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कॉन्स्टेंटिनोपल के प्राधिधर्माध्यक्ष बार्थोलोम प्रथम कॉन्स्टेंटिनोपल के प्राधिधर्माध्यक्ष बार्थोलोम प्रथम   (ANSA)

संत पापा : 'ख्रीस्तीय भाईचारे का संवाद आज की दुनिया के लिए एक मॉडल हो सकता है'

प्रेरित संत अंद्रेयस के पर्व के अवसर पर प्राधिधर्माध्यक्ष बार्थोलोम को अपने पारंपरिक अभिवादन में, संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय के बीच "एकता के उपहार" के लिए निरंतर प्रयासों और प्रार्थनाओं का आह्वान किया, यह टिप्पणी करते हुए कि उनका भाईचारा और गवाही आज की दुनिया के लिए एक मॉडल के रूप में भी काम कर सकती है, जो युद्ध और हिंसा से त्रस्त है।

वाटिकन न्यूज़

वाटिकन सिटी, शनिवार 30 नवम्बर 2024 (रेई) : एक लंबे समय से चली आ रही परंपरा का पालन करते हुए, कॉन्स्टेंटिनोपल के संरक्षक संत, प्रेरित संत अंद्रेयस के पर्व के अवसर पर, संत पापा फ्राँसिस ने कॉन्स्टेंटिनोपल के प्राधिधर्माध्यक्ष बार्थोलोम प्रथम को अपनी शुभकामनाएं और अपने "भ्रातृत्वपूर्ण स्नेह" का आश्वासन देने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल को इस्तांबुल भेजा।

यह यात्रा परमधर्मपीठ और कॉन्स्टेंटिनोपल के बीच उनके संबंधित संरक्षक पर्वों के लिए प्रतिनिधिमंडलों के वार्षिक आदान-प्रदान का हिस्सा है, 29 जून को, संत पेत्रुस और पौलुस के पर्व पर रोम में, और 30 नवंबर को संत अंद्रेयस के पर्व पर इस्तांबुल में।

अपने संदेश में, संत पापा फ्राँसिस ने काथोलिक और ऑर्थोडोक्स ख्रीस्तियों के बीच एकता की दिशा में प्राथमिक मार्ग के रूप में निंदा किए बिना सुनने पर प्रकाश डाला और अपनी आशा व्यक्त की कि निचेया की पहली विश्वव्यापी परिषद की आगामी 1700वीं वर्षगांठ का जश्न पिछले छह दशकों में विकसित हुए भाईचारे के संबंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान कर सकता है।

60 वर्षों का फलदायी संवाद

संत पापा ने संदेश की शुरुआत 1964 में डिक्री एकता पुनर्एकीकरण' के प्रख्यापन के बाद से काथलिक-ऑरथोडोक्स संवाद की महत्वपूर्ण प्रगति पर टिप्पणी करते हुए की, जिसने काथलिक कलीसिया के आधिकारिक रूप से विश्वव्यापी आंदोलन में प्रवेश को चिह्नित किया।

उन्होंने कहा कि इस संवाद में प्राप्त होने वाले पहले फलों में से एक उनकी “नवीनीकृत भाईचारा” है जिसे वे आज “विशेष तीव्रता के साथ” अनुभव करते हैं।

पूर्ण सहभागिता - अंतिम लक्ष्य

यह स्वीकार करते हुए कि परिषद दस्तावेज़ द्वारा परिकल्पित पूर्ण यूखारीस्तीय सहभागिता अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है, क्योंकि "एक सहस्राब्दी से चली आ रही विभाजन की स्थिति को कुछ दशकों के भीतर हल नहीं किया जा सकता है", संत पापा ने जोर देकर कहा कि ख्रीस्तियों को "उस अंतिम लक्ष्य को नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए", न ही उन्हें "यह उम्मीद खोनी चाहिए कि यह एकता इतिहास के दौरान और उचित समय के भीतर प्राप्त की जा सकती है"।

"काथलिकों और ऑर्थोडोक्स कलीसिया को एकता के दिव्य उपहार को स्वीकार करने के लिए प्रार्थना करना और साथ मिलकर काम करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए।"

विश्वव्यापी संवाद के लिए धर्मसभा का दृष्टिकोण

संत पापा फ्राँसिस याद दिलाते हैं कि काथलिक कलीसिया के “संवाद के मार्ग के प्रति अपरिवर्तनीय प्रतिबद्धता” को हाल ही में सिनॉडल पर हुई धर्मसभा द्वारा पुष्ट किया गया था, जिसमें प्रतिभागी, अपनी अलग-अलग पृष्ठभूमि के बावजूद, “एक-दूसरे को बिना किसी निर्णय या निंदा के सुनने में सक्षम थे।”

संत पापा कहते हैं कि यह दृष्टिकोण “वह तरीका भी होना चाहिए जिससे काथलिक और ऑर्थोडोक्स एकता की ओर अपनी यात्रा जारी रखें।”

वाटिकन प्रतिनिधिमंडल

वाटिकन प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व ख्रीस्तीय एकता को बढ़ावा देने वाले विभाग के प्रीफेक्ट कार्डिनल कूर्ट कोच ने किया, जिन्होंने फनार में संत जॉर्ज महागिरजाघऱ में आयोजित पावन धर्मविधि समारोह के समापन पर प्राधिधर्माध्यक्ष बार्थोलोम को संत पापा का संदेश दिया। प्रतिनिधिमंडल में विभाग के दो वरिष्ठ अधिकारी - सचिव मोनसिन्योर फ्लावियो पेस, उपसचिव मोनसिन्योर एंड्रिया पामिएरी और तुर्की के प्रेरितिक राजदूत महाधर्माध्यक्ष मारेक सोल्ज़िंस्की भी शामिल थे।

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30 November 2024, 15:19