खोज

Cookie Policy
The portal Vatican News uses technical or similar cookies to make navigation easier and guarantee the use of the services. Furthermore, technical and analysis cookies from third parties may be used. If you want to know more click here. By closing this banner you consent to the use of cookies.
I AGREE
GIOVANNI PIERLUIGI DA PALESTRINA (1525/26-1594): "Missa Papae Marcelli"
सूची पोडकास्ट
Illustration shows CNA Financial logo Illustration shows CNA Financial logo  (REUTERS)

इतालवी राष्ट्रीय शिल्प परिसंघ के सदस्यों की सन्त पापा से मुलाकात

इतालवी राष्ट्रीय शिल्प परिसंघ तथा लघु एवं मध्यम उद्यमों (सीएनए) के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस से मुलाकात कर उनका सन्देश सुना।

वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 15 नवम्बर 2024 (रेई, वाटिकन रेडियो): इतालवी राष्ट्रीय शिल्प परिसंघ तथा लघु एवं मध्यम उद्यमों (सीएनए) के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को वाटिकन में सन्त पापा फ्राँसिस से मुलाकात कर उनका सन्देश सुना।

मानव कार्य का मूल्य

शिल्प परिसंघ तथा और लघु एवं मध्यम उद्यमों के प्रतिनिधियों का अभिवादन करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस  ने कहा, शिल्प कौशल मुझे अत्यन्त प्रिय है क्योंकि यह मानव कार्य के मूल्य को अच्छी तरह से व्यक्त करता है। जब हम अपने हाथों से सृजन करते हैं, उसी समय हम अपने सिर और पैरों को सक्रिय करते हैं: अपने हाथों से कुछ करना सदैव अन्यों के प्रति एक विचार और एक आंदोलन का फल होता है।

उन्होंने कहा, शिल्प कौशल रचनात्मकता की प्रशंसा है; वास्तव में, शिल्पकार जड़ पदार्थ में एक विशेष आकृति देखने में सक्षम होता है जिसे अन्य लोग नहीं पहचान सकते और यही आपको ईश्वर के रचनात्मक कार्य में सहयोगी बनाता है। सन्त पापा ने कहा कि मानवीय गतिविधियों को अर्थ देने और आम भलाई को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं की सेवा में लगाने के लिए शिल्पकारों की प्रतिभा नितान्त आवश्यक है।

सन्त मत्ती रचित सुसमचार के 25 वें अध्याय में निहित अशर्फियों के दृष्टान्त की याद दिलाते हुए सन्त पापा ने शिल्प परिसंघ के सदस्यों से कहा, एक स्वामी तीन नौकरों को उपयोग करने के लिए अशर्फियाँ देता है। जिसने पांच प्राप्त किए वह साधन संपन्न साबित हुआ, उसने पाँच और कमाये। इसी प्रकार जिसे दो मिली उसने भी दो और कमा ली, स्वामी ने दोनों की प्रशंसा समान रूप से की। अस्तु, सन्त पापा ने कहा कि मात्रा मायने नहीं रखती है, बल्कि प्रतिबद्धता मायने है, प्राप्त उपहारों को सफल बनाने की प्रतिबद्धता।

विश्वास का रिश्ता

सन्त पापा ने कहा कि तीसरे नौकर ने उसे जो मिला बस उसी को सम्भाल कर रखा, वास्तव में तीसरे नौकर में क्या कमी है, जिसने डर और आलस्य के कारण अपनी प्रतिभा को छिपाये रखा। सन्त पापा ने कहा कि उसने  साधन संपन्नता छोड़ दी क्योंकि उसने अपने स्वामी के प्रति, जीवन के प्रति और दूसरों के प्रति विश्वास का रिश्ता विकसित नहीं किया।

सन्त पापा ने कहा कि यह दृष्टांत ईश्वर पर भरोसा करने का एक भजन है, और एक स्वस्थ, सकारात्मक "साझेदारी" का निमंत्रण है, जो हम पर भरोसा करते हैं और हमारी जिम्मेदारी को अर्थ प्रदान करते हैं।

सन्त पापा ने कहा कि यदि आप जीवन में आगे बढ़ना चाहते हैं तो आपको डर को त्यागकर विश्वास रखना होगा। कभी-कभी, विशेष रूप से जब कठिनाइयाँ बढ़ जाती हैं, तो हम यह सोचने के लिए प्रलोभित हो जाते हैं कि प्रभु एक मध्यस्थ या निरंतर नियंत्रक हैं न कि वे जो हमें जीवन को अपने हाथों में लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। लेकिन सुसमाचार हमें सदैव विश्वास की दृष्टि रखने के लिए आग्रह करता है।

इतिहास का परिणाम

सन्त पापा ने कहा कि कदापि यह न सोचें कि हम जो हासिल करते हैं वह केवल हमारी क्षमताओं या योग्यताओं का परिणाम है, बल्कि यह हममें से प्रत्येक के इतिहास का फल भी है, यह उन अनेक लोगों का भी फल है जिन्होंने हमें जीवन में आगे बढ़ना सिखाया, जिसकी शुरुआत हमारे माता-पिता से हुई।

उन्होंने कहा कि यदि आप अपने काम के प्रति जुनूनी हैं, और सम्भवतः कभी-कभी शिकायत भी करते हैं क्योंकि इसे पर्याप्त रूप से मान्यता नहीं दी जाती है, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि आप न केवल आपके लिए बल्कि सभी के लिए, ईश्वर ने आपके हाथों में जो कुछ दिया है उसके मूल्य के बारे में जानते हैं। इसीलिये, सन्त पापा ने कहा कि हम सभी को उस डर को दूर करने की ज़रूरत है जो रचनात्मकता को पंगु और नष्ट कर देता है। हम इसे अपने दैनिक कार्य के तरीके से भी कर सकते हैं, यह महसूस करते हुए कि हम ईश्वर की एक महान योजना में भागीदार हैं।

विश्व को सुन्दर और शांतिपूर्ण बनायें

सन्त पापा ने कहा कि श्रम और हाथों के काम का लक्ष्य विश्व को सुन्दर बनाना तथा उसमें शांति का निर्माण करना होना चाहिये जबकि हमेशा ऐसा नहीं होता। उन्होंने कहा कि आज हम सर्वत्र युद्धों की बात सुनते हैं जिनमें हज़ारों हथियारों का उपयोग लोगों को मारने के लिये किया जाता है। इसके विपरीत शिल्प से संलग्न कार्य हमें सान्तवना देते हैं जो विश्व को सुन्दर बनाने और शांति के निर्माण में योगदान देते हैं।

उन्होंने बताया कि एक बार एक अर्थशास्त्री ने उन्हें बताया कि इटली में आज सर्वाधिक लाभ पहुँचानेवाला निवेष  है हथियारों के कारखानों में निवेष... जबकि हथियार विश्व को सुन्दर नहीं बनाते, ये बदसूरत होते हैं। उन्होंने कहा कि यह कैसा तर्क है कि यदि आप अधिकाधिक कमाना चाहते हैं तो अन्यों की जान लेने का काम करें। मानव बंधुत्व पर अपने विश्व पत्र फ्रातेल्ली तूती को उद्धृत कर सन्त पापा ने कहा, इस बात पर आप तनिक विचार करें कि हमारा लक्ष्य विश्व को सुन्दर बनाना होना चाहिये, विश्व में शांति का निर्माण करना होना चाहिये।    

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

15 नवंबर 2024, 11:17
Prev
April 2025
SuMoTuWeThFrSa
  12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
27282930   
Next
May 2025
SuMoTuWeThFrSa
    123
45678910
11121314151617
18192021222324
25262728293031