खोज

Cookie Policy
The portal Vatican News uses technical or similar cookies to make navigation easier and guarantee the use of the services. Furthermore, technical and analysis cookies from third parties may be used. If you want to know more click here. By closing this banner you consent to the use of cookies.
I AGREE
Sonata in Re min. HWV367a
सूची पोडकास्ट
बुधवारीय बुधवारीय   (ANSA)

संत पापाः मरियम हमें येसु की ओर ले चलती हैं

संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह की अपनी धर्मशिक्षा में मरियम भक्ति पर प्रकाश डाला जो हाथ पकड़ कर हमें अपने बेटे येसु ख्रीस्त की ओर ले चलती हैं।

वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रागँण में एकत्रित सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

पवित्र आत्मा बहुत सारे माध्यमों से कलीसिया में अपने पवित्रीकरण के कार्य को करते हैं- ईशवचन, संस्कारों, प्रार्थना इत्यादि और उसमें से एक अतिविशेष जिसे कलीसियाई परापंरा में हम मरियम भक्ति की संज्ञा देते हैं, अर्थात अद येसुम पेर मरियम “मरियम के माध्यम येसु के पास।” संत पापा ने कहा कि मरियम हमें येसु को देखने में मदद करती हैं। वे हमारे लिए सदैव द्वार खोलती हैं। एक माता और कुंवारी के रुप में वे हाथ पकड़कर हमें येसु के पास ले चलती हैं। वे हमें कभी अपनी ओर इंगित नहीं करातीं बल्कि येसु को दिखलाती हैं। और हम इसे मरियम भक्ति कहते हैं, कुंवारी मरियम के हाथों से येसु की ओर।

मरियम एक “पत्र”  

संत पौलुस ख्रीस्तीय समुदाय के बारे में कुरिथिंयों के नाम अपने दूसरे पत्र में लिखते हैं,“आप लोग निश्चय ही मसीह का वह पत्र हैं, जिसे उन्होंने हमसे लिखवाया है। वह पत्र स्याही से नहीं, बल्कि जीवंत ईश्वर की आत्मा से, पत्थर की पाटियों पर नहीं, बल्कि मानव हृदय की पाटियों पर लिखा हुआ है।” मरियम, प्रथम शिष्य और कलीसिया की निशानी स्वरुप ईश्वर के जीवित आत्मा द्वारा एक प्रथम लिखित पत्र की भांति हैं। और यही वह विशेष कारण है जिसके द्वारा वह सभों के द्वारा “जानी और पढ़ी जा सकती हैं”, यहाँ तक कि उनके द्वारा भी जो अपने में ईश शास्त्र की किताबों को पढ़ने नहीं जानते हैं, उन “छोटे लोगों” के बारे में जिनके बारे में येसु कहते हैं कि स्वर्गराज्य का रहस्य ज्ञानियों से छुपा कर निरे बच्चों को लिए प्रकट किया गया है।

मरियमः एक खाली पन्ना

स्वर्गदूत को “हाँ” कहने के द्वारा वह ईश्वर की योजना को पूरा करने की हामी भरती है, वह येसु की माता होने को स्वीकार करती है। यह उनका मानों ईश्वर को हाँ कहना था, “मैं एक पाटी की भांति हूँ, जिसमें लेखक जो भी लिखना चाहते लिख सकते हैं, ईश्वर मुझसे जो भी कराना चाहते हैं उसके लिए मैं प्रस्तुत हूँ।” उस समय लोग मोम की पाटियों में लिखा करते थे, आज हम कह सकते हैं कि मरियम ने अपने को ईश्वर के लिए एक खाली पन्ने की भांति अर्पित कर दिया जिसमें वे जो चाहे लिख सकते थे। मरियम का “हाँ” एक विख्यात उल्लेख के अनुसार “ईश्वर के समक्ष सभी धार्मिक व्यवहार के शिखर” का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि वह उच्चतम तरीके से, सक्रिय तत्परता के साथ धैर्यपूर्ण उपलब्धता, गहरे खालीपन को जिसमें बृहृद परिपूर्णता है, को व्यक्त करता है।

इस भांति हम ईश्वर की माता को पवित्र आत्मा के पवित्रीकरण कार्य हेतु एक साधन स्वरुप पाते हैं। ईश्वर, कलीसिया और पवित्रता के बारे में असंख्य कही और लिखी गई बातों के मध्य में हम उन्हें थोड़े शब्दों को कहता हुआ पाते हैं जिसे हर कोई, अति साधारण रुप में किसी भी परिस्थिति में कह सकता है- “देखिए” और “मुझ में पूरा हो”। मरियम ने ईश्वर को “हाँ” कहा और अपने उदाहरण और अपनी प्रार्थना के माध्यम, जब कभी हम आज्ञाकरिता या एक मुसीबत का समाना करते हैं, हमें भी ईश्वर को हाँ कहने को प्रोत्साहित करती हैं।

कलीसिया की प्रतीक्षा

हमारे इतिहास के हर क्षण में, और विशेषकर इस समय में कलीसिया अपने को उसी स्थिति में पाती है जैसे कि ख्रीस्तीय समुदाय अपने को येसु ख्रीस्त के स्वर्गारोहण के बाद पाता है। उसे सारी दुनिया में सुसमाचार का प्रचार करना था लेकिन वह “स्वर्ग से शक्ति” उतरने की प्रतीक्षा कर रही थी जिससे वह अपने कार्यों को बखूबी कर सके। हम इस बात को न भूलें, जैसे कि हम प्रेरित चरित में पढ़ते हैं, शिष्यगण एक दूसरे के चारो ओर “येसु की माता मरियम” के संग जमा थे।

संत पापा की धर्मशिक्षा माला

संत पापा ने कहा कि यह सच है कि अंतिम व्यारी के कमरे में अन्य दूसरी नारियाँ भी उनके संग थी, लेकिन उनकी उपस्थिति उन सभों में दूसरों से अलग और अद्वितीय थी। उनके और पवित्र आत्मा के बीच एक अनोखा और शाश्वत अविनाशी संबंध है जिसमें हम स्वयं मसीह के व्यक्तित्व को पाते हैं जैसे कि हम धर्मसार में घोषित करते हैं “जो पवित्र आत्मा से गर्भ में आये और कुंवारी मरियम से जन्म लिये।” सुसमाचार लेखक लूकस ने जानबूझकर दूत संदेश के समय मरियम पर पवित्र आत्मा उतरने और पेन्तेकोस्त के दिन शिष्यों के बीच उनके आने पर प्रकाश डालते हैं, वे दोनों परिस्थितियों में कुछ समान अभिव्यक्तियों का उपयोग करते हैं।

अस्सीसी के संत फ्राँसिस की अभिव्यक्ति

आस्सीस के संत फ्रांसिस, अपनी एक प्रार्थना में, मरियम का अभिवादन करते हुए उसे “स्वर्गीय पिता की पुत्री और सेविका, सर्वशक्तिमान राजा, येसु ख्रीस्त ईश्वर की सर्वोच्च माता और पवित्र आत्मा की जीवनसंगिनी” घोषित करते हैं। पिता की पुत्री, पवित्र आत्मा की संगिनी। मरियम और तृत्व के मध्य अद्वितीय संबंध को हम साधारण शब्दों में उल्लेख नहीं कर सकते हैं।  

संत पापा ने कहा कि दूसरे निशानियों की भांति, “पवित्र आत्मा की जीवनसंगिनी” इसे पूर्णतः सत्य नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि इसमें निहित सत्य स्वरूप स्वीकार किया जाना चाहिए, जो एक बहुत ही सुंदर सत्य है। वह वधू है लेकिन इसके पहले वह पवित्र आत्मा की शिष्या है। आइए हम उनसे सीखें कि आत्मा की प्रेरणाओं के प्रति हमें कैसे विनम्र रहना है, खासकर तब जब हमारे लिए उनकी ओर से सुझाव आता है कि “जल्दी उठो” और किसी ऐसे व्यक्ति की मदद करने जाओ जिसे हमारी ज़रूरत है, जैसा उन्होंने स्वर्गदूत के चले जाने के तुरंत बाद किया।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभों के संग हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ करते हुए सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

13 नवंबर 2024, 13:09
Prev
April 2025
SuMoTuWeThFrSa
  12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
27282930   
Next
May 2025
SuMoTuWeThFrSa
    123
45678910
11121314151617
18192021222324
25262728293031