संत पापाः डरें नहीं, येसु हमारे साथ चलते हैं
वाटिकन सिटी
संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्ठम के सभागार में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।
आज हम जयंती वर्ष की धर्मशिक्षा येसु ख्रीस्त हमारी आशा को जारी रखेंगे।
अपने सुसमाचार के शुरू में संत लुकस हमें ईश वचन के परिवर्तनशील प्रभावकारी शक्ति को दिखलाते हैं जो केवल मंदिर में नहीं बल्कि एक गरीब युवा नारी मरियम के निवास को भी प्रभावित करती है जिसकी मंगनी जोसेफ से हुई थी, जो अब भी परिवार में रहती थी।
संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि येरूसालेम के बाद, दिव्य संदेश के वाहक स्वर्गदूत गाब्रियेल नाजरेत, एक गाँव में भेजे गये जिसकी चर्चा हम ईब्रानी धर्मग्रंथ में कभी नहीं पाते हैं। यह गलीलिया का एक छोटा गाँव, इस्रराएल के सुदूर प्रांत में था, जहाँ गैर-यहूदी और अन्य मिश्रित जाति के लोग रहते थे।
एक विचित्र संदेश
वहाँ हम स्वर्गदूत को पूरी तरह से एक विचित्र संदेश को घोषित करते हुए सुनते हैं, जिससे मरियम का हृदय घबराहट और विचलन में हिल-सा जाता है। एक पारंपरिक अभिवादन, तुम्हें शांति मिले” के बदले गाब्रियेल ने कुंवारी को अपने संबोधन में “आंनदित हो, खुशी मनाओ”, कहते हैं। इतिहास में यह एक प्रिय संबोधन था, क्योंकि नबियों ने इसका उपयोग मुक्तिदाता के आने की घोषणा के लिए किया। यह आनंदित होने का एक निमंत्रण है जिसे ईश्वर अपने लोगों को संबोधित करते हुए, निर्वासन की समाप्ति पर कहते हैं और अपनी प्रजा के बीच अपनी उपस्थिति और क्रियाशील होने की अनुभूति दिलाते हैं।
मरियम दिव्य कृपा से परिपूर्ण
इसके साथ ही, ईश्वर मरियम को धर्मग्रंथ के इतिहास में एक अज्ञात नाम केसारितोमेने से पुकारते हैं जिसका अर्थ है “दिव्य कृपा से परिपूर्ण।” मरियम दिव्य कृपा से परिपूर्ण हैं। यह नाम हम बतलाता है कि ईश्वर का प्रेम पहले से ही उनमें बना हुआ है और यह मरियम के हृदय में निरंतर निवास करता है। यह हमें उनके “कृपा से पूर्ण” होने की बात कहती है और उससे भी बढ़कर कि कैसे ईश्वर की कृपा उनके अतःस्थल में लिखी गई है, जो उसे ईश्वर की एक महान कृति बनाती है।
डरें नहीं
संत पापा ने कहा कि यह प्यारा उपनाम, जिसे ईश्वर सिर्फ मरियम को देते हैं, जो तुरंत सुनिश्चितता में आती है, “आप न डरें”। “ईश्वर की उपस्थिति में हम इस ईश्वर को पाते हैं जिसे हम मरियम में पाते है जिसे नहीं डरने को कहा जाता है।” इस वाक्य को ईश्वर इतिहास में आब्रहम, इसाहक, मूसा और जोशुआ से कहते हैं, “डरो मत”। वे इसे हमारे लिए भी कहते हैं, “डरो मत, आगे बढ़ो।” संत पापा ने भय के कारण भविष्यवक्ता के पास वालों को सचेत करते हुए कहा कि कृपया आप भयभीत न हों। “मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ, यह बातें मरियम को ईश्वर से ओर से कही जाती हैं।” येसु हम सभों से भी यही कहते हैं।
ईश्वर बचाते हैं
संत पापा ने कहा कि तब स्वर्गदूत गाब्रियेल मरियम को उनकी प्रेरिताई की घोषणा करते हैं, वे उन्हें धर्मग्रंथ की बहुत-सी बातों का संदर्भ सुनाते और बालक के राजकीय और मुक्तिदाता होने की बात घोषित करते हैं जो उनसे जन्म लेंगे। वह बालक प्राचीन नबियों की भविष्यवाणियों को परिपूर्णता प्रदान करेंगे। वह वाणी जो ऊपर से आती है मरियम को दाऊद के घराने में बहुप्रतीक्षित मसीह की माता होने का निमंत्रण देती है। वे मुक्तिदाता की माता हैं। वे राजा होंगे मानवीय और भौतिक दृष्टिकोणों के आधार पर नहीं बल्कि दिव्य रूप में, आध्यात्मिक रूप में। उनका नाम येसु रखा जायेगा जिसका अर्थ है “ईश्वर बचाते हैं”, यह हम सभों को सदैव इस बात की याद दिलाती है कि मनुष्य नहीं बल्कि ईश्वर हमें बचाते हैं। ये येसु हैं जो इसायस नबी के इन शब्दों को पूरा करते हैं, “उसने किसी स्वर्गदूत को भेजकर नहीं, बल्कि स्वयं आकर उनकी रक्षा की, अपने प्रेम तथा अपनी अनुकम्पा के अनुरूप।”
अपने अदंर देखें
यह मातृत्व मरियम को जड़ तक हिला देता है। और जैसे कि वे एक बुद्धिमान नारी हैं, अतः वह घटनाओं को पढ़ने के योग्य होती हैं। वह समझने की कोशिश करती हैं, अपने को जो होता उस पर आत्ममंथन करती हैं। मरियम बाहर नहीं देखती हैं बल्कि अंदर देखती हैं। और वहाँ, उसके गहरे खुले और संवेदनशील हृदय में, वह ईश्वर पर विश्वास करने के निमंत्रण को सुनती हैं।
और मरियम को हम विश्वास सें प्रज्वलित पाते हैं, वह अपने में “बहुत सारे दीयों की एक ज्योति हैं।” मरियम अपने शरीर में शब्द का स्वागत करती हैं और इस भांति किसी मानव प्राणी को, एक नारी को दिये गये सबसे बहृद प्रेरिताई को पूरा करती हैं। वह सारी चीजों में अपनी सेवाएं देती हैं।
दिव्य वचनों के लिए अपने को खोलें
प्रिय भाइयो एवं बहनों, संत पापा ने कहा कि आइए हम माता मरियम, मुक्तिदाता और हमारी माता से, अपने कानों को दिव्य वचन हेतु खोलना सीखें, हम उसका स्वागत करना और उसका आनंद लेना सीखें जो हमारे हृदयों को येसु की उपस्थिति के संदूक स्वरुप परिवर्तित करेगा, आतिथ्यमय निवास की भांति जहाँ आशा विकसित होती है।
Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here