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संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में संत पापा फ्रांसिस आमदर्शन समारोह में  (ANSA)

संत पापाः किसी भी रूप में बाल शोषण एक घोर अपराध

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में बाल शोषण पर धर्मशिक्षा देते हुए इसके किसी भी रूप को एक घोर अपराध की संज्ञा दी।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह हेतु संत पापा पौल षष्ठम के सभागार में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

हमने अपने पिछले आमदर्शन समारोह में बच्चों के बारे में बातें की, आज भी हम बच्चों के बारे में बातें करेंगे। पिछले सप्ताह हमने इस बात पर गौर किया कि अपने कार्य में येसु कैसे निरंतर बच्चों का बचाव करते हुए उनका स्वागत करते उन्हें प्रेम करते हैं।

हमारे समाज में बच्चों की स्थिति

यद्यपि आज भी दुनिया में हजारों लाखों की संख्या में नाबालिक विशेषकर खतरे से भरे स्थानों में कार्य करने को बाध्य किये जाते हैं। हम इस बात की चर्चा नहीं कर सकते हैं कि कितने लड़के और लड़कियाँ मानव व्यपार का शिकार होते और उन्हें देह-व्यपार या अशलीलता और जबदस्ती विवाहों का शिकार होना पड़ता है। हमारे समाजों में दुर्भाग्यवश बहुत से रुप हैं जहाँ बच्चों को शोषण और दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ता है। बाल शोषण चाहे वह किसी भी प्रकृति का हो अपने में घृणित और कलंकित कार्य है। यह समाज में न केवल एक धब्बा और एक अपराध है, बल्कि यह ईश्वर की संहिता का एक घोऱ उल्लंघन है। किसी भी बच्चे को शोषण का शिकार नहीं होना चाहिए। एक भी ऐसी घटना अपने में बहुत अधिक है। अतः हमें चाहिए कि हम इसके संबंध में जागरुकता लायें, शोषण के शिकार बच्चों और युवा लोगों के संग निकटता और सच्ची एकात्मकता प्रदर्शित करें, इसके साथ ही हमें चाहिए कि हम विश्वास और उन लोगों के बीच तालमेल स्थापित करें जो उन्हें अवसर और सुरक्षित स्थान प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जहां वे शांतिपूर्वक ढ़ंग से विकास कर सकें।

बच्चों में बुराई पनपने के कारण

विस्तृत दरिद्रता, परिवारों को सामाजिक सहयोग की कमी, आये दिनों में विस्थापन के साथ-साथ बेरोगजारी और रोगजार की असुरक्षा, वे कारण हैं जो युवाओं को बोझिल करते और उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। महानगरों में, समाज का टूटना और नौतिक गिरावट जो चुभती है, जिसके कारण बच्चे मादक प्रदार्थों के बिक्रेता और बहुत सारे अनौतिक कार्यों में फँस जाते हैं। हममें से कितनों ने इन बच्चों को सामाजिक बुराइयों का शिकार होते देखा है। कभी-कभी दुखद रूप से वे अपने साथियों के उत्पीड़न का शिकार होते हैं, जिसके कारण वे अपने को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ अपनी गरिमा और मानवता को भी नुकसान पहुंचाते हैं। और इसके बवाजूद, जब हम सड़क पर, पड़ोस में, इन खोई हुई जिंदगियों को अपनी आंखों के सामने देखते, तो हम अक्सर अपनी निगाहें दूसरी ओर फेर लेते हैं। संत पापा ने अपने देश के एक बालक लोआन का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए विश्व में फैली मानव अंग व्यपार की ओर सभों का ध्यान आकर्षित कराया जिसके चलते कितने ही बच्चों को मौत का शिकार होना पड़ता  हैं।

येसु की चाह- हमारी स्वतंत्रता

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि सामाजिक अन्याय के कारण दो बच्चे जो शायद एक ही पड़ोस में रहते हैं नाटकीय रुप में विरोधभाव राहों और भाग्य का चुनाव करते हैं क्योंकि उनमें से एक का जन्म वंचित परिवार में हुआ है। एक अस्वीकार्य और सामाजिक विभाजन जहाँ हम एक को सपने देखते तो दूसरे को इसे शिकार होता पाते हैं। लेकिन येसु हमारी स्वतंत्रता और खुशी की चाह रखते हैं और यदि वे हर नर और नारी को अपनी संतान की भाँति प्रेम करते हैं, तो वे सबसे छोटों को और भी अधिक अपने हृदय की कोमलता से प्रेम करते हैं। यही कारण है कि वे हमें रूककर दुःख सहने वालों जिन्हें कोई नहीं पूछता और सुनता है, अशिक्षितों को सुनने के लिए कहते हैं। शोषण के विरूध संघर्ष विशेषकर बच्चों के विरूध होने वाले शोषण के खिलाफ, पूरे समाज के लिए एक बेहतर भविष्य तैयार करने का मार्ग है। “कुछ देशों ने अपने विवेक में बच्चों के अधिकारों की सूची तैयार की है। बच्चों के अधिकार हैं। हम बच्चों के अधिकारों को इंटरनेट में देख खोज सकते हैं।”

हम क्या कर सकते हैं

संत पापा ने सभों के सामने सवाल रखते हुए कहा, “मैं क्या कर सकता हूँ?” सर्वप्रथम हमें यह पहचानने की आवश्यकता है कि यदि हम बाल श्रम को जड़ से खत्म करने की चाह रखते हैं, तो हम इसमें सहभागी न हों। और हम कब ऐसा करते हैं। उदाहरण के लिए, उन्होंने कहा कि जब हम उन चीजों को खरीदते जिसमें बाल श्रम लगा है। यह जानते हुए कि उन कपड़ों और खाद्य सामग्री में बच्चों का शोषण शामिल है हम कैसे उस भोज को खा सकते और कपड़े को पहन सकते हैं, जिन्हें विद्यालय जाने के बदले में श्रम करना पड़ता है। उन चीजों के प्रति सचेत रहना जिन्हें हम खरीदते हैं हमारी ओर से उनमें सहभागी न होने का प्रथम कदम होगा। हमें यह देखने की आवश्यकता है कि चीजें कहाँ से आ रही हैं। हममें से कुछ कह सकते हैं हम व्यक्तिगत रूप में अधिक कुछ नहीं कर सकते हैं। यह सच है लेकिन हम एक बूंद हो सकते हैं, जो हमें दूसरों के संग एक करता है जो एक सागर में बदल जाता है। हालंकि संस्थानों, जिसमें कलीसियाई संस्थानें हैं, और हमें चाहिए की हम कम्पनियों को इन बातों से सचेत करें। वे अपनी पूंजी को दूसरे कम्पनियों में लगाते हुए इसमें एक बड़ा अंतर ला सकते हैं जिनमें बच्चों या बाल श्रम का उपयोग नहीं किया जाता है। कई राज्यों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने पहले ही बाल श्रम के विरुद्ध कानून और निर्देश बनाए हैं, लेकिन अभी और भी कुछ किया जाना बाकी है। मैं पत्रकारों से भी अपनी भूमिका निभाने का आग्रह करता हूं: वे समस्या के बारे में जागरूकता बढ़ाने और समाधान खोजने में मदद कर सकते हैं। “आप बिना भयभीत हुए ऐसी बातों का विरोध करें।”

संत पापाः बाल शोषण घृणित अपराध

मदर तेरेसा एक आदर्श

संत पापा ने उन लोगों के प्रति कृतज्ञता के भाव प्रकट किये जो बच्चों को अतिशीघ्र प्रौढ़ होने के दबाव में देखने के विरूध कार्य करते हैं। हम सदैव येसु की बातों को याद करें, “जो कुछ तुमने इन छोटे से छोटे भाइयों के लिए किया, वो तुमने मेरे लिए किया।” कोलकाता की संत मदर तेरेसा, जो ईश्वर की दाखबारी में खुशी से कार्य करती थी, अपने में बहुत से वंचित और भूला दिये गये भाई-बहनों के लिए एक माता की भांति थी। अपने कोमल और सतर्क निगाहों में, वह हमें अदृश्य छोटे बच्चों को देखने में मदद कर सकती हैं, एक ऐसी दुनिया के बहुत सारे गुलाम जिन्हें हम अन्याय के हवाले नहीं कर सकते हैं। क्योंकि सबसे कमजोरों की खुशी शांति का निर्माण करती है। और मदर तेरेसा के संग हम बच्चों की आवाज बनते हैं, “मैं एक सुरक्षित स्थान की मांग करता हूँ जहाँ मैं खेल सकूँ। मैं किसी से एक मुस्कान की मांग करता हूँ जो यह जानता है कि कैसे प्रेम किया जाता है। मैं एक बालक होने के अधिकार की मांग करता हूँ जिससे मैं एक बेहतर भविष्य की आशा बन सकूँ। मैं एक व्यक्ति के रुप में विकसित होने की मांग करता हूँ। क्या मैं तुझ पर भरोसा कर सकता हूँ?

 

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15 जनवरी 2025, 15:07
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