इसकी पुष्टि की जानी आवश्यक है। केवल येसु ही अपने याजक को आनन्द से भरते हैं।

दिखावा नहीं, सच्चा प्यार

अंत में, संत पापा फ्राँसिस ने याद दिलाया कि यह देखना असामान्य नहीं है कि "कुछ लोग धीरे-धीरे खुद की सेवा करने लगते हैं।" संत पापा ने कहा, “सावधान रहें, खासकर पैसों के मामले में। मेरी दादी हमेशा हमसे कहा करती थीं: ‘शैतान जेबों से घुसता है’। कृपया, गरीबी बहुत खूबसूरत चीज है। दूसरों की सेवा करें और कैरियरवाद से सावधान रहें। सांसारिकता, ईर्ष्या, घमंड से सावधान रहें।” “परमेश्वर और कलीसिया के प्रति प्रेम एक दिखावा नहीं परंतु सच्चा हो।”

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25 जनवरी 2025, 15:22