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संत पापा फ्रांसिस 01 जनवरी को माता मरियम ईश्वर की पवित्र माता का मिस्सा बलिदान में संत पापा फ्रांसिस 01 जनवरी को माता मरियम ईश्वर की पवित्र माता का मिस्सा बलिदान में   (ANSA)

संत पापाःसारी चीजें मरियम को सौंप दें

संत पापा फ्रांसिस ने नव वर्ष 01 जनवरी ईश्वर की माता मरियम का महोत्सव मनाते हुए वाटिकन के संत पेत्रुस महागिरजाघर में पवित्र ख्रीस्तयाग अर्पित किया और माता मरियम के मातृत्व पर चिंतन प्रस्तुत किया।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने ईश माता, पवित्र मरियम के पर्व दिवस का पवित्र मिस्सा बलिदान अर्पित करते हुए मरियम को जीवन की सारी चीजें अर्पित करने का आहृवान किया।

संत पापा ने अपने प्रवचन में कहा कि इस वर्ष के शुरू में जिसे ईश्वर ने हमें प्रदान किया है, हम अपनी आखें और हृदय माता मरियम की ओर उन्मुख करते हैं। एक माता के रुप में, क्योंकि वे हमें अपने पुत्र की ओर इंगित कराती हैं। वे हमें येसु की ओर लेकर आती हैं, वे हमें येसु के बारे में बतलाती हैं, और उनकी ओर ले चलती हैं। ईश माता मरियम का महोत्सव हमें पुनः ख्रीस्त जयंती के रहस्य में डूबो देता है। मरियम के गर्भ में, ईश्वर हमारी तरह बनते हैं, और हमने जो जयंती का उद्घांटन पवित्र द्वार को खोलते हुए शुरू किया है, इस बात की याद दिलाते हैं कि मरियम वह द्वार है जिनसे होकर येसु इस दुनिया में प्रवेश करते हैं।

संत पापा ने कहा कि प्रेरित संत पौलुस इस रहस्य को संक्षेप में घोषित करते हुए कहते हैं, “ईश्वर ने अपने पुत्र को भेजा जो एक नारी से उत्पन्न हुए।” ये शब्द, “एक नारी से उत्पन्न हुए” आज हमारे हृदयों में गूंजते हैं, वे हमें येसु मुक्तिदाता की याद दिलाते हैं, जो मानव बनें और कमजोर शरीर में हमारे बीच आये।

ईश्वर का नारी से उत्पन्न होना, मानवीय संबंध

उन्होंने कहा कि एक नारी से उत्पन्न हुए ये शब्द हमें ख्रीस्त जयंती की ओर लेकर आता है, क्योंकि शब्द ने शरीर धारण किया। इसके द्वारा प्रेरित संत पौलुस मानव के गर्भ से होकर ईश्वर का इस दुनिया में आने की याद दिलाते हैं। लेकिन यह बहुत से ख्रीस्तीयों को भ्रमित भी कर सकता है जहाँ हम ईश्वर के प्रतिरुप को “एक अमूर्त रुप” में छिछली भावनाओं से खोजने लग जाते हैं। संत पापा ने कहा कि ईश्वर एक नारी से उत्पन्न हुए, उनका एक चेहरा और एक नाम है जो हमें एक संबंध में प्रवेश करने को बुलाता है। येसु हमारे मुक्तिदाता को हम नारी से उत्पन्न, शरीर और रक्त में पाते हैं। अपने पिता की गोद से आते हुए वे अपने को माता के गर्भ में, मानव शरीरधारण करते हैं। वे ऊंचे स्वर्ग से धरती पर उतरते हैं। ईश्वर का पुत्र मानव का पुत्र बनता है। सर्वशक्तिमान ईश्वर के स्वरुप को हम ख्रीस्त में कमजोर पाते हैं यद्यपि वे पापमुक्त थे, लेकिन हमारे खातिर ईश्वर ने उन्हें पाप का शिकार बनने दिया। नारी से उत्पन्न वे हमारी तरह हैं और इसलिए वे हमें बचाने के योग्य हैं।

ईश्वर का चुनाव

संत पापा ने कहा नारी से उत्पन्न हुए ये शब्द हमें ख्रीस्त की मानवता के बारे में कहते हैं जो शारीरिक रुप में उनकी कमजोरी को प्रकट करता है। वे एक शिशु के रुप में माता से आते हैं। यही कारण है कि चरवाहे जो उन्हें स्वर्गदूत की घोषणा उपरांत देखने को जाते आश्चर्यजनक निशानियों को नहीं पाते हैं लेकिन वे मरियम और योसेफ के बीच येसु को चरनी में लेटा देखते हैं। वे एक छोटे बालक, निःसाहय बालक को पाते हैं जिन्हें माता की सेवा, कपड़े तथा दूध, कोमलता और प्रेम की जरुरत होती है। संत लुईस मरिये ग्रिग्नियन डी मोंटफोर्ट हमें बतलाते हैं कि ईश्वरीय दिव्यता “जबकि निश्चित रूप से सक्षम थी, उसने खुद को सीधे मनुष्यों को देना नहीं चाहा, बल्कि धन्य कुंवारी के माध्यम से ऐसा करने को चुना। न ही वे दुनिया में एक पूर्ण विकसित व्यक्ति के रूप में आना चाहे, जिसे दूसरों की कोई ज़रूरत न हो, बल्कि एक छोटे बच्चे के रूप में, जिसे माँ की देखभाल और पोषण की ज़रूरत थी।” येसु के जीवन में हम देखते हैं कि कैसे ईश्वर अपने कार्यों को करने का चुनाव करते हैं- छोटे और गुप्त रुप में। येसु कभी बड़े चमत्कार और दूसरों के ऊपर अपने को थोपने के प्रलोभन में नहीं पड़े, जैसे कि शैतान ने उन्हें सुझाया। इसके बदले, वे अपनी मानवता की सुन्दरता में ईश्वर के प्रेम को प्रकट करते हैं, हमारे बीच में रहते, हमारे संग जीवन साझा करते, हमारे प्रयास और सपनों में सहभागी होते, शारीरिक और आध्यात्मिक रुप  में दुःख सहने वालों पर करूणावान होते, अंधों को दृष्टि और कमजोरों को शक्ति प्रदान करते हैं। मानवीय कमजोरियों, दुःखों से भरे तथा संवेदनशीलों के प्रति सेवा में येसु ईश्वर के चेहरे को प्रकट करते हैं।

संत पापाः ईश्वर की पवित्र माता मरियम का समारोही मिस्सा

येसु मानवीय चेहरों में

संत पापा ने कहा कि नाजरेत की युवा नारी मरियम में इस बात पर चिंतन करना कितना अच्छा है जो हमारे लिए येसु के रहस्य को बेटे के रुप में लाती हैं। वे हमें इस बात की याद दिलाती हैं कि येसु शरीरधारण कर हमारे बीच आते हैं। हम उन्हें रोज दिन के जीवन में, मानवीय कमजोरियों में और उन लोगों से मिलन में पाते हैं जो हमारे रोज दिन के जीवन में आते हैं। कुंवारी मरियम से, ईश्वर की माता स्वरुप प्रार्थना करते हुए हम इस बात को घोषित करते हैं कि येसु पिता के एकलौटे पुत्र हैं यद्यपि वे सचमुच में एक नारी से जन्मे। हम उन्हें समय के ईश्वर घोषित करते जो हमारे समय में निवास करते हैं, इस नये साल में, वे प्रेम में हमारे बीच उपस्थित रहते हैं। हम उन्हें दुनिया के मुक्तिदाता स्वरुप घोषित करते हैं यद्यपि हम उनसे मिलते और हर मानव के चेहरे में उन्हें खोजने को कहे जाते हैं। यदि वे, ईश्वर के पुत्र हमारे लिए छोटे बने जो माता की बाहों में रहते, देखरेख और सेवा किये जाते, इसका अर्थ यह है कि वे आज भी हमारे बीच में आते हैं उनके रुप में जिन्हें उसी तरह सेवा की जरुरत है- हर भाई-बहन में जिनसे हम मिलते, हर किसी में जिन्हें हमारी सहायता और कोमल सेवा की जरुरत है।

जीवन की रक्षा करें

संत पापा ने कहा कि हम इस नये साल को मरियम ईश्वर की माता के हाथों में अर्पित करें। हम उनकी तरह जीवन की छोटी चीजों में ईश्वर की महानता को खोजना सीखें। हम हर छोटे बालक की सेवा करना सीखें जो एक नारी से उत्पन्न होते है, उससे भी बढ़कर हम मरियम की तरह कीमती जीवन की रक्षा करें- गर्भ में जीवन की, बच्चों के जीवन की, दुखियों, गरीबों, बुजुर्गों, अकेले में और मरने वालों की। आज शांति के इस विश्व दिवस में, हम सभी मरियम के मातृत्व हृदय से आने वाले बुलावे का अनुसरण करने को कहे जाते हैं- जिससे हम जीवन का आनंद, इसकी देखरेख, मानवीय जीवन को सम्मान दे सकें क्योंकि यही वह तरीका है जिसके द्वारा हम शांति की एक संस्कृति का निर्माण कर सकते हैं। इसी कारण संत पापा कहते हैं “मैं गर्भाधान से लेकर प्राकृतिक मृत्यु तक मानव जीवन की गरिमा के सम्मान के लिए दृढ़ प्रतिबद्धता की मांग करता हूं, ताकि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को निखार सके और सभी भविष्य की ओर आशा के साथ देख सकें"।

मरियम ईश्वर की माता और हमारी माता चरनी में हमारी प्रतीक्षा करती हैं। वे ईश्वर की उपस्थित की ओर हमारा ध्यान इंगित करती हैं जैसे कि उन्होंने चरवाहों की ओर किया, जो हमें सदैव आश्चर्यचकित करते हैं, जो स्वर्गीय ठाठ-बांठ में नहीं लेकिन अपने छोटपन में, एक चारनी में आये। हम इस जयंती वर्ष को उन्हें सौप दें। आइए हम अपने सवालों, चिंताओं, दुखों, खुशियों और उन सारी बातों को जिन्हें हम अपने हृदय में धारण करते हैं उन्हें सौंप दें। आइए हम सारी दुनिया को उन्हें सौंप दें जिससे आशा जन्म ले सकें और शांति इस धरती पर सभी लोंगो के लिए प्रवाहित हो सके। 

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01 जनवरी 2025, 15:15
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