59 वें सामाजिक सम्प्रेषण दिवस पर सन्त पापा फ्राँसिस
वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 24 जनवरी 2025 (रेई, वाटिकन रेडियो): अपने हृदयों में जो आशा है उसे नम्रता से साझा करें, सन्त पेत्रुस के पत्र से लिया गया यह वाक्य इस वर्ष 59 वें विश्व सामाजिक सम्प्रेषण दिवस का विषय है, जिसे प्रति वर्ष 24 जनवरी को काथलिक कलीसिया सन्त फ्राँसिस द सेल्स के पर्व दिवस पर मनाती है।
59 वें विश्व सामाजिक सम्प्रेषण दिवस के उपलक्ष्य में अपना विशिष्ट सन्देश प्रकाशित कर सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, आज के इस समय में, जब गलत सूचना और ध्रुवीकरण का बोलबाला है, तथा सत्ता के कुछ केंद्र अभूतपूर्व मात्रा में डेटा और सूचना को नियंत्रित कर रहे हैं, मैं आप पत्रकारों और संचारकों से कहना चाहता हूँ कि मैं आपके काम के महत्व से भलीभांति परिचित हूं। संचार माध्यमों में दूसरों के प्रति व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारी को रखने के आपके साहसी प्रयास वास्तव में आवश्यक हैं।
जयन्ती कृपा का क्षण
सन्त पापा ने कहा कि कलीसिया द्वारा इस वर्ष मनाई जा रही जयन्ती, इस उथल-पुथल के समय में, कृपा का एक महान क्षण है, और इसीलिये मैं आप सबको पत्रकारों एवं मीडिया कर्मियों को “आशा के संचारक” बनने के लिये आमंत्रित करता हूँ।
सन्त पापा ने कहा कि आज प्रायः सम्प्रेषण माध्यम लोगों के बीच आशा का संचार करने के बदले भय एवं निराशा तथा पूर्वाग्रह और आक्रोश, कट्टरता और यहां तक कि घृणा को प्रश्रय देते हैं। आज का सम्प्रेषण माध्यम अक्सर सहज प्रतिक्रियाओं को भड़काने के लिए वास्तविकता को सरल बना देता है; यह शब्दों का इस्तेमाल उस्तरे की तरह करता है; यह झूठी या चालाकी से विकृत जानकारी का इस्तेमाल करके लोगों को उत्तेजित, भड़काने या चोट पहुंचाने के लिए संदेश भेजता है।
सन्त पापा ने कहा कि संचार माध्यमों को “निरस्त्र” करना और उसमें आक्रामकता को समाप्त करना ज़रूरी है। वास्तविकता को नारों तक सीमित कर देने से कभी मदद नहीं मिलती। उन्होंने कहा, हम सभी देखते हैं कि कैसे - टेलीविजन टॉक शो से लेकर सोशल मीडिया पर मौखिक हमलों तक - यह जोखिम बना रहता है कि प्रतिस्पर्धा, विरोध, हावी होने और अधिकार करने की इच्छा, तथा जनमत के साथ छेड़छाड़ का प्रतिमान प्रबल होता रहता है।
मानव गरिमा को ध्यान में रखें
इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि डिजिटल सिस्टम के माध्यम से "ध्यान का क्रमबद्ध फैलाव" हो रहा है, जो बाज़ार के तर्क के अनुसार हमें प्रोफाइल करके, वास्तविकता की हमारी धारणा को संशोधित करता है। परिणामस्वरूप, हम प्रायः असहाय रूप से, हितों के एक प्रकार के परमाणुकरण को देखते हैं जो समुदाय के रूप में हमारे अस्तित्व की नींव को कमज़ोर करता है। साथ ही आम भलाई की खोज में शामिल होने की हमारी क्षमता एवं एक-दूसरे को सुनने और एक-दूसरे के दृष्टिकोण को समझने की हमारी क्षमता कम कर देता है।
सन्त पापा ने सचेत किया कि इस तरह के माहौल में हम लोगों की प्रतिष्ठा और गरिमा को भुला बैठते हैं, हम उनका उपहास और उनका मजाक उड़ाने के लिए उनकी वैयक्तिकता और गरिमा की अवहेलना कर देते हैं तथा आशा के संचार की संभावना को ही खो देते हैं। जैसा कि डॉन टोनिनो बेलो ने कहा है, सभी संघर्ष “तब शुरू होते हैं जब व्यक्तिगत चेहरे पिघल जाते हैं और गायब हो जाते हैं”। जबकि हम सबको आशा के संचार का प्रयास करना चाहिये।
सन्त पापा ने कहा, "आशा एक ऐसा जोखिम है जिसे अवश्य उठाया जाना चाहिए। यह जोखिमों का जोखिम है। आशा एक छिपा हुआ गुण है, दृढ़ और धैर्यवान और ईसाइयों के लिए, यह एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यक शर्त है।"
आशा निष्क्रिय आशावाद नहीं
सन्त पापा बेनेडिक्ट 16 वें के विश्व पत्र स्पे साल्वी के शब्दों का उल्लेख करते हुए सन्त पापा ने कहा, आशा निष्क्रिय आशावाद नहीं है, बल्कि इसके विपरीत, एक "प्रदर्शनकारी" गुण है जो हमारे जीवन को बदलने में सक्षम है: "जिसके पास आशा है वह अलग तरह से जीता है; जो आशा करता है उसे एक नए जीवन का उपहार दिया गया है।"
सन्त पापा ने काथलिक संचार माध्यम के कार्यकर्त्ताओं से अनुरोध किया कि वे सन्त पेत्रुस का आमंत्रण स्वीकार कर, अपने हृदयों में येसु मसीह पर श्रद्धा रखें, क्योंकि पवित्र आत्मा के सामर्थ्य के माध्यम से सदैव हमारे साथ रहने का येसु ख्रीस्त का वादा हमें सभी आशाओं के विरुद्ध भी आशा रखने में सक्षम बनाता है, तथा जब सब कुछ खो गया लगता है तब भी उस छिपी हुई भलाई को चुपचाप उपस्थित होने में सक्षम बनाता है।
ख्रीस्तीय संचार की विशिष्ठता
सन्त पापा ने कहा कि ख्रीस्त के अनुयायी होने का अर्थ यही है कि हम अपने जीवन द्वारा दूसरों में आशा का संचार करें, क्योंकि प्रभु येसु ख्रीस्त के अनुयायी मुख्य रूप से वे लोग नहीं हैं जो ईश्वर के बारे में “बात करते हैं”, बल्कि वे हैं जो ईश्वर के प्रेम की सुन्दरता और हर चीज़ का अनुभव करने के एक नए तरीके से प्रभावित होते हैं।
सन्त पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय संचार माध्यमों को नम्रता और निकटता से भरा होना चाहिए, जैसा कि सभी युगों के सबसे महान संचारक, नाज़रेथ के येसु का तरीका था, जो एम्माऊस के दो शिष्यों के साथ चलते हुए, उनसे बात करते थे और धर्म शास्त्रों के प्रकाश में घटनाओं की व्याख्या करते हुए उनके दिलों में आशा और विश्वास की ज्योत जगा देते थे।
सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "मैं ऐसे संचार का सपना देखता हूँ जो भ्रम या भय को बढ़ावा न दे, बल्कि आशा के कारण दे सके।" मार्टिन लूथर किंग ने एक बार कहा था: "अगर मैं चलते हुए किसी की मदद कर सकता हूँ, अगर मैं किसी को एक शब्द या गीत से खुश कर सकता हूँ... तो मेरा जीना व्यर्थ नहीं होगा"।
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