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संत पापा फ्राँसिस: एक भाईचारे वाली दुनिया की आशा येसु हैं

संत पापा फ्राँसिस ने ईश्वर की माता मरियम के पर्व के लिए प्रथम संध्या वंदना के समापन पर धन्यवाद के ‘ते देउम’ भजन के साथ वर्ष 2024 के अंत को चिह्नित किया।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, बुधवार 01जनवरी 2025 : संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 31 दिसंबर को संत पेत्रुस महागिरजाघऱ में वर्ष 2024 में प्राप्त कृपादानों ईश्वर को धन्यवाद देने में कलीसिया का नेतृत्व किया। उन्होंने  ईश्वर की माता मरियम के पर्व के लिए प्रथम संध्या वंदना और ‘ते देउम’ धन्यवाद भजन की अध्यक्षता की। संध्या वंदना समारोह में विश्वासियों के साथ 36 कार्डिनल, 22 धर्माध्यक्ष, 40 पुरोहित थे। इस कैलेंडर वर्ष के अंत में विश्वासियों की सभा में अग्रिम पंक्ति में उपस्थित लोगों में रोम के महापौर रॉबर्टो गुवाल्टिएरी भी शामिल थे।

संत पापा ने अपने प्रवचन में कहा कि यह धन्यवाद का समय है और हमें ईश्वर की पवित्र माता का उत्सव मनाकर इसे जीने का आनंद मिलता है। वह, जो येसु के रहस्य को अपने हृदय में रखती है, हमें इस रहस्य के प्रकाश में समय के संकेतों को पढ़ना भी सिखाती है।

रोम: सभी का स्वागत करने का आह्वान

संत पापा ने कहा, “यह वर्ष जो समाप्त हो रहा है, वह रोम शहर के लिए बहुत व्यस्त वर्ष रहा है। नागरिकों, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों ने जुबली से पहले के विशिष्ट चरण का अनुभव किया है, जिसमें बड़े और छोटे निर्माण स्थलों की संख्या में वृद्धि हुई है। यह शाम विवेकपूर्ण चिंतन का क्षण है, कि ये सारे कार्य, अपने आप में मूल्यवान और सम्मानजनक कार्य है - इसका एक अर्थ रहा है जो रोम के विशिष्ट बुलाहट, इसके सार्वभौमिक बुलाहट से मेल खाता है।”

रोम के महापौर को धन्यवाद

संत पापा फ्राँसिस ने ख़ुशी से रोम के महापौर को विशेष धन्यवाद दिया। “जबकि हम शहर में किए गए कार्यों के परिणामों की कृतज्ञतापूर्वक प्रशंसा करते हैं, हम कई पुरुषों और महिलाओं के काम को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने इसे किया है और हम शहर को आगे ले जाने के इस काम के लिए महापौर को धन्यवाद देते हैं।”

संत पापा ने कहा, “ईश्वर के वचन के प्रकाश में जिसे हमने अभी सुना है, इस आह्वान को इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है: रोम को सभी का स्वागत करने के लिए बुलाया गया है ताकि हर कोई खुद को ईश्वर की संतान और आपस में भाई-बहन के रूप में पहचान सके।

इसलिए इस समय हम ईश्वर को धन्यवाद देना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने हमें काम करने, कड़ी मेहनत करने की अनुमति दी है और सबसे बढ़कर क्योंकि उन्होंने हमें इस महान भावना के साथ ऐसा करने के लिए दिया है, इस व्यापक क्षितिज के साथ जो भाईचारे की आशा है।”

संत पापा ने कहा कि जयंती का आदर्श वाक्य, "आशा के तीर्थयात्री", विभिन्न संभावित दृष्टिकोणों के आधार पर अर्थों में समृद्ध है, जो तीर्थयात्रा के कई "पथों" की तरह हैं। आशा के इन महान पथों में से एक जिस पर चलना है वह है भाईचारा: यह वह मार्ग है जिसे विश्वपत्र ‘फ्रातेल्ली तुत्ती’ में प्रस्तावित किया था। जी हाँ! दुनिया की आशा भाईचारे में निहित है! और यह सोचना सुंदर है कि हाल के महीनों में हमारा शहर इस उद्देश्य के लिए एक निर्माण स्थल बन गया है, इस समग्र भावना के साथ: दुनिया भर के पुरुषों और महिलाओं, अन्य धर्मों के लोगों, काथलिक और ख्रीस्तियों, हर धर्म के विश्वासियों, सत्य, स्वतंत्रता, न्याय और शांति के चाहने वालों, आशा और भाईचारे के सभी तीर्थयात्रियों का स्वागत करने की तैयारी है।

येसु, मानव बंधुत्व की नींव

लेकिन हमें खुद से पूछना चाहिए: क्या इस दृष्टिकोण का कोई आधार है? क्या भाईचारे वाली मानवता की आशा सिर्फ एक बयानबाजी का नारा है या क्या इसका कोई "ठोस" आधार है जिस पर कुछ स्थिर और स्थायी निर्माण किया जा सके?

संत पापाः ईश्वर को बदलने दें

ईश्वर की पवित्र माँ हमें येसु को दिखाकर इसका उत्तर देती हैं। भाईचारे वाली दुनिया की आशा कोई विचारधारा नहीं है, यह कोई आर्थिक व्यवस्था नहीं है, यह तकनीकी प्रगति नहीं है। भाईचारे वाली दुनिया की आशा वह है, पिता द्वारा भेजा गया देहधारी पुत्र, ताकि हम सभी वह बन सकें जो हम हैं, यानी, स्वर्ग में रहने वाले पिता की संतान और इसलिए आपस में हम भाई और बहन।

और इसलिए, जबकि हम शहर में किए गए काम के परिणामों की कृतज्ञता के साथ प्रशंसा करते हैं, आइए हम इस बात से अवगत हों कि निर्णायक निर्माण स्थल क्या है, वह निर्माण स्थल जिसमें हम में से प्रत्येक शामिल है: यह वह है जिसमें, हर दिन, मैं ईश्वर को मुझमें वह बदलने की अनुमति दूंगा जो एक बेटे के योग्य नहीं है, जो मानव नहीं है और जिसमें मैं हर दिन अपने पड़ोसी के लिए एक भाई और बहन के रूप में रहने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करूंगा।

संत पापा ने अपने प्रवचन का समापन इस प्रार्थना के साथ किया कि "हमारी पवित्र माता मरियम हमें आशा के तीर्थयात्रियों के रूप में भाईचारे के मार्ग पर एक साथ चलने में मदद करें।"

संत पेत्रुस प्रांगण में विश्वासियों के साथ संत पापा फ्राँसिस
संत पेत्रुस प्रांगण में विश्वासियों के साथ संत पापा फ्राँसिस   (ANSA)

संत पेत्रुस प्रांगण की चरनी की भेंट

संत पापा फ्राँसिस ने बालक येसु को आंलिगन करते हुए महागिरजाघऱ में संध्या वंदना को समाप्त किया। फिर उन्हें कुछ प्रतिभागियों का अभिवादन करने के लिए व्हीलचेयर में ले जाया गया और वे प्रांगण में चरनी का दर्शन करने बाहर निकले। यहां भी उन्होंने बच्चों को प्यार-दुलार और आशीर्वाद दिया।

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01 जनवरी 2025, 12:13
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