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बेल्जियम, लक्समबर्ग और निदरलैंड के येसु संघियों के साथ संत पापा फ्रांँसिस बेल्जियम, लक्समबर्ग और निदरलैंड के येसु संघियों के साथ संत पापा फ्रांँसिस  (Vatican Media)

येसु संघियों से पोप : वाटिकन में महिलाओं की भूमिका बदल रही है

“ला चिविल्ता कत्तोलिका” ने ब्रसेल्स स्थित संत मिखाएल कॉलेज में बेल्जियम, लक्समबर्ग और निदरलैंड के कुल 150 येसु संघियों से पोप फ्राँसिस की मुलाकात की घटना का पूरा लेख प्रकाशित किया है। मुलाकात के दौरान संत पापा फ्राँसिस ने कलीसिया में महिलाओं की भूमिका पर चर्चा की थी जो येसुसंघियों को किसी चीज से नहीं डरने के लिए प्रोत्साहित करता है और उन्होंने आप्रवासियों का स्वागत करने और उन्हें एकीकृत करने का आह्वान दोहराया था।

वाटिकन न्यूज

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 8 अक्तूबर 2024 (रेई): महिलाओं और कलीसिया में उनकी भूमिका की विषयवस्तु, जो 26-29 सितम्बर को लक्समबर्ग और बेल्जियम की प्रेरितिक यात्रा के दौरान कई बार सामने आई, ब्रसेल्स में मिले 150 येसु संघियों के साथ पोप फ्राँसिस की बातचीत का भी मुख्य विषय था।

हर प्रेरितिक यात्रा की तरह, उन्होंने सोसाइटी ऑफ जीसस के सदस्यों के साथ एक निजी मुलाकात के लिए समय निकाला। यह मुलाकात ल्युवेन में काथलिक विश्वविद्यालय के परिसर के दौरे और ब्रसेल्स एक्सपो हॉल में एक आकस्मिक पड़ाव के बीच हुई, जहाँ 6,000 युवा एक जागरण प्रार्थना के लिए एकत्र हुए थे।

इस मुलाकात में संत पापा ने न केवल बेल्जियम के अपने जेस्विट भाइयों बल्कि लक्समबर्ग और निदरलैंड के भाइयों से भी मुलाकात की। मुलाकात में आज के समय में जेस्विट सोसाइटी के मिशन या विश्व और कलीसिया की समसामयिक घटनाओं - सांसारिकता से लेकर सांस्कृतिक समन्वयीकरण तक, धर्मसभा से लेकर प्रवास तक - से संबंधित विषयों पर प्रश्न और उत्तर हुए तथा इसके आरंभ में नीदरलैंड क्षेत्र के सुपीरियर फादर मार्क डेसमेट ने गिटार के साथ एक गीत गाया।

परंपरा का पालन करते हुए, “ला चिविल्ता कत्तोलिका” ने फादर एंटोनियो स्पादारो द्वारा हस्ताक्षरित एक लेख में संवाद का पूरा अंश प्रकाशित किया है, जिसमें इसकी “सहजता” और “तत्कालता” पर जोर दिया गया है।

कलीसिया एक नारी है

संत पापा ने येसु संघियों के एक सवाल का उत्तर देते हुए कहा, “कलीसिया एक नारी है। उन्होंने महिलाओं को अधिक न्यायपूर्ण और स्थान देने में कठिनाई पर भी बात की।" पोप ने स्पष्ट किया, "मैं महिलाओं को करिश्मे से संपन्न देखता हूँ, और मैं कलीसिया में महिलाओं की भूमिका की चर्चा को प्रेरिताई के विषय तक सीमित नहीं रखना चाहता।" "सामान्य तौर पर, "पुरुषवाद और नारीवाद 'बाजार' विषय हैं।"

संत पापा ने जोर देते हुए कहा कि इस समय वे वाटिकन में अधिक से अधिक महिलाओं को उच्चतर जिम्मेदारी की भूमिकाओं के साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “चीजें बदल रही हैं, जिसे देखा और महसूस किया जा सकता है।”

वाटिकन में महिलाएँ

पोप ने याद दिलाया कि वाटिकन राज्यपाल कार्यालय की उप राज्यपाल एक महिला हैं (सिस्टर राफैला पेट्रिनी), समग्र मानव विकास के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग में भी "एक महिला प्रतिनिधि हैं" (सिस्टर एलेसांद्रा स्मेरिली), और धर्माध्यक्षों की नियुक्ति के लिए बनी "टीम" में तीन महिलाएँ हैं (सिस्टर पेट्रिनी, सिस्टर यवोन रेउनगोट और मारिया लिया ज़ेर्विनो, जिन्हें 2022 में धर्माध्यक्षों के लिए परमधर्मपीठीय विभाग के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है)। "चूंकि वे उम्मीदवारों के चयन के प्रभारी हैं, इसलिए चीजें बहुत बेहतर हैं," उन्होंने कहा, "वे अपने निर्णयों में तेज हैं।"

समर्पित जीवन के लिए गठित परमधर्मपीठीय विभाग में भी "उप-समन्वयक एक महिला हैं" (सिस्टर सिमोना ब्रैम्बिला, सचिव) और अर्थव्यवस्था के लिए गठित परिषद में उप-समन्वयक के रूप में शार्लोट क्रेउटर-किर्चहोफ को रखा गया है।

संक्षेप में, संत पापा ने अपने श्रोताओं को आश्वस्त करते हुए कहा, "महिलाएँ उच्च जिम्मेदारी की भूमिकाओं में वाटिकन में प्रवेश कर रही हैं: हम इस रास्ते पर चलते रहेंगे। चीजें पहले से बेहतर काम कर रही हैं।"

इस संदर्भ में, पोप ने यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लायेन के साथ एक घटना को भी याद किया: "हम एक विशिष्ट समस्या के बारे में बात कर रहे थे, और मैंने उनसे पूछा, 'लेकिन आप इस तरह की समस्याओं से कैसे निपटती हैं?' उन्होंने जवाब दिया, 'उसी तरह जैसे हम सभी माताएँ करती हैं।' उनके जवाब ने मुझे बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया।"

आप्रवासियों को एकीकृत करने की आवश्यकता है

मुलाकात के दौरान, पोप ने प्रवासन के मुद्दे को संबोधित किया, जिसका उचित अध्ययन करने की आवश्यकता है।

एक बार फिर, उन्होंने प्रवासियों के लिए कार्रवाई को स्पष्ट करने हेतु चार क्रियाओं को सूचीबद्ध किया: स्वागत, साथ देना, बढ़ावा देना, एकीकृत करना। यदि यह नहीं है, तो यह एक "गंभीर" समस्या बन जाती है। पोप ने चेतावनी दी, "एक प्रवासी जो एकीकृत नहीं है, उसका अंत बुरा होता है, लेकिन जिस समाज में वह रहता है, उसका भी अंत बुरा होता है," उन्होंने 2016 में बेल्जियम में ज़ेवेंटम हवाई अड्डे पर हुए हमले को याद करते हुए चेतावनी दी, जिसमें आईएसआईएस से जुड़े दो आतंकवादियों के हाथों 16 लोगों की जान चली गई थी। "यह त्रासदी भी एकीकरण की कमी का परिणाम थी।"

उन्होंने कहा, "कलीसिया को आप्रवासियों के साथ काम को गंभीरता से लेना चाहिए।"

बूढ़ा होता यूरोप

इसके साथ ही पोप फ्राँसिस ने दोहराया कि "एक बात जो मेरे दिल के करीब है, वह यह है कि" यूरोप में अब बच्चे नहीं हैं, यह बूढ़ा हो रहा है। जीवन को नया रूप देने के लिए इसे प्रवासियों की जरूरत है। अब यह अस्तित्व का सवाल बन गया है।"

समुदाय पुरोहितों से ज्यादा महत्वपूर्ण है

न केवल कुछ बच्चे, बल्कि कुछ बुलाहट भी। एक पुरोहित ने यह विषय उठाया: “आप पुरोहितों के बिना पल्ली समुदायों का भविष्य कैसे देखते हैं?”

पोप ने जवाब दिया, “समुदाय पुरोहित से ज्यादा महत्वपूर्ण है।” “पुरोहित समुदाय का सेवक है।”

उन्होंने उन महिला धर्मसंघियों का उदाहरण दिया जो दुनिया के कुछ हिस्सों में नेतृत्व की भूमिका निभाती हैं, जैसे कि पेरू की धर्मबहनें, जिनका "अपना विशिष्ट मिशन" है "उन परिस्थितियों में जाना जहाँ कोई पुरोहित नहीं हैं। वे सब कुछ करती हैं: वे उपदेश देती हैं, बपतिस्मा देती हैं... अगर कोई पुरोहित भेजा जाता है, तो वे कहीं और चली जाती हैं।"

मिशन की बात करते हुए, पोप ने बेल्जियम के संदर्भ में - जो यूरोप के सबसे धर्मनिरपेक्ष देशों में से एक है – संत इग्नासियुस के धर्मसंघ के सदस्यों से नहीं डरने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "येसु संघियों को किसी भी चीज से नहीं डरना चाहिए।" "वह साहस के दो रूपों के बीच तनाव में रहनेवाला व्यक्ति है: प्रार्थना में ईश्वर की तलाश करने का साहस और सीमाओं पर जाने का साहस।"

पोप ने फादर मातेओ रिच्ची, फादर रॉबेर्तो डी नोबिली और अन्य महान मिशनरियों को "मास्टर्स" के रूप में इंगित किया, जिन्होंने "अपने साहसी कार्यों से चर्च में कुछ लोगों को भयभीत भी किया" लेकिन "संस्कृति में आत्मसात करने की सीमाएँ निर्धारित कीं।" उन्होंने कहा कि इस सीमा को "आत्मपरख" में खोजा जाना चाहिए। "और यह प्रार्थना करके समझा जा सकता है।" पोप ने कहा कि जेसुइट प्रार्थना, "सीमा रेखा, कठिन परिस्थितियों में, सीमाओं पर विकसित होती है। जोखिम उठाना हमारी आध्यात्मिकता में खूबसूरत बात है।"

मूर्तिपूजा के नए रूप

सासांरिकता की "जटिल परिस्थिति" के बारे में, पोप फ्राँसिस ने "मूर्ति पूजा के रूपों" के बारे में बात की: "हमें मूर्ति पूजा के बारे में बात करने के लिए किसी मूर्तिपूजक की मूर्ति की ज़रूरत नहीं है: पर्यावरण, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, वह एक गैसीय देवता है! और हमें इस संस्कृति को साक्ष्य, सेवा और विश्वास के संदर्भ में उपदेश देना चाहिए। और भीतर से हमें इसे प्रार्थना के साथ करना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि सेवा संवाद को "फलदायी" बनाती है, लेकिन कलीसिया में "मजबूत याजकवाद" के कारण संवाद अक्सर बाधित होता है। "जहाँ याजकवाद है, वहाँ कोई सेवा नहीं है," उन्होंने आगे चेतावनी देते हुए कहा, "ईश्वर के खातिर, कभी भी सुसमाचार प्रचार को धर्मांतरण के साथ भ्रमित न करें!"

बौद्धिक प्रेरिताई

उन्होंने कहा, “बौद्धिक प्रेरिताई” भी “महत्वपूर्ण” है, और यह जेसुइट्स की बुलाहट का एक हिस्सा है, जिन्हें “शिक्षा, शोध और संचार में भी बने रहना चाहिए।”

संत पापा ने कहा, “यह स्पष्ट हो,” “जब सोसाइटी ऑफ जीसस की महासभा कहती है कि लोगों के जीवन और इतिहास में खुद को शामिल करें, तो इसका मतलब ‘कार्निवल (आनंदोत्सव) बनाना’ नहीं है, बल्कि खुद को सबसे संस्थागत संदर्भों में भी शामिल करना है, मैं कहना चाहूंगा, कुछ ‘कठोरता’ के साथ, शब्द के अच्छे अर्थ में, किसी को हमेशा अनौपचारिकता की तलाश नहीं करनी चाहिए।”

धर्मसभा, एक अनुग्रह

एक प्रश्न धर्मसभा से संबंधित था, जो वाटिकन में चल रही धर्मसभा पर केंद्रित था। पोप ने कहा, "धर्मसभा आसान नहीं है, नहीं, और कभी-कभी ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ऐसे अधिकार वाले व्यक्ति होते हैं जो संवाद के पहलू को सामने नहीं लाते।" "एक चरवाहा खुद से निर्णय ले सकता है, लेकिन वह उन्हें अपनी परिषद के साथ ले। एक धर्माध्यक्ष भी ऐसा कर सकते हैं, और पोप भी।"

पोप फ्राँसिस ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि धर्मसभा के साथ "सिनोडल पद्धति द्वारा चीजों को ठीक से स्पष्ट किया जाएगा।" उन्होंने कहा, "कलीसिया में धर्मसभा एक अनुग्रह है! अधिकार धर्मसभा में किया जाता है।"

संत घोषित किए जाने के कारण

आखिर में, पोप फ्राँसिस ने पुष्टि की कि फादर पेद्रो अर्रुपे, जो स्पेन में जन्मे और 1965 से 1983 तक जेसुइट सुपीरियर जनरल रहे, अब ईश सेवक घोषित किए गए है, उनकी संत घोषणा की प्रक्रिया “खुली” है।

पोप ने कहा, “समस्या उनके लेखन के संशोधन की है,” उन्होंने स्पष्ट किया कि अर्रुपे ने “बहुत कुछ लिखा है, और उनके लेखों के विश्लेषण में समय लग रहा है।

हेनरी डी लुबैक, एक अन्य “महान जेसुइट” की संत घोषणा प्रक्रिया के बारे में, पोप ने कहा कि उन्हें मालूम नहीं है कि उनका मामला पेश किया गया है या नहीं।

अपने साथियों के साथ बातचीत करते हुए, पोप फ्राँसिस ने खुलासा किया कि बाद में उन्होंने ब्रसेल्स में सामूहिक प्रार्थना के दौरान क्या घोषणा की; अर्थात्, राजा बौडोइन की संत घोषणा प्रक्रिया की शुरुआत: पोप ने कहा, "मैंने स्वयं ऐसा किया, क्योंकि मुझे ऐसा लगता है कि हम यहां उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।"

 

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08 अक्तूबर 2024, 16:54
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