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स्पेन के सेमिनरी छात्रों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस स्पेन के सेमिनरी छात्रों से मुलाकात करते संत पापा फ्राँसिस  (Vatican Media)

आपदा में एकात्मता दर्शानेवाले गुरुकुल छात्रों से सन्त पापा

सन्त पापा फ्रांसिस ने स्पेन के विभिन्न धर्मप्रांतों से आये उन प्रशिक्षकों और गुरुकुल छात्रों से मुलाकात की जो विगत वर्ष के अंत में दाना नदी के कारण आई भयंकर बाढ़ से प्रभावित हुए थे। इस प्राकृतिक आपदा में 200 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी और गंभीर क्षति हुई थी।

वाटिकन सिटीवाटिकन सिटी, शुक्रवार, 31 जनवरी 2025 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्रांसिस ने स्पेन के विभिन्न धर्मप्रांतों से आये उन प्रशिक्षकों और गुरुकुल छात्रों से मुलाकात की जो विगत वर्ष के अंत में दाना नदी के कारण आई भयंकर बाढ़ से प्रभावित हुए थे। इस प्राकृतिक आपदा में 200 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी और गंभीर क्षति हुई थी।

आशा की ओर 

वाटिकन स्थित क्लेम्न्तीन भवन में स्पेन से आये प्रशिक्षकों और गुरुकुल छात्रों से सन्त पापा ने कहा: दर्द और शोक "हमें आशा की ओर ले जाता है", हम उन लोगों के करीब हैं जिन्होंने जीवन को बिखरते हुए देखा है।

सन्त पापा ने कहा, "अपनी भावनाओं को आपके समक्ष व्यक्त करना आसान नहीं है।" उन्होंने उन समस्याओं पर विचार किया जिनका सामना सभी को करना पड़ता है। उनके विचार, विशेष रूप से, भयानक प्राकृतिक आपदा से तबाह हुए क्षेत्रों में मनाई गई "निस्संदेह असामान्य क्रिसमस की छुट्टियों" के बारे में अभिमुख हुए। उन्होंने कहा, "ईश्वर आपके भीतर मिट्टी बन गये”।

उन्होंने कहा कि पीड़ा और शोक अपनी कठोरता के बावजूद, हमें आशा की ओर ले जाते हैं, क्योंकि ये हमें सबसे निचले स्तर पर पहुंचने और वह सब कुछ छोड़ देने के लिए मजबूर करते हैं जो आगे बढ़ने का अवसर देते हैं। यह ऐसा कुछ नहीं है जो हम अकेले कर सकते हैं; यह एक असीम अंधकार है जिसे आपने अनुभव किया है। उस आपदा में आप में से बहुत से लोगों की निस्वार्थ मदद और समर्पण से भरे चेहरों ने हमें ईश्वर की कोमलता के दर्शान कराये हैं, जिसके लिये हम आभार व्यक्त करते हैं।

क्षति के समक्ष आशा

सन्त पापा ने कहा कि विगत वर्ष अक्टूबर माह में इबेरियन प्रायद्वीप में जो कुछ हुआ, दाना उस अनुभव का एक उदाहरण है "जो हर मनुष्य अनुभव करता है, जब उसे किसी नुकसान का सामना करना पड़ता है और वह अकेला, भ्रमित महसूस करता है तथा आगे बढ़ने के लिए उसे सहायता की आवश्यकता होती है।"

उन्होंने कहा, प्रभु येसु ने स्पष्ट रूप से कहा है: "क्योंकि उसने मेरा अभिषेक किया है - क्योंकि तुम अभिषिक्त हो - टूटे मन वालों को चंगा करने के लिए, प्रभु की कृपा के वर्ष का प्रचार करने के लिए।"  सन्त पापा ने कहा इस वर्ष पहले से ही हम अनुग्रह के इस वर्ष में हैं, जिसे मैं आशा को समर्पित करना चाहता था, और जिसे आप इन शब्दों पर ध्यान लगाकर पूरी शक्ति के साथ जी सकेंगे।

पुरोहित एक अन्य ख्रीस्त

सन्त पापा ने कहा कि पुरोहित होने का अर्थ है एक और ख्रीस्त होना। उन्होंने कहा, आशा आशावाद नहीं है, जो एक "हल्का" भाव है, "आशा कुछ और है" और आप "लोगों की पीड़ा को हल्के में नहीं लिया जा सकता तथा उन्हें परिस्थिति और भलाई के वाक्यांशों से सांत्वना देने की कोशिश नहीं की जा सकती"।

सन्त पापा ने कहा, हमारी आशा का एक नाम है और वह है येसु, वह ईश्वर जिन्हें हमारे कीचड़ से घृणा नहीं हुई और जो हमें कीचड़ से बचाने की बजाय, हमारे लिए कीचड़ बन गये। इसके अलावा, पुरोहित होना दूसरा मसीह होना है, इसका अर्थ है लोगों के आँसुओं में कीचड़ बन जाना।

सन्त पापा ने कहा कि वालेन्सिया की प्राकृतिक आपदा में “टूटे हुए लोगों” के साथ खड़े होकर, जिन्होंने “अपने जीवन को टुकड़ों में खो दिया है”, हमें यही करने की आवश्यकता है। "उन्हें अपने टुकड़े अर्पित करना है, जैसा कि येसु मसीह ख़ुद को यूखारिस्त में अर्पित करते हैं।"

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31 जनवरी 2025, 11:24