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संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में  (ANSA)

संत पापाः हम संत योसेफ के उदाहरण का अनुसरण करें

संत पापा फ्रांसिस ने संत योसेफ के जीवन पर प्रकाश डाला और उसके पवित्र उदाहरण और विश्वास का अनुसरण करने का आहृवान किया।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत योसेफ के जीवन पर प्रकाश डालते हुए उसके विश्वास रूपी उदाहरण का अनुसरण करने का आहृवान किया।

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह हेतु एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात। आज हम येसु के जन्म के रहस्य पर चिंतन करेंगे जैसे हमारे लिए उनके बचपन को सुसमाचारों में वर्णन किया गया है।

संत लूकस हम इसे माता के दृष्टिकोण से प्रस्तुत करते जहाँ हम कुंवारी मरियम को पाते हैं, वहीं संत मत्ती इसे योसेफ की निगाहों से वर्णन करते हैं, व्यक्ति जो संवैधानिक रुप से येसु के पितृत्व को स्वीकारते जिसे येस्से की टहनी से संयुक्त किया जाता और जो दाऊद को की गई थी।

येसु हमारी आशा

संत पापा ने कहा कि वास्तव में, येसु इस्रराएल की आशा हैं जो पूरी होती है वे राजा दाऊद को की गई प्रतिज्ञा के वंशज हैं जो अपने निवास को सदा के लिए धन्य बनाते हैं। वे येस्से की टहनी से निकलने वाले एक धड़ हैं, एक धर्मी शाखा जो सच्चे राजा के रुप में विवेक पूर्ण ढ़ंग से राज्य करेंगे, न्याय तथा धार्मिकता उसे धरती पर फलेगी फूलेगी।

संत मत्ती के सुसमाचार में योसेफ का प्रवेश मरियम के मंगेतर स्वरुप होता है। ईब्रानियों के लिए मंगेतर अपने में एक सच्चा नौतिक रुप में पूर्ण स्वीकार्य संबंध था, जो अपने को आने वाले एक साल के लिए तैयार करता  जिससे वह विवाह के संबंध में प्रवेश करें। इसके बाद नारी अपने पिता के घर से पति के लिए सौंपी जाती, जो पति के घर में आते हुए अपने को मातृत्व के उपहार हेतु स्वेच्छा के समर्पित करती थी।

योसेफ की परीक्षा

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि ठीक इस विशेष समय में योसेफ को मरियम के गर्भवती होने की खबर लगती है और उसके प्रेम की कड़ी परीक्षा होती है। ऐसी स्थिति में, जो उसकी सगाई को खत्म करने का कारण बन सकती थी, कानून उसके लिए दो संभावित समाधान को सुझाव स्वरुप प्रस्तुत करता है: या तो सार्वजनिक कानूनी कार्य जिसमें वह नारी को अदालत में पेश कर सकता था या निजी कार्रवाई जैसे कि वह उसे अस्वीकृति पत्र दे सकता था।

धर्मी व्यक्ति

संत मत्ती योसेफ को धर्मी व्यक्ति के रुप में परिभाषित करते हैं, एक व्यक्ति जो ईश्वर की संहिता के अनुसार जीवन व्यतीत करता है, जो अपने जीवन के हर क्षण को प्रेरणा में जीता है। इस भांति, ईश्वर के वचन का अनुसरण करते हुए योसेफ अपने विवेक में कार्य करता है, वह अपने को सहज भावनाओं और मरियम को अपने साथ ऱखने के डर से अभिभूत नहीं होने देता, बल्कि वह ईश्वरीय ज्ञान से अपने को निर्देशित होने देता है। वह चुपके से व्यक्तिगत रुप में मरियम से अलग होने की सोचता है। यह हमारे लिए योसेफ के विवेक को व्यक्त करता है जिसके फलस्वरुप वह अपने में गलती नहीं करता है और वह अपने को ईश्वर से आने वाली आवाज के प्रति नम्रता में खुला रहता है।  

इस भांति, नाजरेत का योसेफ एक दूसरे योसेफ की छवि को हमारे लिए प्रस्तुत करता है, जो याकूब का पुत्र था, जिसे "स्वप्नों का स्वामी" कहा गया है (उत्पत्ति 37:19), वह अपने पिता का अति प्रिय था और लेकिन उसके भाई उससे बहुत घृणा करते थे, जिसे प्रभु ने राजा फराऊन के राज दरबार में स्थापित किया।

भविष्य का सपना 

संत पापा ने कहा कि योसेफ के सपने में हम क्या देखते हैं। हम एक चमत्कार को देखते हैं जिसे ईश्वर मरियम के जीवन में पूरा करते हैं, इसके साथ ही हम उनके जीवन में भी चमत्कार होता देखते हैं- वह एक पिता के रूप में रक्षक, सुरक्षा देने वाला तथा भौतिक और आध्यात्मिक विरासत को बांटता है। उनकी पत्नी के जो गर्भ है वह ईश्वर की प्रतिज्ञा से है, एक प्रतिज्ञा जो अपने में सभों की मुक्ति को निश्चितता में वहन करती है।

अपनी निद्रा में योसेफ इन वचनों को सुनता है, “योसेफ दाऊद की संतान, अपनी पत्नी मरियम को अपने यहाँ लाने से न डरें। क्योंकि उनके जो गर्भ हैं वह पवित्र आत्मा से है। वह एक पुत्र प्रसव करेंगी और आप उनका नाम येसु रखेंगे क्योंकि वे अपने लोगों को पापों से मुक्त करेगा।” (मत्ती 1.20-21)। इस रहस्य के प्रकटीकरण के समाने योसेफ कोई दूसरे सबूत की मांग नहीं करता है, वह ईश्वर पर विश्वास करता है, वह ईश्वर से मिले सपने पर और मंगेरत होने पर विश्वास करता है। इस भांति वह उस कृपा में प्रवेश करता है जहाँ व्यक्ति को इस बात का ज्ञान होता है कि दिव्य प्रतिज्ञा को विश्वास, आशा और प्रेम में किस भांति जीने की जरुरत है।

संत पापाः हम संत योसेफ के उदाहरण से सीखें

विश्वास और आज्ञापालन

योसेफ, इन सारी घटनाओं में कुछ भी नहीं कहता है, बल्कि वह विश्वास, आशा और प्रेम करता है। वह अपने को “व्यर्थ की बातों” में प्रकट नहीं करता है लेकिन वह ठोस कार्यो को करता है। वह उस पीढ़ी में गिनती किया जाता जिसे प्रेरित संत याकूब शब्दों को कार्यान्वित करने वाले कहते हैं। वे उसे कार्य, शरीर और जीवन में पूर्णतः सम्माहित करते हैं। योसेफ ईश्वर पर विश्वास करते हुए आज्ञापालन करता है। ईश्वर के लिए आंतिरक रूप में खुला रहना उसे स्वतः ही आज्ञा पालन हेतु अग्रसर करता है।

प्रिय बहनो और भाइयो, संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि हम भी अपने लिए ईश्वर से बोलने से अधिक सुनने की कृपा मांगें, ईश्वर के सपनों को देख सकने की कृपा जिससे हम उत्तरदायी रुप में ख्रीस्त का स्वागत कर सकें जो हमारे बपतिस्मा के समय से हमारे संग हम में रहते और हमें विकसित करते हैं।

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29 जनवरी 2025, 11:08
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